तिगरीधाम मेले में किसान चौपाल बना आकर्षण का केंद्र, हुक्का गुड़गुड़ाते चौधरी और खिचड़ी की खुशबू ने बिखेरी पारंपरिक छटा




तिगरीधाम मेले में जाट चौक स्थित किसान चौपाल पर पारंपरिक हुक्का, खिचड़ी, और देसी व्यंजनों संग जुटे किसान बने आकर्षण का केंद्र।

नरेश सागर पत्रकार अमरोहा

अमरोहा, 13 नवंबर। तिगरीधाम मेले का आकर्षण इस बार अपने चरम पर है। जाट चौक पर स्थित किसान चौपाल ने पूरे मेले को अपनी पारंपरिक झलकियों और ग्रामीण जीवन की सजीव प्रस्तुति से भर दिया है। यहां चौधर की शान के साथ हुक्का गुड़गुड़ाते किसान और उनके आसपास की गतिविधियाँ मेले में आए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। चौपाल पर आने वाले लोग, विशेष रूप से ग्रामीण वेशभूषा में सजे किसान और उनकी पारंपरिक खान-पान शैली, मेले के सौंदर्य में चार चाँद लगा रहे हैं।

किसान चौपाल में सुबह-शाम विशेष माहौल बना रहता है। गुड़ से बनी चाय की महक और उपलों पर पकाई जा रही गर्मागर्म खिचड़ी की खुशबू, मेले में आए लोगों को अपनी ओर खींच रही है। जाट चौक पर हुक्का गुड़गुड़ाते किसानों के पास लोग ठहर जाते हैं और इस ग्रामीण जीवन की अनूठी झलक का लुत्फ उठाते हैं। पंजाब से विशेष तौर पर मोडिफाइड ट्रैक्टर लेकर पहुंचे किसान भी इस मेले का प्रमुख आकर्षण हैं, जो नई और पुरानी कृषि संस्कृति का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।

किसान चौपाल पर मेले में उमड़ते श्रद्धालुओं के लिए कई प्रकार के देसी पकवान भी परोसे जा रहे हैं। खिचड़ी, पकौड़ी, मूंगफली, और गुड़ से बनी गरम चाय जैसे देसी स्वाद यहां के मुख्य आकर्षण हैं। सुबह-शाम किसान चौपाल पर मिलने वाले इन व्यंजनों के कारण लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में सेक्टर-14 जाट चौक पर आयोजित इस चौपाल में न केवल पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है, बल्कि यह एक ऐसा मंच भी बना हुआ है जहां किसान और ग्रामीण अपने मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

इस चौपाल पर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है। भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी, देवेंद्र सिंह, गिरेन्द्र सिंह, चौधरी कमल सिंह, नितिन चौधरी, रवि चौधरी, मयंक चौधरी और अमित चौधरी जैसे किसान नेताओं की उपस्थिति ने इस चौपाल को और भी खास बना दिया है। मेले में उपस्थित किसान इस चौपाल पर बैठकर न केवल खेती-किसानी को लेकर चर्चाएं कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्र और प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक हालातों पर भी विचार-विमर्श कर रहे हैं।

चौपाल पर किसान नेताओं के बीच भारतीय कृषि प्रणाली को बचाने और परंपरागत मूल्यों को बनाए रखने की चुनौतियों पर चर्चा हो रही है। किसानों की इस चौपाल में आए ग्रामीण न केवल देश और समाज की उन्नति पर मंथन कर रहे हैं, बल्कि इस चौपाल के माध्यम से अपनी संस्कृति और परंपराओं को भी पुनर्जीवित कर रहे हैं। तिगरीधाम मेले में इस चौपाल का माहौल इतना अनोखा है कि वहां से गुजरते हर व्यक्ति का ध्यान अपने आप इस ओर खिंचा चला आता है।

तिगरीधाम मेले में किसान चौपाल एक ऐसा केंद्र बना हुआ है, जो ग्रामीण जीवन और परंपराओं की महत्ता को उजागर करता है।

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