झांसी NICU हादसा: 10 मासूमों की मौत का सच कब आएगा सामने? हाई-पावर कमेटी करेगी बड़ा खुलासा



झांसी मेडिकल कॉलेज NICU हादसे में 10 बच्चों की मौत से हड़कंप, हाई-पावर कमेटी करेगी जांच। शॉर्ट सर्किट बनी वजह या लापरवाही? पढ़ें पूरी खबर।


झांसी NICU में आग: 10 बच्चों की मौत से देश में मातम, कौन है जिम्मेदार?

उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में शुक्रवार रात लगी आग में 10 मासूमों की जान चली गई। हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। हादसे के समय NICU में 54 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 30 बच्चे झुलस गए। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

हादसे की वजह: शॉर्ट सर्किट या सिस्टम की लापरवाही?

शुरुआती जांच में पता चला है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। लेकिन सवाल उठता है कि क्या अस्पताल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्थाएं पर्याप्त थीं? विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट नियमित रूप से नहीं होता, जिससे ऐसी घटनाएं घटती हैं।

राज्य सरकार ने इस हादसे की जिम्मेदारी तय करने और घटना की तह तक जाने के लिए एक हाई-पावर कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सात दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।

कौन कर रहा है जांच?

उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे की जांच के लिए जो कमेटी बनाई है, उसकी अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह करेंगी। कमेटी में स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, "जांच में दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए जाएंगे।"

हादसे के बाद सरकार की सक्रियता

हादसे के तुरंत बाद राज्य सरकार ने सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी चेक के आदेश जारी किए हैं। सभी जिलों में फायर सेफ्टी अधिकारियों को तैनात कर अस्पतालों की जांच कराई जा रही है। प्रारंभिक जांच में कई अस्पतालों में सुरक्षा खामियां पाई गई हैं।

शनिवार को अस्पताल प्रबंधन को इन खामियों को दूर करने के निर्देश दिए गए। सभी जिलों की रिपोर्ट एकत्र कर सरकार को सौंपी जाएगी।

पीड़ित परिवारों को मुआवजा और मदद

उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और झुलसे हुए बच्चों के परिजनों को 50 हजार रुपये की मदद का ऐलान किया है। इसके साथ ही सभी घायलों का इलाज सरकार के खर्चे पर किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने भी मृतकों के परिवारों को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2 लाख रुपये देने की घोषणा की है।

अस्पतालों में सुरक्षा पर सवाल

इस हादसे ने देशभर के अस्पतालों में फायर सेफ्टी उपायों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को हर अस्पताल में फायर सेफ्टी ऑडिट को अनिवार्य बनाना चाहिए।

अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की सुरक्षा के लिए फायर डिटेक्शन सिस्टम, इमरजेंसी एग्जिट, और ट्रेनिंग प्रोग्राम जैसे उपायों को लागू करना जरूरी है।


अधिकारियों की लापरवाही या सिस्टम फेलियर?

झांसी हादसा सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है। यदि समय रहते सुरक्षा उपाय किए गए होते, तो शायद आज 10 मासूम जिंदगियां बच सकती थीं।

यह हादसा हमें चेतावनी देता है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।

क्या इस घटना से सरकार और अस्पताल प्रबंधन सबक लेंगे? यह तो हाई-पावर कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा।

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