गाजियाबाद पुलिस ने 30 साल बाद 7 साल की उम्र में किडनैप हुए राजू को उसके परिवार से मिलवाया। संघर्ष भरी कहानी सुन सभी हुए भावुक।
30 साल का इंतजार खत्म: किडनैप हुए मासूम की दिल छू लेने वाली कहानी
गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में 30 साल बाद एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। एक मां-बाप और तीन बहनों ने अपने बेटे और भाई को 30 साल के लंबे इंतजार के बाद गले लगाया। यह वही बेटा था, जिसे 1993 में महज 7 साल की उम्र में किडनैप कर लिया गया था।
1993: जब मासूम राजू हुआ था अगवा
घटना 8 सितंबर 1993 की है। साहिबाबाद के शहीदनगर में रहने वाले तुलाराम के परिवार पर यह दुखों का पहाड़ टूटा। तुलाराम, जो बिजली विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी हैं, उनके बेटे राजू को स्कूल से लौटते समय एक ऑटो गैंग ने अगवा कर लिया।
परिवार ने उसकी खोजबीन शुरू की। पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और यहां तक कि 7.40 लाख रुपये की फिरौती की मांग का पत्र भी मिला। लेकिन, कोई संपर्क नहीं हुआ। समय बीतता गया और परिवार ने मान लिया कि शायद राजू अब कभी वापस नहीं लौटेगा।
कैसे बीते 30 साल: राजू की दर्दभरी आपबीती
चार दिन पहले, साहिबाबाद थाने में एक युवक ने आकर अपनी पहचान बताई। उसके बाजू पर 'राजू' लिखा हुआ टैटू पुलिस को उसकी पहचान की कड़ी बना। युवक ने बताया कि किडनैपर्स ने उसे राजस्थान के जैसलमेर ले जाकर एक व्यक्ति को सौंप दिया।
राजू ने बताया, "मुझे वहां भेड़-बकरी चराने का काम दिया गया। दिन में सिर्फ एक रोटी और चाय दी जाती थी। कई बार भूखा रहना पड़ता था। घरवालों को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं कर पाया।"
खोड़ा थाने से साहिबाबाद तक: कैसे हुआ परिवार से मिलन
राजू ने बताया कि जैसे-तैसे उसने कुछ साल पहले जैसलमेर से भागकर खोड़ा थाने में अपनी आपबीती सुनाई। लेकिन, उसकी पहचान सुनिश्चित करने में समय लग गया। पुलिस ने साहिबाबाद थाने में जानकारी दी, जहां तुलाराम के परिवार ने उसे पहचाना।
तुलाराम और उनकी पत्नी अपने बेटे को सामने देखकर भावुक हो गए। तीनों बहनें अपने भाई से लिपट पड़ीं। यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
परिवार ने मनाई खुशियां, राजू के साथ नई शुरुआत की तैयारी
राजू की मां ने कहा, "हमें कभी उम्मीद नहीं थी कि हमारा बेटा फिर से लौटेगा। भगवान का लाख-लाख शुक्र है।"
परिवार ने बताया कि अब वे राजू को बेहतर जिंदगी देने की कोशिश करेंगे और बीते समय को भुलाकर नई शुरुआत करेंगे।
पुलिस की भूमिका और जनता का रिएक्शन
गाजियाबाद पुलिस की भूमिका इस पूरे मामले में सराहनीय रही। कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने राजू को उसके परिवार से मिलवाया। स्थानीय लोगों ने पुलिस की प्रशंसा की और इस मामले को चमत्कारिक बताया।
जो लोग इस दृश्य का गवाह बने, वे इसे कभी नहीं भूल पाएंगे।
यह कहानी एक परिवार की भावनाओं और पुलिस की कड़ी मेहनत का प्रतीक है। 30 साल के लंबे इंतजार के बाद एक मां-बाप और तीन बहनों को उनका खोया हुआ राजू मिल गया। राजू की कहानी हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देती है जो मुश्किल हालातों में भी हार नहीं मानता।
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