426वां युगऋषि वाङ्मय की स्थापना लखनऊ के यशराज इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी में गायत्री परिवार के ज्ञान यज्ञ अभियान के तहत हुई।
लखनऊ, 12 नवंबर 2024: लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित गायत्री ज्ञान मंदिर द्वारा चलाए जा रहे विचार क्रांति ज्ञान यज्ञ अभियान के अंतर्गत, यशराज इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, गोमती नगर विस्तार, लखनऊ में 426वें युगऋषि वाङ्मय की स्थापना समारोह का आयोजन किया गया। इस ज्ञान यज्ञ का उद्देश्य समाज में नैतिकता और सदाचार के मूल्यों का प्रसार करना है, जो आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुका है। इस दौरान संस्थान के केन्द्रीय पुस्तकालय में गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित सम्पूर्ण 79 खंडों का वाङ्मय साहित्य स्थापित किया गया।
कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि गायत्री परिवार की सक्रीय कार्यकर्त्री श्रीमती इंदिरा देवी ने अपने प्रिय जीवन साथी स्व. गुलाब चन्द्र की स्मृति में यह महत्वपूर्ण साहित्य भेंट किया। इस अवसर पर उन्होंने संस्थान के सभी छात्र-छात्राओं, संकाय सदस्यों, विभागाध्यक्षों और फार्मेसी के अधिकारियों को अखण्ड ज्योति पत्रिका भी प्रदान की, जो नैतिक शिक्षा और विचार क्रांति का संदेश देती है।
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं के विचार:
इस अवसर पर वाङ्मय स्थापना अभियान के मुख्य संयोजक श्री उमानंद शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा, "ऋषि साहित्य नैतिक शिक्षा प्रदान करता है।" उनका मानना है कि आज के समय में नैतिकता का ह्रास हो रहा है और इस तरह के साहित्य के माध्यम से समाज में नैतिकता की पुनः स्थापना की जा सकती है।
डॉ. नीलम गुप्ता और संस्थान के निदेशक डॉ. स्वदेश कुमार अहिरवार ने भी अपने विचार रखे और इस प्रयास की सराहना की। डॉ. नीलम गुप्ता ने कहा कि यह साहित्य छात्र-छात्राओं को न केवल मानसिक बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त बनाएगा। कार्यक्रम में बी.एड. विभाग के प्रमुख श्री ओ.पी. यादव ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन देते हुए इस आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला।
उपस्थित गणमान्य:
इस भव्य आयोजन में गायत्री परिवार के मुख्य संयोजक उमानंद शर्मा, देवेन्द्र सिंह, विजय, चेयरमैन श्री अभय प्रताप सिंह, वॉयस चेयरमैन श्री योगेश प्रताप सिंह, प्रबंध निदेशक श्री एस. ठाकुर, विभागध्यक्ष डॉ. सुभम पाण्डेय, संकाय सदस्य, चिकित्सकगण और संस्थान के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। यह आयोजन केवल एक साहित्यिक स्थापना नहीं बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए एक प्रेरणादायक संदेश था कि नैतिक शिक्षा ही किसी राष्ट्र की रीढ़ होती है।
युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य और उनके द्वारा रचित साहित्य का महत्व:
गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने समाज में नैतिकता और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए यह साहित्य रचा। उनके विचारों का संकलन इस 79 खंडों के साहित्य में निहित है, जो मनुष्य के भीतर छिपे मानवीय मूल्यों और नैतिकता को प्रकट करता है। उनका यह साहित्य जीवन के हर पहलू में विचार क्रांति और आत्म-उन्नति का मार्ग दिखाता है।
ऋषि साहित्य का प्रभाव:
ऋषि साहित्य के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए गायत्री परिवार का यह प्रयास सराहनीय है। नैतिकता, संयम, सेवा और सदाचार जैसे उच्च मूल्यों का प्रसार ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है। इस प्रकार के साहित्य का संस्थानों में स्थापित होना छात्र-छात्राओं को न केवल ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित भी करता है।
अंतिम विचार और भविष्य की दिशा:
विचार क्रांति ज्ञान यज्ञ अभियान का यह आयोजन एक ऐसा प्रयास है जो आगे भी जारी रहेगा। यह अभियान न केवल लखनऊ में बल्कि देश के अन्य भागों में भी इस तरह के साहित्य की स्थापना के द्वारा समाज में एक नई क्रांति का संचार कर रहा है। गायत्री परिवार का यह कदम राष्ट्र निर्माण में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
समाज में नैतिकता की आवश्यकता:
आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में नैतिक मूल्यों का ह्रास तेजी से हो रहा है। ऐसे में ऋषि साहित्य और उसके संदेश अत्यंत प्रासंगिक हैं। समाज को नैतिकता के पथ पर अग्रसर करने के लिए इस तरह के साहित्य का प्रचार-प्रसार अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गायत्री ज्ञान मंदिर के द्वारा यशराज इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी में 426वें युगऋषि वाङ्मय की स्थापना एक महान पहल है। यह कदम समाज में नैतिकता के पुनर्स्थापन की दिशा में प्रेरणादायक है।
0 टिप्पणियाँ