सकरा रामपुर में पौत्र के जन्मोत्सव पर बांटी गईं साड़ियां और सेठउरा, पूरे गांव ने मनाई खुशियां



सकरा रामपुर में पंडित मार्कंडेय प्रसाद पांडेय के पौत्र के जन्मोत्सव पर साड़ी और सेठउरा वितरण, संस्कृत संध्या में शामिल हुए सैकड़ों लोग।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट

सकरा रामपुर में खुशियों का माहौल, गांवभर में बांटी गईं साड़ियां और सेठउरा

उत्तर प्रदेश के तेजी बाजार थाना क्षेत्र के सकरा रामपुर गांव में खुशी का माहौल था। पंडित मार्कंडेय प्रसाद पांडेय, जो शिव संस्कृत महाविद्यालय बरईपार के प्राचार्य और संस्कृत साहित्य के मूर्धन्य विद्वान हैं, ने अपने घर पर अपने पौत्र के जन्मोत्सव पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम ने न केवल गांव बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बना दिया।

पंडित पांडेय के दोनों पुत्र, सुशील कुमार पांडेय और सत्येंद्र कुमार पांडेय, ने इस आयोजन को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरे गांव में उत्सव के दौरान साड़ियों और मिठाइयों (सेठउरा) का वितरण किया गया।

गांवभर में साड़ियां बांटी गईं

इस मौके पर पंडित मार्कंडेय प्रसाद पांडेय ने अपने गांववासियों के लिए एक विशेष पहल की। हर घर में साड़ियों का वितरण किया गया। उन्होंने कहा, "यह खुशी सिर्फ हमारे परिवार की नहीं है, यह पूरे गांव की खुशी है। सकरा रामपुर मेरा परिवार है, और परिवार के साथ मिलकर खुशी मनाने का आनंद ही कुछ अलग है।"

संस्कृत संध्या और भक्ति गीतों ने बांधा समां

जन्मोत्सव की शाम संस्कृत संध्या के नाम रही। संस्कृत गायक और भजन मंडली ने भक्ति गीतों और सोहर के माध्यम से माहौल को भावमय बना दिया। संस्कृत गीतों ने इस आयोजन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध कर दिया।

गांव और आसपास के लोगों ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाग लिया। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए हर कोई खुशियों में शरीक हुआ।

गांव का हर व्यक्ति बना कार्यक्रम का हिस्सा

कार्यक्रम में गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से लेकर आम नागरिकों तक सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रधानाचार्य रमेश चंद्र पांडेय, गिरिजेश मिश्रा, सुरेश पांडेय, माता चरण पांडेय, और चंद्रकांत पांडेय जैसे विशिष्ट लोग भी आयोजन में मौजूद रहे।

सैकड़ों लोगों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया।

पंडित मार्कंडेय प्रसाद पांडेय की विशेष पहल

पंडित पांडेय ने कहा, "जन्मोत्सव का यह उत्साह तब और बढ़ जाता है जब इसे अपने पूरे समुदाय के साथ मिलकर मनाया जाए। गांव मेरा परिवार है, और परिवार की खुशियां बांटने से ही जीवन का असली आनंद मिलता है।"

गांववासियों ने जताई खुशी

गांववासियों ने इस आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। गांव की महिलाओं और बुजुर्गों ने भी इस पहल की सराहना की। बच्चों ने मिठाइयों का लुत्फ उठाया, और महिलाओं ने नई साड़ियों को लेकर अपनी खुशी जाहिर की।

यह आयोजन न केवल एक पारिवारिक उत्सव था बल्कि एक सामाजिक एकता का प्रतीक भी बन गया।

इस अवसर ने गांव को जोड़ा एक मजबूत धागे में

सकरा रामपुर के इस भव्य आयोजन ने यह साबित कर दिया कि परंपरा और खुशियां बांटने से समुदाय की एकता और भाईचारा और मजबूत होता है।

पौत्र का यह जन्मोत्सव, संस्कृत संध्या और साड़ी वितरण जैसे पहलुओं के साथ, सकरा रामपुर के इतिहास में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

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