ऊंचाहार एक्सप्रेस के बैग से उठा धुआं, यात्रियों में दहशत, फायर एग्जीक्यूटर से पाया गया काबू, यात्री के खिलाफ मामला दर्ज।
उत्तर प्रदेश के इटावा से होकर गुजर रही दिल्ली-प्रयागराज ऊंचाहार एक्सप्रेस (14218) ट्रेन में रविवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक यात्री के बैग से अचानक धुआं उठने लगा। सुबह करीब सवा चार बजे घटना की सूचना मिलने पर ट्रेन को फर्रुखाबाद रेलवे क्रॉसिंग के पास रुकवाया गया और तत्काल जांच शुरू की गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन की एस-4 बोगी में बैठे यात्रियों ने अचानक धुआं निकलता देखा, जिसके बाद पूरे डिब्बे में दहशत का माहौल बन गया। ट्रेन में सफर कर रहे एक यात्री ने तुरंत जीआरपी कंट्रोल रूम को सूचित किया, जिसके बाद जीआरपी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ट्रेन को पास के स्टेशन पर रुकवाया और फायर एग्जीक्यूटर की मदद से स्थिति पर काबू पाया।
बचाव की तत्परता से टली अप्रिय घटना
जांच में पता चला कि एक यात्री के बैग में रखी माचिस की वजह से धुआं उठा। रेलवे पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बैग में रखे माचिस के पैकेट पर यात्री का पैर पड़ने से रगड़ लगी और इसी कारण माचिस की तीलियां सुलग उठीं। समय रहते धुआं उठता देख यात्रियों ने सतर्कता दिखाई और इससे संभावित अप्रिय घटना टल गई।
घटनाक्रम का विवरण
जीआरपी इटावा प्रभारी शैलेश निगम के अनुसार, रविवार तड़के किसी यात्री ने कंट्रोल रूम को सूचना दी थी कि एस-4 बोगी में धुआं उठ रहा है। सूचना मिलते ही ट्रेन को करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित फर्रुखाबाद रेलवे क्रॉसिंग पर रोका गया। जीआरपी टीम ने फायर एग्जीक्यूटर की मदद से बैग में सुलग रहे धुएं पर काबू पाया।
जांच पड़ताल के बाद ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया, हालांकि यात्री को जांच के लिए इकदिल रेलवे स्टेशन पर उतार लिया गया।
कैसे सुलग उठा बैग?
घटना से जुड़े तथ्यों की जांच में पाया गया कि प्रतापगढ़ के रहने वाले 45 वर्षीय यात्री अनिल कुमार, जो वर्तमान में रोहतक में रहते हैं, का बैग सीट नंबर 49 और 53 के बीच रखा था। बैग में माचिस का पैकेट था, और रात में अनजाने में बैग पर पैर पड़ जाने से माचिस की तीलियां सुलग गईं। इस पर जीआरपी ने अनिल कुमार से पूछताछ की और रेलवे एक्ट के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
फायर एग्जीक्यूटर की भूमिका और जीआरपी की त्वरित कार्रवाई
इस घटना में फायर एग्जीक्यूटर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आग के छोटे स्रोत को तुरंत नियंत्रित कर लिया गया, और इसके लिए ट्रेन के अंदर लगे फायर एग्जीक्यूटर का इस्तेमाल किया गया। इस पूरी घटना में जीआरपी की तत्परता और सतर्कता ने ट्रेन को किसी बड़ी दुर्घटना से बचा लिया।
रेलवे की सुरक्षा प्रणाली में फायर एग्जीक्यूटर की तैनाती ने यह सुनिश्चित किया कि यात्री सुरक्षित रहें और संभावित खतरे से बच सकें। जीआरपी द्वारा किए गए रेस्पॉन्स की वजह से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, और ट्रेन अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकी।
यात्रियों में सुरक्षा को लेकर जागरूकता का अभाव
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि यात्रियों को अपने सामान में क्या ले जाना चाहिए और क्या नहीं, इसे लेकर और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। यात्रियों को आग पैदा करने वाले उपकरण जैसे माचिस आदि ले जाने से परहेज करना चाहिए। ऐसी स्थिति में ट्रेन में मौजूद अन्य यात्रियों के जीवन को भी खतरा हो सकता है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए रेलवे को यात्रियों में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि सभी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
रेलवे की तरफ से भविष्य में कड़े नियम
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और जीआरपी के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि इस घटना के बाद सुरक्षा और जांच नियमों में सख्ती लाई जा सकती है। यात्रियों के सामान की जांच को और सख्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसके अलावा, ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
ऊंचाहार एक्सप्रेस ट्रेन की इस घटना ने यह साबित कर दिया कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था और जीआरपी की त्वरित कार्रवाई से किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सकता है। यात्री के बैग से उठे धुएं ने एक बार फिर सुरक्षा को लेकर चिंताएं खड़ी की हैं, और यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी यात्री ट्रेन में सुरक्षा मानकों का पालन करें।
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