दिल्ली प्रदूषण: लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय या चाहिए टिकाऊ समाधान?



दिल्ली लॉकडाउन: प्रदूषण पर लगाम या सिर्फ दिखावा? जानिए एक्सपर्ट की राय


दिल्ली में प्रदूषण से हाहाकार, AQI 400 पार। लॉकडाउन बनेगा समाधान या चाहिए ठोस कदम? जानिए एक्सपर्ट्स की राय और स्थायी समाधान।

दिल्ली की हवा फिर से जहरीली हो चुकी है। बढ़ते वायु प्रदूषण ने राष्ट्रीय राजधानी को गैस चैंबर में बदल दिया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार जा चुका है, जो गंभीर श्रेणी को भी पार कर ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या लॉकडाउन ही इस समस्या का स्थायी समाधान है, या दिल्ली को प्रदूषण से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है?

दिल्ली की जहरीली हवा: हर सांस 40 सिगरेट के बराबर

वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक है। विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल्ली की हवा में सांस लेना हर दिन 30-40 सिगरेट पीने के बराबर है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के अनुसार, दिल्ली के लोगों की औसत उम्र वायु प्रदूषण के कारण 10 साल तक कम हो रही है।

लॉकडाउन: समाधान या अस्थायी राहत?

2020 में कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में दिल्ली ने साफ हवा और नीला आसमान देखा था। प्रदूषण के स्तर में बड़ी गिरावट दर्ज हुई थी। उदाहरण के तौर पर, आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर 300 से घटकर 101 पर आ गया था। लेकिन क्या यह स्थायी समाधान हो सकता है?

डॉ. शुचिन बजाज का कहना है कि लॉकडाउन से प्रदूषण पर अस्थायी लगाम लगाई जा सकती है, लेकिन इससे गरीबों पर आर्थिक संकट बढ़ता है। उन्होंने ब्रिटेन के ग्रेट स्मॉग का उदाहरण दिया, जहां ठोस सरकारी नीतियों ने प्रदूषण पर काबू पाया। इसी तरह, चीन ने 2013 में प्रदूषण के खिलाफ योजना बनाकर 2022 तक बीजिंग का AQI 30 तक ला दिया।

प्रदूषण के प्रमुख कारण

1. पराली जलाना: दिल्ली के प्रदूषण में 35% योगदान।


2. वाहनों से निकलता धुआं: दिल्ली की सड़कों पर 1 करोड़ से अधिक वाहन।


3. निर्माण कार्य: धूल और गंदगी में बढ़ोतरी।


4. स्थिर वायु: सर्दियों में ठंडी और स्थिर हवा प्रदूषण बढ़ाती है।



क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

डॉ. शमित गुप्ता कहते हैं कि लॉकडाउन के बावजूद पराली जलाने और अन्य समस्याओं पर काबू नहीं पाया जा सकता। प्रदूषण के स्थायी समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ठोस नीतियां आवश्यक हैं।

समाधान क्या हो सकते हैं?

1. सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा

सार्वजनिक परिवहन को सस्ता और सुलभ बनाना होगा।

निजी वाहनों पर निर्भरता कम करनी होगी।


2. पराली जलाने पर रोक

किसानों को पराली जलाने के विकल्प प्रदान करना।

पराली खरीदने के लिए सरकारी योजनाएं।


3. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना।

पेट्रोल-डीजल वाहनों पर निर्भरता घटाना।


4. कठोर नीतियां और जागरूकता

प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त जुर्माने।

जनता को स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक करना।


दिल्ली को चाहिए राजनीतिक इच्छाशक्ति

डॉ. बजाज का मानना है कि दिल्ली को लंदन और बीजिंग से प्रेरणा लेनी चाहिए। राजनीतिक संकल्प और सही योजना से वायु प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है।

प्रदूषण का स्वास्थ्य पर असर

लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल के अनुसार, प्रदूषण सबराकनॉइड हैमरेज (SAH) जैसी घातक बीमारियों का कारण बनता है। प्रदूषित हवा से फेफड़ों और दिल पर सीधा असर पड़ता है, जिससे कैंसर, हृदयाघात और अन्य गंभीर रोग हो सकते हैं।

दिल्ली को साफ हवा के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है। लॉकडाउन केवल अस्थायी राहत दे सकता है। स्थायी समाधान के लिए सरकार, विशेषज्ञ और जनता को मिलकर प्रयास करने होंगे।

"दिल्ली को यदि प्रदूषण मुक्त बनाना है, तो राजनीतिक इच्छाशक्ति और मजबूत नीतियों के बिना यह संभव नहीं।"

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