PM मोदी को मिला कुवैत का सबसे बड़ा सम्मान ‘विसम मुबारक अल-कबीर’: जानें इसका महत्व और भारत-कुवैत संबंधों की खासियत



PM मोदी को कुवैत का 'विसम मुबारक अल-कबीर' सम्मान मिला। जानें इस पुरस्कार की खासियत, ऐतिहासिक महत्व और भारत-कुवैत के मजबूत संबंध।

प्रधानमंत्री मोदी को कुवैत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबा द्वारा कुवैत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान, 'विसाम मुबारक अल-कबीर' (Order of Mubarak Al-Kabeer) प्रदान किया गया। यह सम्मान दुनिया भर के प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों को दोस्ती और सद्भावना के प्रतीक के रूप में दिया जाता है।

यह सम्मान रविवार, 22 दिसंबर को प्रदान किया गया, जो प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक कुवैत यात्रा का हिस्सा है।

क्या है 'विसाम मुबारक अल-कबीर'?
यह कुवैत सरकार द्वारा 1974 में शुरू किया गया एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान है। इस पुरस्कार का नाम कुवैत के महान शासक मुबारक अल-सबा (1896-1915) के नाम पर रखा गया है, जिन्हें 'मुबारक अल-कबीर' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कुवैत को ओटोमन साम्राज्य से अधिक स्वायत्तता दिलाई और ब्रिटेन के साथ 1899 में एक समझौता किया, जिसने कुवैत को तुर्की से बचाने में मदद की।




इस सम्मान का डिज़ाइन 1992 में इराक से कुवैत की आज़ादी के बाद बदला गया।

पहले किन हस्तियों को मिला है यह सम्मान?
प्रधानमंत्री मोदी से पहले यह सम्मान कई प्रमुख वैश्विक हस्तियों को दिया जा चुका है, जिनमें शामिल हैं:

इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश और बिल क्लिंटन

सऊदी अरब के किंग सलमान

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोज़ी

यह सम्मान उन राष्ट्राध्यक्षों और शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है, जिन्होंने कुवैत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा दिया है।

PM मोदी के लिए इस सम्मान का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने यह सम्मान भारत और कुवैत के लंबे समय से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण संबंधों को समर्पित किया। उन्होंने कहा, "यह सम्मान भारत-कुवैत की दोस्ती, कुवैत में भारतीय समुदाय और भारत के 1.4 अरब लोगों को समर्पित है।"

भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह सम्मान 43 वर्षों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत यात्रा को और ऐतिहासिक बना देता है। इससे पहले 1981 में इंदिरा गांधी ने कुवैत का दौरा किया था।

भारत-कुवैत के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध
कुवैत भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में शामिल है। 2023-24 में भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 10.47 बिलियन डॉलर रहा। कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो भारत की ऊर्जा जरूरतों का 3% पूरा करता है।

भारतीय निर्यात पहली बार 2 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है, जबकि कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी का भारत में निवेश 10 बिलियन डॉलर से अधिक है।

इतिहास की बात करें तो, भारत और कुवैत के रिश्ते समुद्री व्यापार के ज़रिए शुरू हुए थे। कुवैत में तेल के आने से पहले, भारत का व्यापार वहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हुआ करता था। 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत की आधिकारिक मुद्रा भी था।




प्रधानमंत्री मोदी को मिला यह सम्मान न केवल भारत-कुवैत के ऐतिहासिक और व्यापारिक संबंधों को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत स्थिति स्थापित कर चुका है।

भारत और कुवैत के इस मजबूत रिश्ते की बुनियाद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से गहरी है, जो भविष्य में दोनों देशों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

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