रतन टाटा का निधन: भारत के महान उद्योगपति के जाने से देश में शोक की लहर, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख



भारत के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के निधन से देश में शोक की लहर, पीएम मोदी और अन्य दिग्गज नेताओं ने जताया दुख।

भारत के मशहूर उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के दौरान उनकी हालत बिगड़ती चली गई। उनकी मौत ने न केवल व्यापार जगत बल्कि पूरे भारत को गहरे शोक में डुबो दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “रतन टाटा का निधन केवल व्यापार जगत की क्षति नहीं है, बल्कि यह एक महान विचारक और भारत के सच्चे प्रेरणास्त्रोत का अंत है। उनके योगदान को भारत हमेशा याद रखेगा।” मोदी ने उनके परिवार और टाटा समूह के प्रति संवेदनाएं भी प्रकट कीं।

राजनीतिक और व्यापार जगत से आई शोक संवेदनाएं

प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ देश के कई बड़े नेताओं ने भी रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज थे। उन्होंने देश को व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका निधन एक व्यक्तिगत क्षति है, और मैं गहरे दुखी हूं।"

विपक्षी दलों के नेता भी शोक में शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे, वे भारतीय आत्मनिर्भरता का प्रतीक थे। उनकी दूरदर्शिता ने न सिर्फ टाटा समूह को सफल बनाया, बल्कि लाखों युवाओं को प्रेरित किया।"

व्यापार जगत में शोक की लहर

टाटा समूह ने अपने आधिकारिक बयान में रतन टाटा के योगदानों को याद करते हुए उन्हें "हमेशा प्रेरित करने वाला नेता" कहा। उनके निधन से समूह में गहरा दुख व्याप्त है।

महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “रतन टाटा का जाना भारतीय उद्योग जगत के लिए एक युग का अंत है। उनका दृष्टिकोण, उनकी करुणा, और समाज के प्रति उनका योगदान अमूल्य था।”

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा का व्यक्तित्व सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं था, बल्कि वे एक महान समाजसेवी भी थे। "उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व ने भारतीय उद्योग को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया।"

रतन टाटा: एक दूरदर्शी उद्योगपति

रतन टाटा का जीवन प्रेरणा का स्रोत था। 1937 में जन्मे रतन टाटा ने टाटा समूह की कमान 1991 में संभाली थी और उनके नेतृत्व में समूह ने न केवल व्यापार में अपार सफलता हासिल की, बल्कि समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी भी निभाई। उन्होंने नैनो कार जैसी सस्ती गाड़ियों को लॉन्च कर हर भारतीय का सपना पूरा किया और कोरस स्टील जैसी कंपनियों का अधिग्रहण कर टाटा को वैश्विक पहचान दिलाई।

रतन टाटा ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा मोटर्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया और इन कंपनियों को सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका समाजसेवी योगदान भी अतुलनीय था। वे हमेशा सामाजिक उत्थान के लिए काम करते रहे और उनकी टाटा ट्रस्ट ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में अहम भूमिका निभाई।

व्यक्तिगत जीवन और मूल्यों के प्रतीक

रतन टाटा का जीवन सादगी और समर्पण का उदाहरण था। उनके करीबी कहते हैं कि वे व्यक्तिगत जीवन में बेहद सरल थे और हमेशा नई पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने कई बार युवा उद्यमियों से कहा कि सफलता की कुंजी धैर्य, समर्पण और ईमानदारी में है।

उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने ना केवल व्यापार में सफलताएं हासिल की, बल्कि समाज को बेहतर बनाने की दिशा में भी काम किया। वे हमेशा से ही यह मानते थे कि एक कंपनी की सफलता समाज की सेवा में है। उनके द्वारा स्थापित टाटा स्टील ने सामाजिक विकास के लिए कई योजनाएं चलाईं, जिसमें गांवों का विकास, शिक्षा, और रोजगार के अवसर सृजन शामिल हैं।

आखिरी समय तक सक्रियता

रतन टाटा ने टाटा समूह के चेयरमैन पद से 2012 में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वे हमेशा सामाजिक और व्यापारिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। वे विभिन्न सामाजिक योजनाओं और स्टार्टअप्स में निवेश करते रहे और युवाओं को प्रोत्साहित करते रहे। उनके नेतृत्व में टाटा ने कई साहसिक फैसले लिए और समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

रतन टाटा की विरासत

रतन टाटा का योगदान केवल भारतीय व्यापार जगत तक सीमित नहीं था। वे एक विश्वव्यापी हस्ती थे और उनकी दूरदर्शिता ने भारत को विश्व पटल पर एक नई पहचान दी। उनके द्वारा स्थापित मूल्य और सिद्धांत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। उनके निधन के बाद भी, उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं और उनकी सोच देश को आगे बढ़ाने का काम करती रहेंगी।

उद्योग और समाज के प्रति योगदान अमर रहेगा

रतन टाटा का निधन एक युग के अंत का प्रतीक है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत और उनके योगदान अमर रहेंगे। भारत के इस महान सपूत को पूरा देश सलाम करता है और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने की प्रेरणा लेता है।

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