उन्नाव में बिजली बिल बना जानलेवा! 1 लाख का बिल देखकर युवक ने की आत्महत्या, परिवार में मचा कोहराम



उन्नाव में बिजली बिल की लापरवाही ने ली जान! 1 लाख रुपए का बिल देखकर युवक ने आत्महत्या की। बिजली विभाग की लापरवाही उजागर।

उन्नाव में बिजली का भारी बिल देख युवक ने की आत्महत्या, परिवार ने विभाग को ठहराया जिम्मेदार

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां बिजली के भारी-भरकम बिल के चलते एक युवक ने आत्महत्या कर ली। अचलगंज थाना क्षेत्र के कुशलपुर वसैना गांव में रहने वाले शिवम राजपूत ने बिजली बिल की बढ़ती हुई राशि देखकर इतना मानसिक तनाव झेला कि अंततः उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है, और परिवार ने बिजली विभाग को इस त्रासदी के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है।

1 लाख से ज्यादा का बिजली बिल बना मौत का कारण

शिवम राजपूत, जो एक मजदूर था और अपने परिवार का पालन-पोषण करता था, उसे सितंबर 2024 में बिजली विभाग की ओर से 1 लाख 9 हजार 221 रुपए का बिजली का बिल भेजा गया था। यह बिल घर में सिर्फ दो बल्ब, एक पंखा और एक टीवी का उपयोग करने के बावजूद आया, जो न केवल अव्यावहारिक था बल्कि शिवम के लिए असहनीय बन गया। 

शिवम के पिता महादेव ने बताया कि पिछले महीने ही बढ़े हुए बिजली बिल के कारण शिवम परेशान रहने लगा था। शिकायत करने के बाद बिल को घटाकर 16,377 रुपए कर दिया गया, जिसे शिवम ने 14 सितंबर को जमा कर दिया। लेकिन यह समस्या यहीं खत्म नहीं हुई। 7 अक्टूबर को फिर से बिजली विभाग की ओर से 8,223 रुपए का नया बिल भेजा गया, जिससे शिवम मानसिक रूप से और अधिक परेशान हो गया और उसने खुदकुशी करने का कठोर कदम उठाया।

शिवम का परिवार अब सवालों के घेरे में है

घटना के बाद शिवम के पिता महादेव का कहना है कि उनके बेटे की मौत के लिए बिजली विभाग सीधे तौर पर जिम्मेदार है। "मेरे बेटे ने 2022 में 600 रुपए जमा करके बिजली का कनेक्शन लिया था। हमारे घर में सिर्फ दो बल्ब, एक पंखा और एक टीवी है, फिर भी 1 लाख से ज्यादा का बिल भेज दिया गया। आखिर कैसे यह संभव हो सकता है?" महादेव ने सवाल उठाया। 

जब महादेव खेत में काम कर रहे थे, उस समय शिवम ने घर के भूसा वाले कमरे में जाकर कुंडे से लटक कर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद परिवार में शोक का माहौल है, और पूरे गांव में मातम छा गया है।

बिजली विभाग की प्रतिक्रिया: "तकनीकी कमी" बनी जानलेवा

इस पूरे मामले में बिजली विभाग की लापरवाही स्पष्ट रूप से नजर आ रही है। शुरुआती जांच के अनुसार, बिजली विभाग के अधिकारियों ने माना कि बिल की गणना में तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है। अधिकारी ने कहा, "8,223 रुपए का बिल असल में सिर्फ 150 रुपए का था, लेकिन ऑनलाइन सिस्टम की तकनीकी कमी के कारण गलत बिल जनरेट हो गया।" 

हालांकि, यह स्पष्टीकरण अब शिवम की जान वापस नहीं ला सकता। स्थानीय लोगों और शिवम के परिवार का कहना है कि इस तरह की त्रुटियां आम हो गई हैं और कई बार गरीब लोगों को भारी मानसिक और आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। 

परिवार का आरोप और न्याय की मांग

शिवम के परिवार ने साफ-साफ कहा है कि उनके बेटे की मौत के लिए बिजली विभाग सीधे तौर पर जिम्मेदार है। "बिजली विभाग की लापरवाही ने हमारे घर का चिराग बुझा दिया," शिवम की मां ने रोते हुए कहा। परिवार ने इस घटना के लिए बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और न्याय की गुहार लगाई है।

ऐसे कई मामले पहले भी आए सामने

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग की लापरवाही से जुड़े मामले पहले भी कई बार सामने आए हैं, जहां भारी-भरकम बिलों के चलते लोगों को मानसिक तनाव झेलना पड़ा है। बढ़े हुए बिलों के कारण कई बार परिवार आर्थिक तंगी में आ जाते हैं, और इस बार यह तनाव जानलेवा साबित हुआ। 

बिजली बिलों का बढ़ता संकट: क्या है समाधान?

यह घटना सिर्फ एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश में बढ़ते बिजली बिल संकट का एक उदाहरण है। कई गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार ऐसे ही बढ़े हुए बिलों के कारण मानसिक तनाव में जी रहे हैं। प्रदेश में बिजली विभाग की लापरवाही और तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह समस्या और भी विकराल होती जा रही है। 

समाज के कई वर्गों ने बिजली विभाग से मांग की है कि वह जल्द से जल्द अपने बिलिंग सिस्टम को दुरुस्त करे और ऐसे मामलों में जिम्मेदारी तय की जाए ताकि किसी और परिवार को इस तरह की दर्दनाक त्रासदी का सामना न करना पड़े।

बिजली विभाग की लापरवाही का अंत कब?

इस घटना ने पूरे राज्य में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर कब तक ऐसे गलत बिलों के चलते लोगों की जानें जाती रहेंगी? बिजली विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी तकनीकी त्रुटियों के कारण लोगों को मानसिक तनाव और आत्महत्या जैसी चरम स्थितियों का सामना न करना पड़े। 

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब समय आ गया है जब प्रशासन और बिजली विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना होगा और उपभोक्ताओं की समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा।

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