केशव प्रसाद मौर्य बनाम सीएम योगी: 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर क्यों गरमाई सियासत?



सीएम योगी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे से डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने क्यों किया किनारा? क्या यह सियासी मजबूरी थी या अंदरूनी खींचतान का संकेत? पढ़ें पूरी खबर।

सीएम योगी के नारे पर क्यों भड़की सियासत?

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया नारा "बंटेंगे तो कटेंगे" राजनीतिक भूचाल का कारण बन चुका है। इस नारे पर भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने सार्वजनिक रूप से असहमति जताई है। इनमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे नाम शामिल हैं।

केशव मौर्य ने इस नारे को सीएम योगी का "व्यक्तिगत नारा" करार देते हुए खुद को इससे अलग कर लिया। उन्होंने पार्टी के अधिकृत नारे "सबका साथ, सबका विकास" और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही पार्टी का सर्वमान्य नेता बताया।

क्या यह सियासी मजबूरी थी?

मौर्य का नारा खारिज करना केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा। महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने इसे दोहराया, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया कि क्या बीजेपी में नेतृत्व को लेकर अंदरूनी खींचतान जारी है?

बीते रविवार को केशव मौर्य ने डैमेज कंट्रोल करते हुए कहा:
"एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, बंटेंगे तो कटेंगे" बीजेपी कार्यकर्ताओं की एकजुटता का प्रतीक है। पार्टी में कोई मतभेद नहीं है।
हालांकि, उनके इस बयान ने विरोधाभास पैदा कर दिया और उनकी मंशा पर सवाल उठने लगे।

राजनाथ और शिवराज ने क्यों किया किनारा?

लखनऊ से सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस नारे से अलग होते हुए "देश को एकजुट" रहने का संदेश दिया। वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने कहा:
"जुड़ेंगे तो जीतेंगे, आगे बढ़ेंगे।"

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के विक्रम राव के मुताबिक, पार्टी के बड़े नेता योगी आदित्यनाथ को एक करिश्माई नेता मानते हैं, लेकिन उन्हें अपना सर्वमान्य नेता मानने को तैयार नहीं हैं। यह स्थिति बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के भीतर चल रहे सत्ता संतुलन को उजागर करती है।

संघ से समर्थन और नारे पर विवाद

सीएम योगी के नारे को संघ से समर्थन मिलने के बाद भी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे अपनाने से इनकार कर दिया। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि पार्टी का आधिकारिक रुख अभी भी पीएम मोदी के नारे "एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे" पर टिका है।

पार्टी में संगठन बनाम सरकार की खींचतान?

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के बीच उत्तर प्रदेश में संगठन बनाम सरकार की बहस तेज हो गई है। मौर्य ने बीते दिनों सार्वजनिक रूप से कहा था कि पार्टी का संगठन सरकार से बड़ा है। यह बयान सीएम योगी की सर्वोच्चता को चुनौती देने जैसा था।

क्या योगी बने रहेंगे सर्वमान्य नेता?

इस घटनाक्रम ने सवाल खड़ा किया है कि क्या सीएम योगी बीजेपी में सर्वमान्य नेता के रूप में उभर पाएंगे?
बंटेंगे तो कटेंगे नारे से किनारा करने वाले नेताओं की सूची लंबी होती जा रही है। जबकि सीएम योगी को संघ का समर्थन प्राप्त है, लेकिन बीजेपी के भीतर उन्हें व्यापक स्वीकृति मिलने में कठिनाई हो रही है।

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद केवल एक नारे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बीजेपी के नेतृत्व संरचना में चल रही अंदरूनी खींचतान को दर्शाता है। पीएम मोदी के नारे को ही पार्टी की आधिकारिक लाइन माना जा रहा है, और उनके प्रति पार्टी नेताओं की वफादारी अटूट है।

सीएम योगी के "बंटेंगे तो कटेंगे" नारे ने बीजेपी की अंदरूनी राजनीति को सतह पर ला दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता न केवल इससे किनारा कर रहे हैं, बल्कि पीएम मोदी के नेतृत्व को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सीएम योगी इस विवाद से उबर पाएंगे या यह उनके नेतृत्व पर स्थायी असर डालेगा।

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