दिल्ली-दून हाईवे पर मशहूर कॉमेडियन का अपहरण: 8 लाख की फिरौती और हाई-प्रोफाइल साजिश का खुलासा



कॉमेडियन सुनील पाल का दिल्ली-दून हाईवे पर अपहरण, 8 लाख की फिरौती के बाद रिहा। पुलिस जांच में ज्वेलरी खरीद का खुलासा।

मेरठ: दिल्ली-दून हाईवे पर कॉमेडियन सुनील पाल का हाई-प्रोफाइल अपहरण, जानिए पूरी कहानी

मेरठ। देश के मशहूर कॉमेडियन सुनील पाल के अपहरण ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। दिल्ली-दून हाईवे पर हुई इस घटना ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के अनुसार, सुनील पाल को दिल्ली एयरपोर्ट से एक इवेंट के बहाने गाड़ी में बिठाया गया और मेरठ हाईवे पर एक ढाबे पर ले जाया गया।

कैसे हुआ अपहरण?

दिल्ली एयरपोर्ट से शुरू हुई यह घटना मेरठ हाईवे पर एक ढाबे पर जाकर और भी खतरनाक मोड़ लेती है। सुनील पाल ने बताया कि उन्हें खाना खिलाने के बाद दूसरी कार में बिठाया गया और उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई।

अपहरणकर्ताओं ने उन्हें 48 घंटे तक बंधक बनाकर रखा और 20 लाख रुपये की फिरौती मांगी। हालांकि, 8 लाख रुपये मिलने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।

ज्वेलरी खरीद से पुलिस को मिला सुराग

अपहरणकर्ताओं ने फिरौती की रकम का इस्तेमाल कर ज्वेलरी खरीदी। खास बात यह है कि ये खरीददारी सुनील पाल के नाम से की गई। ज्वेलरी के बिल सदर बाजार और लाल कुर्ती के ज्वैलर्स के नाम पर बने हैं।

मुंबई लौटने के बाद सुनील पाल ने अपने परिजनों और पुलिस को घटना की जानकारी दी। इसके बाद मुंबई पुलिस ने फौरन कार्रवाई करते हुए ज्वैलर्स के बैंक खाते फ्रीज कर दिए।




मुंबई पुलिस ने संभाली जांच की कमान

मुंबई पुलिस ने इस मामले में जांच तेज कर दी है। पुलिस अब ज्वेलर्स और अपहरणकर्ताओं के बीच के लिंक को खंगाल रही है। बताया जा रहा है कि अपहरणकर्ताओं ने सुनील पाल को मुंबई लौटने के लिए 20 हजार रुपये दिए थे।

पुलिस के लिए बड़ी चुनौती

यह घटना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। हाईवे जैसी जगह पर हुई इस घटना से आम जनता में डर का माहौल है। मेरठ और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम अब इस मामले को सुलझाने में जुटी हुई है।

क्या कह रहे हैं सुनील पाल?

घटना के बारे में बात करते हुए सुनील पाल ने कहा, "यह मेरे जीवन का सबसे खौफनाक अनुभव था। मैं बस भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मैं सुरक्षित वापस आ गया।"




जांच में और क्या खुलासे हो सकते हैं?

पुलिस को शक है कि इस अपहरण के पीछे एक बड़ा गिरोह हो सकता है, जो हाई-प्रोफाइल लोगों को निशाना बनाता है। ज्वेलर्स की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इतनी बड़ी रकम का लेन-देन बिना किसी शक के कैसे हुआ।

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