गंगा आरती में रतन टाटा को दी गई श्रद्धांजलि, अस्सी घाट पर 51 दीयों से सजी अंतिम विदाई



वाराणसी के अस्सी घाट पर रतन टाटा को श्रद्धांजलि, 51 दीये जलाकर दी अंतिम विदाई। उद्योग जगत और देश को अपूरणीय क्षति।


गंगा आरती में 'देश के रतन' रतन टाटा को दी गई श्रद्धांजलि, अस्सी घाट पर 51 दीयों से सजी अंतिम विदाई

वाराणसी, एक ऐसा शहर जहां संस्कृति, परंपरा और आस्था का संगम होता है। इस पावन धरती पर मां गंगा की आरती के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करने का तरीका सदियों पुराना है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वाराणसी के अस्सी घाट पर 51 दीये जलाकर देश के महान उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी गई। उनके निधन की खबर से न केवल उद्योग जगत बल्कि पूरा देश शोक में डूब गया है।

अस्सी घाट पर 51 दीये जलाकर दी गई विदाई

रतन टाटा, जिन्होंने भारतीय उद्योग जगत में अपना अमूल्य योगदान दिया, उनके निधन पर बनारस के लोगों ने अस्सी घाट पर 51 दीये जलाकर उन्हें अंतिम विदाई दी। जय मां गंगा सेवा समिति और ब्रह्म राष्ट्रम की ओर से आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। इस दौरान घाट पर पंडितों ने शांति मंत्रों का जाप किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए मां गंगा से प्रार्थना की।

रतन टाटा के लिए दो मिनट का मौन और मां गंगा से प्रार्थना

श्रद्धांजलि के इस मौके पर दो मिनट का मौन रखा गया। जय मां गंगा सेवा समिति के यश चतुर्वेदी ने कहा, "रतन टाटा का देश के विकास में योगदान अतुलनीय है। उन्होंने न केवल उद्योग जगत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि समाज के निचले तबके के लिए भी अनगिनत कार्य किए। उनकी इस यात्रा का समापन देश के लिए एक बड़ी क्षति है।"

ब्रह्म राष्ट्रम के कुशाग्र ने भी रतन टाटा की समाजसेवा और उनके नेतृत्व के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। हमने मां गंगा से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।"

पांच साल पहले काशी आए थे रतन टाटा

रतन टाटा का बनारस से भी एक खास रिश्ता था। करीब पांच साल पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वाराणसी आए थे। उस समय उन्होंने होमी भाभा कैंसर अस्पताल और मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर का उद्घाटन किया था। इस कार्यक्रम के दौरान रतन टाटा करीब एक घंटे तक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मौजूद रहे थे। यह अस्पताल वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों के कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ है।

रतन टाटा का काशी से विशेष संबंध

रतन टाटा का वाराणसी आना यहां के लोगों के लिए एक बड़ी घटना थी। जिस दिन उन्होंने अस्पताल का उद्घाटन किया था, उस दिन न केवल बनारस बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए यह खास अवसर था। होमी भाभा कैंसर अस्पताल, जो 350 बिस्तरों का है, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल के मरीजों के लिए एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र बनकर उभरा है। यह अस्पताल वाराणसी को कैंसर उपचार के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में स्थापित करता है।

रतन टाटा के योगदान को देश हमेशा करेगा याद

रतन टाटा का निधन सिर्फ एक उद्योगपति के चले जाने का शोक नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति का विदाई है जिन्होंने अपनी इंसानियत, विजन और लीडरशिप से देश की दिशा को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया। टाटा ग्रुप के माध्यम से उन्होंने कई समाजिक और औद्योगिक पहलों की शुरुआत की, जिन्होंने लाखों भारतीयों की जिंदगी में बदलाव लाया।

देशभर में जहां-जहां रतन टाटा के योगदान की बात की जाती है, वहां उनके समाज के प्रति उनके समर्पण का भी विशेष रूप से उल्लेख होता है। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में कई पहलें कीं। गरीब तबके के लोगों के लिए उन्होंने जिस तरह से काम किया, वह हमेशा याद रखा जाएगा।

समाज के लिए अपूरणीय क्षति

रतन टाटा के निधन ने देश को एक ऐसी क्षति दी है, जिसकी भरपाई शायद ही हो सके। उनके निधन पर न केवल उद्योग जगत बल्कि हर वो व्यक्ति दुखी है, जो उनके नेतृत्व और योगदान से प्रेरित रहा है।

बनारस के अस्सी घाट पर आयोजित यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम न केवल रतन टाटा के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक तरीका था, बल्कि यह उनके महान कार्यों की याद को संजोने का एक प्रयास भी था। बनारस के लोग हमेशा उन्हें उस खास दिन के लिए याद करेंगे, जब उन्होंने शहर के लिए वरदान स्वरूप कैंसर अस्पताल की नींव रखी थी।

अस्सी घाट पर बड़ी संख्या में मौजूद रहे पर्यटक और स्थानीय लोग

श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान अस्सी घाट पर बड़ी संख्या में लोग और पर्यटक भी उपस्थित रहे। घाट पर इस प्रकार का आयोजन वाराणसी के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को दर्शाता है। वहां मौजूद लोग रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित हुए थे, जो बताता है कि किस तरह से वह भारतीय समाज के हर वर्ग के दिलों में बसते थे।

क्या है गंगा आरती का महत्व?

गंगा आरती वाराणसी की एक अद्वितीय परंपरा है, जो हर रोज अस्सी और दशाश्वमेध घाट पर की जाती है। यह आरती मां गंगा के प्रति आस्था और सम्मान प्रकट करने का एक तरीका है। जब कोई विशेष व्यक्ति, जैसे रतन टाटा, जो समाज और देश के लिए इतना बड़ा योगदान कर चुका हो, उनका निधन होता है, तो गंगा आरती के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि देना बनारस के लोगों की अपनी एक अनूठी परंपरा है।

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