144 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 की शुरुआत! जानें इसका इतिहास, महत्व, तिथियां और त्रिवेणी संगम का महत्व।
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
महाकुंभ 2025: इतिहास, महत्व और प्रमुख तिथियां
प्रयागराज। 144 साल बाद आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला 2025, आस्था और परंपरा का सबसे बड़ा उत्सव, 13 जनवरी से 8 मार्च 2025 तक त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में मनाया जाएगा। लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करेंगे। आइए जानें महाकुंभ के इतिहास, इसके धार्मिक महत्व और इस साल के मुख्य आकर्षण के बारे में।
कुंभ मेले का इतिहास और उत्पत्ति
महाकुंभ का इतिहास पुराणों में वर्णित अमृत मंथन की कथा से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तो अमृत कलश से निकली अमृत की बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर गिरीं। यही वजह है कि इन चारों जगहों पर हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।
महाकुंभ मेला का पहला उल्लेख भागवत पुराण, महाभारत और ह्वेनत्सांग जैसे चीनी यात्री के लेखों में मिलता है। समुद्र मंथन के इस पौराणिक युद्ध के दौरान अमृत के लिए 12 दिवसीय देव-दानव संघर्ष हुआ, जो पृथ्वी पर 12 वर्षों के बराबर है। इसलिए हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है।
महाकुंभ 2025 का महत्व
महाकुंभ सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, धार्मिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। प्रयागराज का त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है, इस मेले का केंद्र है।
धार्मिक मान्यता:
- स्कंद पुराण के अनुसार, संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
- भविष्य पुराण में कहा गया है कि यहां स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- अग्नि पुराण और ब्रह्म पुराण में कुंभ स्नान को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यदायी बताया गया है।
महाकुंभ 2025 की मुख्य तिथियां
महाकुंभ मेला 2025 में कई महत्वपूर्ण तिथियां हैं, जिन पर स्नान का विशेष महत्व है:
- पौष पूर्णिमा: 25 जनवरी 2025
- मौनी अमावस्या: 11 फरवरी 2025
- बसंत पंचमी: 16 फरवरी 2025
- माघ पूर्णिमा: 24 फरवरी 2025
- महाशिवरात्रि: 7 मार्च 2025
शाही स्नान का आरंभ 13 जनवरी को पौष संक्रांति के साथ होगा।
महाकुंभ के प्रमुख आकर्षण
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शाही स्नान:महाकुंभ का मुख्य आकर्षण है शाही स्नान, जिसमें अखाड़ों के साधु-संत भव्य जुलूस के साथ स्नान करते हैं।
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धार्मिक प्रवचन:पूरे मेले में विभिन्न संत और विद्वान प्रवचन करेंगे।
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भव्य साधु अखाड़े:नागा साधु, तपस्वी और महामंडलेश्वर का आशीर्वाद लेने का विशेष अवसर।
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संस्कृति और परंपरा:मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या और कथा वाचन का आयोजन होगा।
प्रयागराज में महाकुंभ क्यों है खास?
प्रयागराज का त्रिवेणी संगम हिंदू धर्म का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
- सरस्वती नदी: अदृश्य रूप में यहां मौजूद मानी जाती है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा: कुंभ के दौरान ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग होता है, जो जल को पवित्र और औषधीय बनाता है।
महाकुंभ 2025 से जुड़े रोचक तथ्य
- यह मेला 48 दिनों तक चलेगा।
- 20 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक शामिल होने की उम्मीद है।
- प्रयागराज प्रशासन ने 100 से अधिक घाटों की व्यवस्था की है।
- श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए 24x7 कंट्रोल रूम सक्रिय रहेगा।
- महाकुंभ 2025 में जाने से पहले जानें यह बातें
- जलवायु: जनवरी से मार्च के बीच प्रयागराज का तापमान 8°C से 25°C के बीच रहता है।
- यातायात: प्रयागराज रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर विशेष व्यवस्था की गई है।
- स्नान का समय: सुबह 3:00 बजे से शुरू होकर दिनभर चलता रहेगा।
महाकुंभ मेला 2025, श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का केंद्र होगा। 144 साल बाद यह मेला अपने पूर्ण स्वरूप में आयोजित किया जा रहा है। त्रिवेणी संगम पर स्नान करने का यह दुर्लभ अवसर किसी चमत्कार से कम नहीं।
इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लेने का मौका न चूकें और अपने जीवन को पवित्र बनाएं।
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