संभल हिंसा: राहुल गांधी की एंट्री पर रोक, कांग्रेस ने कहा- लोकतंत्र की हत्या




संभल हिंसा पर राहुल गांधी का दौरा रोका गया, डीएम ने पड़ोसी जिलों से भी एंट्री पर रोक लगाई। कांग्रेस ने प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाया।

संभल हिंसा पर सियासत तेज हो गई है। राहुल गांधी के संभल दौरे की खबर मिलते ही जिला प्रशासन ने एंट्री पर रोक लगा दी। प्रशासन ने 10 तारीख तक किसी भी राजनीतिक डेलिगेशन के संभल में प्रवेश पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं, कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए तीखा विरोध किया है।

प्रशासन का सख्त रुख
संभल जिला प्रशासन ने राहुल गांधी के दौरे पर रोक लगाने के लिए पड़ोसी जिलों के अधिकारियों को पत्र लिखा है। डीएम राजेंद्र पेसिया ने गाजियाबाद, अमरोहा और अन्य जिलों के अधिकारियों से राहुल गांधी को एंट्री न देने की अपील की है। प्रशासन का कहना है कि यह फैसला कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया गया है।

कांग्रेस का तीखा विरोध
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह फैसला पुलिस तंत्र का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि प्रशासन इस तरह से विपक्ष की आवाज को दबा रहा है। चर्चा है कि राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी और अन्य कांग्रेसी नेता भी संभल का दौरा कर सकते हैं।

पहले भी रोका गया राहुल का दौरा
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी को किसी हिंसाग्रस्त क्षेत्र में जाने से रोका गया हो। सहारनपुर और लखीमपुर खीरी की घटनाओं के दौरान भी प्रशासन ने उन्हें एंट्री नहीं दी थी। प्रशासन का कहना है कि वीआईपी दौरों से शांति भंग होने का खतरा रहता है।

क्या है संभल हिंसा का मामला?
19 नवंबर को स्थानीय कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे किया गया। इसके बाद 24 नवंबर को हुए दोबारा सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी। तनावपूर्ण माहौल के बीच प्रशासन ने संभल में धारा 144 लागू कर दी है।

विपक्ष का आरोप
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने प्रशासन और राज्य सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रशासन जानबूझकर विपक्ष को पीड़ितों से मिलने नहीं दे रहा है। 

संभावित परिणाम
राहुल गांधी के दौरे पर रोक लगने से सियासी माहौल और गर्म हो सकता है। कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाकर सड़क से संसद तक प्रदर्शन कर सकती है। संभल हिंसा अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है।

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