तांत्रिक के बहकावे में आकर माता-पिता ने दी मासूम की बलि, पुलिस जांच में जुटी




मुजफ्फरनगर में तांत्रिक के कहने पर माता-पिता ने सवा महीने की बेटी की बलि चढ़ा दी। पुलिस मामले की जांच कर रही है, बच्ची की लाश अभी तक नहीं मिली है।

मुजफ्फरनगर से दिल दहला देने वाली खबर: तांत्रिक के चक्कर में मासूम की बलि

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से एक बेहद चौंकाने वाली और खौफनाक घटना सामने आई है। एक दंपति ने तांत्रिक के बहकावे में आकर अपनी सवा महीने की मासूम बेटी की बलि चढ़ा दी। यह घटना न केवल इलाके के लोगों को हिला कर रख गई, बल्कि सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है। पुलिस ने आरोपी माता-पिता और तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन बच्ची की लाश अभी तक नहीं मिली है, जिससे जांच और भी पेचीदा हो गई है।

कैसे हुआ पूरा घटनाक्रम?

यह दर्दनाक घटना मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र के बेलड़ा गांव की है। गोपाल और उसकी पत्नी ममता ने अपनी बेटी शगुन की बलि तांत्रिक के कहने पर दी। बेटी के जन्म के बाद से ही ममता की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। गोपाल और ममता ने सोचा कि इसका कारण उनकी बेटी है, और तांत्रिक के झांसे में आ गए।

गांव वालों के अनुसार, गोपाल की पहली पत्नी का निधन हो चुका था, और उसने दूसरी शादी ममता से की थी। सवा महीने पहले ममता ने बेटी शगुन को जन्म दिया था। बेटी के जन्म के बाद से ममता की तबीयत खराब होने लगी, और इसी वजह से दोनों तांत्रिक के पास गए थे।

तांत्रिक के बहकावे में कैसे फंसे माता-पिता?

मंगलवार को गोपाल और ममता अपने इलाके के एक जाने-माने तांत्रिक से मिले, जिसने उन्हें कहा कि बेटी के कारण ममता की तबीयत खराब हो रही है। तांत्रिक ने उन्हें सलाह दी कि अगर वे अपनी बेटी की बलि दे देंगे तो उनकी समस्या हल हो जाएगी। इस घिनौनी सलाह को मानकर गोपाल और ममता ने अपनी मासूम बेटी को मारने का मन बना लिया।

बच्ची के कपड़े मिले, लाश अभी भी लापता

पुलिस को पड़ोसियों से जानकारी मिली कि बच्ची के रोने की आवाज काफी समय से सुनाई नहीं दे रही थी। बुधवार को पुलिस ने दंपति से पूछताछ शुरू की, जिसमें उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इसके बाद पुलिस ने दोनों के बताए स्थानों की जांच की और जंगल से बच्ची के कपड़े बरामद किए। लेकिन बच्ची की लाश का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।

कई जगहों पर बदले बयान, पुलिस को हुआ शक

पुलिस की जांच के दौरान माता-पिता बार-बार अपने बयान बदलते रहे। कभी वे कहते कि बच्ची को गंगनहर में फेंक दिया है, तो कभी बताते कि उसे किसी खेत में दबा दिया। इस बार-बार बदलते बयान से पुलिस को शक हो गया है कि शायद मामला कुछ और हो सकता है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि वे हर एंगल से जांच कर रहे हैं और जल्द ही सच सामने आएगा।

नरबलि का सच, तंत्र-मंत्र के जाल में फंसे लोग

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के चक्कर में लोग कैसे अपनी इंसानियत खो बैठते हैं। आज भी कई इलाकों में ऐसे तांत्रिक लोगों को बहकाकर उन्हें गलत रास्ते पर ले जाते हैं। मुजफ्फरनगर की यह घटना भी इसी मानसिकता का शिकार है, जहां एक मासूम की जान ले ली गई।

अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत

यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि समाज में फैले अंधविश्वास की गहरी जड़ें दिखाती है। ऐसे तांत्रिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है जो लोगों को मानसिक रूप से कमजोर बनाकर उन्हें अपराध के रास्ते पर ले जाते हैं। सरकार और प्रशासन को ऐसे मामलों में जागरूकता फैलाने और सख्त कानून लागू करने की जरूरत है।

नरबलि या कुछ और? पुलिस की जांच जारी

पुलिस अभी भी मामले की हर पहलू से जांच कर रही है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह नरबलि का मामला है, लेकिन वे सभी संभावित एंगल्स से इसकी जांच कर रहे हैं। हो सकता है कि मामला कुछ और हो। तीनों आरोपियों से सख्ती से पूछताछ की जा रही है और जल्द ही इस घटना का सच सामने आने की उम्मीद है।

इंसानियत पर सवाल

मुजफ्फरनगर की यह घटना पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाली है। एक तरफ हम 21वीं सदी में विज्ञान और तकनीक के नए आयाम छू रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अभी भी अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र के जाल में फंसकर मासूमों की जान ले रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी, और कब तक लोग अंधविश्वास के अंधेरे में जीते रहेंगे?


इस घटना से यह साफ होता है कि समाज में अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र के खिलाफ जागरूकता फैलाने की सख्त जरूरत है। प्रशासन को ऐसे मामलों में न सिर्फ त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।

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