रूस-यूक्रेन युद्ध में आजमगढ़ के कन्हैया यादव की मौत। नौकरी का झांसा देकर युद्ध में धकेला गया, शव वाराणसी पहुंचा।
आजमगढ़ के युवक की रूस-यूक्रेन युद्ध में दर्दनाक मौत
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के लिए एक और बुरी खबर सामने आई है। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रौनापार थाना क्षेत्र के बनकटा गांव के रहने वाले 42 वर्षीय कन्हैया यादव की मौत युद्ध के दौरान हो गई। बताया जा रहा है कि उन्हें रूस में नौकरी का झांसा देकर इस युद्ध में झोंक दिया गया था। 23 दिसंबर को कन्हैया का शव वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचा, जहां प्रशासन ने उनके परिजनों को शव सौंप दिया।
नौकरी का झांसा देकर बनाया सैनिक
कन्हैया यादव को रूस के एजेंटों ने दिल्ली में नौकरी का लालच देकर अपने जाल में फंसा लिया। एजेंटों ने दावा किया था कि कन्हैया को रूस में कुकिंग का काम दिया जाएगा। लेकिन जैसे ही वह रूस पहुंचे, उन्हें महज 15 दिन की ट्रेनिंग देकर फ्रंटलाइन पर भेज दिया गया।
ड्रोन अटैक में हुए घायल, अस्पताल में हुई मौत
कन्हैया यादव की तैनाती फ्रंटलाइन पर भारतीय युवाओं की एक टोली में की गई थी, जो यूक्रेन के खिलाफ लड़ रही थी। एक ड्रोन हमले के दौरान कन्हैया गंभीर रूप से घायल हो गए। लंबे समय तक अस्पताल में इलाज चला, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
शव पहुंचने के बाद परिवार में शोक
23 दिसंबर को कन्हैया का शव वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचा। शव पहुंचने के बाद से उनके परिवार में शोक का माहौल है। ग्रामीणों के अनुसार, कन्हैया घर का इकलौता सहारा थे। उनकी मौत से पूरे गांव में दुख की लहर है।
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय युवाओं का इस्तेमाल
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय युवाओं को नौकरी का झांसा देकर युद्ध में भेजने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसमें भारतीय युवाओं की जान जोखिम में डाली जा रही है।
सांसदों ने जताई चिंता
इस मामले को लेकर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और बलबीर सिंह ने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया है। उन्होंने मांग की है कि भारतीय युवाओं को रूस से सुरक्षित वापस लाया जाए।
पहले भी सामने आई हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है। एक महीने पहले, आजमगढ़ के ही राकेश यादव ने रूस से वापस आकर बताया था कि कैसे एजेंट लोगों को गुमराह कर युद्ध में धकेल रहे हैं।
सरकार से मांग: एजेंटों पर हो कार्रवाई
विशेषज्ञों और नेताओं ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली में सक्रिय एजेंटों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही, विदेश मंत्रालय को इस मुद्दे पर जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है।
आजमगढ़ के कन्हैया यादव की मौत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय युवाओं के शोषण का एक और दर्दनाक पहलू उजागर किया है। यह समय है कि सरकार और प्रशासन इन घटनाओं पर सख्त कदम उठाएं और भारतीय युवाओं को इस तरह के खतरों से बचाएं।
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