वाराणसी में साईं बाबा की मूर्तियों का विरोध: 14 मंदिरों से हटाई गईं मूर्तियां, मुस्लिम-सनातन विवाद!




वाराणसी के 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाई गईं। हिंदू संगठनों का दावा, साईं बाबा मुस्लिम संत थे, सनातन धर्म से उनका संबंध नहीं।


उत्तर प्रदेश के वाराणसी में साईं बाबा की मूर्तियों को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। हिंदू संगठनों ने 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का दावा किया है, और वे अभी 28 और मंदिरों से मूर्तियां हटाने की तैयारी में हैं। संगठनों का तर्क है कि साईं बाबा मुस्लिम संत थे, जिन्हें चांद बाबा के नाम से जाना जाता था, और इसलिए उनकी पूजा सनातन धर्म के मंदिरों में नहीं की जा सकती।

इस विवाद की शुरुआत वाराणसी के बड़ा गणेश मंदिर से हुई, जहां से रविवार देर रात साईं बाबा की प्रतिमा यह कहकर हटा दी गई कि सनातन धर्म में उनकी पूजा शास्त्र सम्मत नहीं है। सनातन रक्षक दल और केंद्रीय ब्राह्मण सभा इस मुहिम का नेतृत्व कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर किसी की आस्था साईं बाबा में है, तो वे उनके लिए अलग मंदिर बना सकते हैं, लेकिन सनातन धर्म के मंदिरों में साईं की मूर्तियां स्वीकार्य नहीं हैं।

10 साल पुराना विवाद फिर से उभरा

यह विवाद कोई नया नहीं है। 2014 में द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा की पूजा का विरोध करते हुए कहा था कि सनातन धर्म में केवल भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा होती है। साईं बाबा न तो अवतार हैं और न ही वे सनातन धर्म के आदर्श हैं क्योंकि वे मुस्लिम थे और मांसाहार करते थे। यह मुद्दा अब एक बार फिर तूल पकड़ता जा रहा है।

समाजवादी पार्टी के नेता एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने इस पूरे विवाद को भारतीय जनता पार्टी द्वारा लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने की साजिश बताया है। उनका कहना है कि यह पूरा विवाद भाजपा के इशारे पर हिंदू संगठनों द्वारा उठाया जा रहा है।


वाराणसी के मंदिरों में साईं बाबा की मूर्तियों को लेकर चल रहा यह विवाद हिंदू संगठनों और सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच मतभेद का प्रतीक बन चुका है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और क्या साईं बाबा की मूर्तियों का समर्थन करने वाले इस फैसले को चुनौती देंगे।

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