बाराबंकी में पराली जलाने के मामलों में सख्त कार्रवाई जारी है। अब तक 13 मुकदमे, 2.5 लाख का जुर्माना और कंबाइन हार्वेस्टर मशीनें सीज की गई हैं।
बाराबंकी में खेतों में पराली जलाने पर प्रशासन का शिकंजा, किसानों पर मुकदमे और जुर्माना
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश: पराली जलाने के चलते पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए बाराबंकी प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। इस साल पराली जलाने के मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन और कृषि विभाग ने इसे रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। इन उपायों के तहत 13 किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं और करीब 2.5 लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया गया है।
उपकृषि निदेशक प्रसार श्रवण कुमार ने कहा कि किसानों को खेतों में पराली जलाने से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कई सीबीजी प्लांट्स स्थापित किए गए हैं, जहां किसानों से पराली एकत्र की जाती है। अब तक करीब 15 हजार मीट्रिक टन पराली एकत्र की जा चुकी है, जिसे पर्यावरण के अनुकूल तरीके से नष्ट किया जाएगा।
कठोर नियमों के साथ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई
बाराबंकी में पराली और कूड़ा-करकट जलाने के 89 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 43 मामलों में पराली जलाने की पुष्टि हुई है। प्रशासन ने अब तक 13 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जबकि 10 बिना स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) वाली कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों को भी सीज कर दिया गया है।
प्रशासन ने यह भी निर्देश दिए हैं कि पराली जलाने वाले किसानों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी और किसी भी तरह का उल्लंघन पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पराली जलाना क्यों है नुकसानदायक?
पराली जलाने से न केवल वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और मीथेन जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने के बजाय, इसे नष्ट करने के अन्य विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है। इससे खेतों की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है और वातावरण भी शुद्ध रहता है।
सीबीजी प्लांट्स से हो रहा पराली का प्रबंधन
बाराबंकी जिले में स्थापित सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) प्लांट्स में किसानों से पराली एकत्र की जा रही है। इन प्लांट्स के माध्यम से पराली को बायोगैस में परिवर्तित किया जाता है, जो पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से लाभकारी होता है। इस साल करीब 15 हजार मीट्रिक टन से अधिक पराली इन प्लांट्स में पहुंचाई गई है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
प्रशासन ने किसानों से की अपील
कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों से अपील की है कि वे अपने खेतों में पराली न जलाएं। इसके बजाय पराली के प्रबंधन के लिए विभिन्न विकल्पों का इस्तेमाल करें। उपकृषि निदेशक प्रसार श्रवण कुमार ने कहा कि सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिनका लाभ लेकर वे पराली के निस्तारण में योगदान दे सकते हैं।
किसानों के लिए पराली जलाने से बचने के अन्य विकल्प
किसानों के लिए पराली जलाने से बचने के कई विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे कि:
1. प्लाऊ और हैप्पी सीडर का उपयोग - खेत में पराली को नष्ट करने के लिए कई मशीनें उपलब्ध हैं।
2. पौध पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण - पराली को मिट्टी में मिलाकर प्राकृतिक खाद बनाया जा सकता है।
3. गौशालाओं और मशरूम उत्पादन केंद्रों में उपयोग - पराली को पशु आहार और मशरूम उत्पादन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
पराली जलाने पर प्रशासन की सख्ती जारी रहेगी
प्रशासन का कहना है कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए लगातार निगरानी की जाएगी। किसी भी किसान को नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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