सीतापुर में अवैध खनन पर छापा मारने गईं महिला अधिकारी पर खनन माफियाओं का हमला, मोबाइल तोड़ा, धमकी देकर फरार।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में अवैध खनन का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में खनन माफियाओं द्वारा एक महिला खनन अधिकारी पर हमले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस हमले में महिला अधिकारी का मोबाइल छीनकर तोड़ दिया गया और जान से मारने की धमकी देकर आरोपी मौके से फरार हो गए। यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े करती है।
घटना का विवरण
सीतापुर के रामकोट थाना क्षेत्र में तैनात जिला खनन अधिकारी शालिनी कुमारी ने अवैध खनन की शिकायत पर छापेमारी के लिए 6 नवंबर की रात लगभग एक बजे धनईखेड़ा गांव का दौरा किया। सूचना के आधार पर टीम ने मौके पर पाया कि निर्धारित जगह को छोड़कर अन्य जगहों पर जेसीबी मशीनों से अवैध खनन किया जा रहा है। जैसे ही महिला अधिकारी और उनकी टीम ने अपनी कार्रवाई शुरू की, खनन माफियाओं को इसकी भनक लग गई।
अर्जित शुक्ला और उनके साथियों का हमला
जैसे ही माफियाओं को छापेमारी की जानकारी मिली, उन्होंने फौरन अर्जित शुक्ला उर्फ छोटे भैया और उनके साथी दिवाकर प्रसाद को सूचित कर दिया। अधिकारी के मुताबिक, आरोपियों ने मौके पर पहुंचकर न केवल बदसलूकी की बल्कि उनका मोबाइल फोन भी पटककर तोड़ दिया।
अर्जित शुक्ला और उनके साथियों ने महिला अधिकारी को जमीन पर गिराकर छेड़छाड़ की कोशिश की। वहीं, खनन अधिकारी की टीम के अन्य सदस्य जब उनके बचाव में आए, तो आरोपियों ने उनसे भी मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद आरोपी जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गए।
पुलिस ने दर्ज की FIR, तीन लोग गिरफ्तार
महिला अधिकारी की शिकायत पर रामकोट थाने में अर्जित शुक्ला और दिवाकर प्रसाद के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और मौके पर मौजूद जेसीबी, ट्रैक्टर, डंपर सहित अन्य गाड़ियाँ भी जब्त कर लीं।
हालांकि, मुख्य आरोपी अर्जित शुक्ला अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जल्द से जल्द मुख्य आरोपी को पकड़ लिया जाएगा।
अवैध खनन की बढ़ती समस्या और प्रशासन की चुनौतियां
सीतापुर और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में अवैध खनन का मामला वर्षों से गंभीर समस्या बना हुआ है। प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई के बावजूद माफिया इस प्रकार के अवैध कार्यों को अंजाम देते हैं। खनन माफियाओं का एक संगठित गिरोह राज्य में सक्रिय है जो स्थानीय कानून प्रवर्तन को धता बताते हुए अवैध खनन में लिप्त है।
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में अवैध खनन के मामलों में तेजी आई है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। सरकार और स्थानीय प्रशासन की कोशिशों के बावजूद अवैध खनन माफियाओं की गतिविधियां कम होने का नाम नहीं ले रहीं।
कानून व्यवस्था के लिए एक चुनौती
इस घटना ने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सरकार ने अवैध खनन पर रोकथाम के लिए कई कदम उठाए हैं, परंतु अभी भी खनन माफिया कानून का उल्लंघन करने से नहीं चूकते।
अवैध खनन माफियाओं का आतंक सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में फैला हुआ है। सीतापुर की घटना एक और उदाहरण है, जहां एक महिला अधिकारी को अपने कर्तव्य का पालन करते हुए खनन माफियाओं के हाथों बदसलूकी का सामना करना पड़ा। ऐसे में पुलिस और प्रशासन के लिए यह चुनौती बन चुकी है कि वे अवैध खनन को जड़ से खत्म करने के लिए और सख्त कदम उठाएं।
0 टिप्पणियाँ