बहराइच के कतर्नियाघाट जंगल में 130 स्कूली बच्चे फंसे। नेपाल एंट्री न मिलने पर प्रशासन ने देर रात सुरक्षित बाहर निकाला।
बहराइच के कतर्नियाघाट वन क्षेत्र में 130 स्कूली बच्चों और शिक्षकों के फंसने से हड़कंप मच गया। घटना तब हुई जब गोंडा जिले के धानेपुर से बच्चों को नेपाल यात्रा पर ले जाया जा रहा था, लेकिन देर शाम सीमा पर एंट्री न मिलने के कारण उन्हें जंगल में रुकना पड़ा। प्रशासन की तत्परता और एसडीएम की कार्यवाही से सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
कैसे फंसे बच्चे?
गोंडा जिले के न्यू स्टैंडर्ड प्रशिक्षण संस्थान के 130 बच्चे, जिनकी कक्षाएं 1 से 8 तक थीं, स्कूल स्टाफ के साथ तीन बसों में सवार होकर नेपाल यात्रा के लिए निकले थे। यात्रा के दौरान बच्चों को बहराइच के कतर्नियाघाट वन क्षेत्र में भ्रमण कराना भी शामिल था। नेपाल बॉर्डर पर देर शाम पहुंचने के कारण उन्हें एंट्री नहीं मिली, जिसके चलते बसों को जंगल में ही रोकना पड़ा।
प्रशासन को जानकारी मिलते ही मचा हड़कंप
घटना की सूचना मिलते ही डीएम मोनिका रानी ने तत्काल मोतीपुर के एसडीएम संजय कुमार को मौके पर भेजा। एसडीएम ने देर रात बच्चों के पास पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने स्कूल स्टाफ को बच्चों को इस तरह खतरे में डालने पर कड़ी फटकार लगाई।
खतरनाक जंगल में रात बिताने को मजबूर
कतर्नियाघाट का जंगल अपने घनेपन और जंगली जानवरों के लिए जाना जाता है। यहां शेर, तेंदुए और जंगली हाथियों की उपस्थिति हमेशा रहती है। ऐसे में 130 बच्चों और 25 स्टाफ सदस्यों का यहां फंसना बड़ी चुनौती बन गया। बच्चों को वापस घर भेजने से पहले उन्हें जंगल के खतरों से सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी प्रशासन पर आ गई।
SDM की त्वरित कार्रवाई
एसडीएम संजय कुमार ने मौके पर पहुंचकर बच्चों को जंगल से बाहर निकालने की व्यवस्था की। सभी बच्चों को देर रात बसों में बैठाकर जंगल से सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। इसके बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली।
स्कूल प्रबंधन पर उठे सवाल
इस घटना ने स्कूल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर कर दिया। घने जंगल और देर रात की स्थिति को देखते हुए स्कूल प्रबंधन का यह कदम गैर-जिम्मेदाराना माना जा रहा है। डीएम ने स्कूल प्रशासन को इस मामले में जांच का निर्देश दिया है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
कतर्नियाघाट के जंगल में अक्सर जंगली जानवरों की गतिविधियां देखने को मिलती हैं। ऐसे में स्थानीय लोग कहते हैं कि इस तरह के स्थानों पर बच्चों को ले जाना एक बड़ी लापरवाही है।
जंगल भ्रमण की अनुमति की प्रक्रिया पर उठे सवाल
बच्चों को जंगल भ्रमण की अनुमति कैसे मिली, इस पर भी प्रशासन सवाल उठा रहा है। कतर्नियाघाट जैसे संवेदनशील क्षेत्र में रात में किसी को रुकने की अनुमति नहीं होती। इस मामले में जंगल विभाग और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं।
प्रशासन ने दी चेतावनी
प्रशासन ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए स्कूलों को सख्त चेतावनी दी है। अब बच्चों की किसी भी यात्रा के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होगा।
यह घटना एक बड़ा सबक है कि बच्चों की सुरक्षा से समझौता किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
0 टिप्पणियाँ