IIT Bombay ग्रेजुएट Abhay Singh: करोड़ों की नौकरी छोड़ बने साधु, कैसे कनाडा के इंजीनियर बाबा ने चुना आध्यात्मिक जीवन?




IIT Bombay से पढ़े Abhay Singh ने कनाडा में करोड़ों की नौकरी छोड़ आध्यात्मिक जीवन चुना। जानें उनकी प्रेरक कहानी और असली साइंस की खोज।

कनाडा में करोड़ों का पैकेज छोड़ भारत लौटे अभय सिंह:
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में जहां हजारों साधु-संत पहुंचे हैं, वहीं एक नाम ने सभी का ध्यान खींचा है—बाबा अभय सिंह। IIT मुंबई से पढ़ाई करने वाले और कनाडा में एक आकर्षक नौकरी करने वाले अभय सिंह ने लाखों का वेतन और आरामदायक जीवन छोड़कर आध्यात्मिक जीवन का रास्ता चुना।

अभय सिंह, जो कभी एक एरोनॉटिक्स इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे, आज साधु के वेश में आध्यात्मिक विज्ञान का प्रचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जीवन में असली खुशी और संतोष विज्ञान या भौतिक सुखों से नहीं बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान से मिलती है।

IIT से कनाडा तक का सफर:
अभय सिंह ने हरियाणा से अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT मुंबई से एरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। डिग्री के बाद उन्हें कनाडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिली, जहां उनकी शुरुआती सैलरी ₹3 लाख प्रति माह थी। कुछ ही वर्षों में उनकी सैलरी करोड़ों तक पहुंच गई।

वह कहते हैं, "नौकरी और भौतिक सुविधाएं थीं, लेकिन अंदर से हमेशा खालीपन महसूस होता था। ऐसा लगता था कि जीवन में कुछ कमी है।"

आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत:
कनाडा में आरामदायक जीवन बिताने के बावजूद, अभय सिंह का मन कभी शांत नहीं हुआ। वह हमेशा कुछ बड़ा करने और जीवन का असली उद्देश्य खोजने की इच्छा रखते थे।

उन्होंने बताया, "मैंने देखा कि भौतिक चीजें केवल अस्थायी खुशी देती हैं। असली खुशी उस विज्ञान में है जिसे अध्यात्म कहते हैं।" इसी सोच ने उन्हें सब कुछ त्यागकर भारत लौटने और एक साधु बनने के लिए प्रेरित किया।

परिवार ने किया विरोध:
अभय सिंह का यह फैसला उनके परिवार के लिए किसी झटके से कम नहीं था। उनके पिता, जो पेशे से वकील हैं, और बहन, जो कनाडा में ही रहती हैं, ने उनके इस निर्णय का विरोध किया। लेकिन अभय सिंह ने अपने आध्यात्मिक मार्ग को चुना और सामाजिक बंधनों को तोड़ दिया।

वह कहते हैं, "शुरुआत में परिवार को मनाना मुश्किल था, लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि मेरा जीवन अब इसी रास्ते पर है। अब मैं घर भी नहीं जाता।"

असली विज्ञान की खोज:
अभय सिंह का मानना है कि जो विज्ञान उन्होंने पढ़ा, वह अधूरा था। वह कहते हैं, "हमने स्कूल-कॉलेज में जो विज्ञान पढ़ा, वह केवल बाहरी दुनिया को समझने का साधन है। लेकिन असली विज्ञान वह है जो हमारे भीतर छिपा है। अध्यात्म ही असली विज्ञान है।"

युवा पीढ़ी के लिए संदेश:
आज बाबा अभय सिंह न केवल एक साधु हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी हैं। वह बताते हैं कि जीवन में असली सफलता आत्म-ज्ञान में है, न कि सिर्फ पैसे कमाने में। वह युवाओं से अपील करते हैं कि भौतिक सुखों के पीछे भागने के बजाय, आत्म-खोज की ओर ध्यान दें।

बाबा अभय सिंह की कहानी दिखाती है कि जीवन का असली उद्देश्य केवल भौतिक सफलता नहीं है। उनकी आध्यात्मिक यात्रा उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में संतोष और शांति की तलाश कर रहे हैं। IIT से कनाडा तक और फिर भारत लौटकर साधु बनने का उनका सफर न केवल अनूठा है, बल्कि यह दर्शाता है कि सच्चा सुख केवल आत्म-ज्ञान में ही है।

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