रतन टाटा की दरियादिली: कोविड के संकट में खोल दिया था खजाना, देश के लिए बने मसीहा



कोविड महामारी में रतन टाटा और टाटा ग्रुप ने 1500 करोड़ रुपये की सहायता, PPE किट, वेंटिलेटर और मुफ्त इलाज के साथ देश की अभूतपूर्व मदद की।

संवाददाता मुदित प्रताप सिंह की रिपोर्ट

रतन टाटा की दरियादिली: कोविड के बुरे दौर में देश के लिए खोल दिया खजाना

कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। भारत में इस दौरान लाखों लोग इस घातक वायरस की चपेट में आए और कईयों ने अपनी जान गंवाई। ऐसा कठिन समय शायद ही कोई कभी भूल पाए। लेकिन जब देश इस महामारी के दौरान एक भयंकर संकट से गुजर रहा था, तब कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने अपनी सेवा, समर्थन और आर्थिक मदद से देश को राहत पहुंचाई। इनमें सबसे आगे नाम आता है रतन टाटा का, जिन्होंने अपनी दरियादिली से पूरे भारत का दिल जीत लिया।

टाटा ग्रुप की ऐतिहासिक मदद

कोविड के इस कठिन समय में जब देशभर में आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य समस्याएं विकराल रूप धारण कर रही थीं, रतन टाटा ने खुद आगे आकर 1500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का ऐलान किया। टाटा ग्रुप द्वारा यह सहायता सीधे कोविड से प्रभावित लोगों की मदद के लिए दी गई। उनकी कंपनी ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने, मेडिकल उपकरणों की कमी को दूर करने और गरीबों के लिए राहत सामग्री उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती

महामारी के शुरुआती दौर में देश को सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी। वेंटिलेटर, पीपीई किट, मास्क, दस्ताने और टेस्टिंग किट्स जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई थी। इस संकट को देखते हुए, टाटा ग्रुप ने चीन और अन्य देशों से हेल्थ इक्विपमेंट्स का बड़ा ऑर्डर दिया। इसमें एक हजार से अधिक वेंटिलेटर, 4 लाख से ज्यादा पीपीई किट्स, 3.5 मिलियन मास्क और दस्ताने, और 3.5 लाख कोविड टेस्टिंग किट्स मंगवाए गए।

टाटा ग्रुप की यह सहायता उन समय देश की स्वास्थ्य सेवाओं को एक बड़ा संबल प्रदान करने में सफल रही। इस कदम ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया बल्कि कई लोगों की जान बचाने में भी मदद की।

देशभर में गरीबों को भोजन और आश्रय की व्यवस्था

महामारी के समय जब लाखों लोग अपनी रोजी-रोटी से हाथ धो बैठे थे और बेघर हो गए थे, टाटा ग्रुप ने आगे आकर इन बेसहारा लोगों के लिए मुफ्त भोजन और आश्रय की व्यवस्था की। लॉकडाउन के दौरान लाखों गरीब परिवारों को रोजाना खाना और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान की गईं। यह कदम उन लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण साबित हुआ, जो महामारी के दौरान बुरी तरह प्रभावित हुए थे।

टाटा ग्रुप की इस विशाल मदद के कारण, देशभर के गरीब और असहाय लोग इस मुश्किल दौर में अपनी जिंदगी को सही दिशा में ले जा सके।

टाटा ग्रुप की मानसिकता: सेवा का आदर्श

टाटा ग्रुप की दरियादिली सिर्फ महामारी तक सीमित नहीं रही। यह समूह समय-समय पर विभिन्न सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी खुलकर आगे आया है। टाटा ग्रुप का मानना है कि समाज की सेवा और सहयोग करना उनके व्यवसाय की मुख्य मानसिकता है। रतन टाटा और उनकी कंपनी ने हमेशा यह सिद्ध किया है कि व्यवसाय केवल मुनाफा कमाने के लिए नहीं होता, बल्कि समाज की बेहतरी और लोगों की सहायता के लिए भी जिम्मेदार है।

कर्मचारियों के लिए खास योजनाएं

रतन टाटा ने इस मुश्किल समय में अपने कर्मचारियों को भी निराश नहीं किया। उन्होंने कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता दी और उनके लिए विशेष सहायता योजनाएं भी शुरू कीं। इनमें कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं, वित्तीय सहायता और सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करना शामिल था।

देश के रतन का अंतिम समय

रतन टाटा, जिनकी उम्र 86 वर्ष हो चुकी थी, पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। सोमवार को उन्हें लो ब्लड प्रेशर की शिकायत के चलते ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी स्थिति को लेकर स्पष्ट किया था कि वे ठीक हैं और लोगों को उनकी सेहत के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।

लेकिन बुधवार रात उनके निधन की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह खबर भारत के लिए एक बड़ी क्षति है, क्योंकि रतन टाटा न केवल एक उद्योगपति थे, बल्कि एक समाजसेवी और देशभक्त भी थे। उनकी दरियादिली और योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।

रतन टाटा की विरासत

रतन टाटा सिर्फ एक व्यवसायी नहीं थे, बल्कि वे एक प्रेरणा थे। उनका जीवन एक आदर्श है कि कैसे एक उद्योगपति समाज और देश की बेहतरी के लिए काम कर सकता है। कोविड-19 के दौरान उनकी दरियादिली और सहायता को देखकर पूरा देश उनका आभारी है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत के रूप में हमेशा बनी रहेगी।


रतन टाटा का कोविड-19 महामारी के दौरान दिया गया योगदान उनकी महानता और दरियादिली का प्रतीक है। उन्होंने सिर्फ अपने देशवासियों की मदद की, बल्कि एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया कि कैसे एक उद्योगपति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज की सेवा कर सकता है।

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