लोकगायिका शारदा सिन्हा के निधन पर पीएम मोदी समेत सभी प्रमुख नेताओं ने जताया शोक। संगीत जगत को हुई अपूरणीय क्षति।
देश की प्रसिद्ध लोकगायिका और बिहार की "कोकिला" शारदा सिन्हा का मंगलवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। उनकी उम्र 68 वर्ष थी, और वे पिछले कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार थीं। उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। शारदा सिन्हा को उनके गीतों में मैथिली और भोजपुरी संस्कृति की सुगंध भरने के लिए जाना जाता था। उनके जाने से लोक संगीत के एक युग का अंत हो गया है। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह सहित कई राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है।
पीएम मोदी ने शारदा सिन्हा को दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, "लोकगायिका शारदा सिन्हा जी का जाना संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी गीत आने वाली पीढ़ियों के लिए धरोहर हैं।" प्रधानमंत्री ने उन्हें भारतीय लोक संगीत का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके संदेश में इस बात का स्पष्ट संकेत था कि संगीत प्रेमियों के लिए यह एक व्यक्तिगत क्षति के समान है।
राजनाथ सिंह, अमित शाह और अन्य दिग्गजों ने भी जताया शोक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शारदा सिन्हा के निधन को संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा, "शारदा सिन्हा का जाना लोकगीतों के क्षेत्र में एक प्रभावी स्वर का खो जाना है।" वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "उनकी मधुर आवाज़ ने पिछले पांच दशकों से भारतीय संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है।" अमित शाह ने उन्हें "बिहार कोकिला" का खिताब देते हुए कहा कि उनकी आवाज के बिना पूर्वांचल के लोक संस्कार अधूरे हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें "बिहार की आत्मा" कहा। लालू यादव ने कहा, "शारदा सिन्हा का जाना बिहार के हर संगीत प्रेमी के लिए एक गहरा आघात है।" इसके अलावा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस पार्टी, और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उनके निधन पर शोक जताया।
शारदा सिन्हा की गायकी: एक विरासत
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में हुआ था, और उनकी कला ने देश-विदेश में उन्हें लोकप्रियता दिलाई। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी और हिंदी के लोक गीतों को अपनी सुरीली आवाज़ में गाया। उनकी पहचान उनके गाए छठ गीतों और भोजपुरी शादियों के गीतों के लिए थी। उन्होंने छठ पूजा, विवाह और अन्य त्यौहारों के गीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान दिलाई। अपने गीतों से वह गांव-गांव में लोगों के दिलों में बस गईं।
उनके प्रसिद्ध गीतों में "पीयरिया के पतरिया", "काहे तोसे मीत लागी", और "दरशा के तू बास" शामिल हैं। उनकी आवाज का जादू सिर्फ उनके चाहने वालों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि बॉलीवुड में भी उनके योगदान ने उन्हें और अधिक पहचान दिलाई। उन्हें "पद्मभूषण" और "पद्मश्री" जैसे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
संगीत जगत को भारी क्षति
शारदा सिन्हा के निधन से लोक संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी आवाज़ और उनके गीत, उनके चाहने वालों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। उनके द्वारा गाए गीतों में न सिर्फ संगीत, बल्कि बिहार और उत्तर भारत की मिट्टी की महक भी महसूस होती है।
उनका जाना बिहार और उत्तर प्रदेश के लोक संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके निधन से संगीत की दुनिया में एक खालीपन सा आ गया है, जिसे भरना अब असंभव सा प्रतीत होता है।
अंतिम संस्कार और परिवार का बयान
शारदा सिन्हा के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली स्थित उनके निवास पर रखा गया है, जहां उनके चाहने वाले श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंच रहे हैं। उनके परिवार ने उनके निधन पर एक बयान जारी किया और कहा कि "यह हमारे परिवार के लिए एक बेहद कठिन समय है। हम चाहते हैं कि लोग उनकी स्मृतियों को सजीव रखें और उनके गीतों को सुनकर उनकी आत्मा को शांति दें।"
उनके परिवार के अनुसार, शारदा सिन्हा ने अपने जीवन को भारतीय लोक संगीत को समर्पित किया और उनकी यही कामना थी कि उनके गीतों को लोग हमेशा दिल से गुनगुनाएं।
शारदा सिन्हा के निधन पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के तमाम हिस्सों में लोग शोक मना रहे हैं। उनके निधन के बाद अब संगीत प्रेमियों को उनके गीतों के माध्यम से ही उनकी यादें संजोए रखनी होंगी।
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