महाकुंभ 2025 में जूना अखाड़े ने IIT बाबा अभय सिंह को गुरु सोमेश्वर पुरी के अपमान और परंपरा के उल्लंघन के आरोप में बाहर किया।
जूना अखाड़े से बाहर निकाले गए IIT बाबा, गुरु का अपमान बना वजह
महाकुंभ 2025 में जूना अखाड़े ने बड़ा कदम उठाते हुए IIT बाबा अभय सिंह को अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। बाबा अभय पर उनके गुरु सोमेश्वर पुरी का अपमान करने और सन्यास परंपरा का उल्लंघन करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक हरि गिरी महाराज ने बताया कि बाबा अभय ने कई बार अखाड़े के नियमों और परंपराओं की अवहेलना की। उन्हें सुधरने का मौका भी दिया गया, लेकिन जब उन्होंने गुरु के प्रति अपमानजनक व्यवहार जारी रखा, तो उन्हें अखाड़े से बाहर करने का निर्णय लिया गया।
गुरु पर लगाए आरोप, परंपरा का किया उल्लंघन
IIT से पढ़ाई कर संत बने अभय सिंह पर यह भी आरोप है कि उन्होंने मीडिया के सामने गुरु सोमेश्वर पुरी और अपने माता-पिता के बारे में आपत्तिजनक बयान दिए। जूना अखाड़े के अन्य संतों के अनुसार, अभय सिंह को बार-बार समझाने की कोशिश की गई थी कि वह गुरु के प्रति सम्मान रखें और संयमित भाषा का उपयोग करें।
संन्यास परंपरा में गुरु को माता-पिता और ईश्वर के समान माना जाता है। लेकिन बाबा अभय ने इस परंपरा को तोड़ा और गुरु से विश्वासघात किया।
जूना अखाड़े का फैसला और बाबा अभय पर प्रतिबंध
जूना अखाड़े के संतों का मानना है कि बाबा अभय के व्यवहार से अखाड़े की मर्यादा को ठेस पहुंची है। हरि गिरी महाराज ने स्पष्ट किया कि अब बाबा अभय जूना अखाड़े के किसी भी शिविर या कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
बाबा अभय के खिलाफ कार्रवाई का यह निर्णय महाकुंभ से पहले जूना अखाड़े की छवि को बचाने के उद्देश्य से लिया गया है। संतों के अनुसार, बाबा अभय के कारण अखाड़े में विवाद बढ़ रहे थे, और उनके बयानों से सनातन धर्म की छवि भी प्रभावित हो रही थी।
IIT बाबा का बचाव: साजिश का लगाया आरोप
वहीं, बाबा अभय ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि यह सब उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि गुरु सोमेश्वर पुरी उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं।
बाबा अभय का कहना है कि उनके गुरु उनकी प्रसिद्धि से जलते हैं और इसी कारण उन्हें अखाड़े से बाहर निकाला गया। हालांकि, जूना अखाड़े के अन्य संतों ने बाबा अभय के इस बयान को खारिज कर दिया और इसे उनकी अनुशासनहीनता का परिणाम बताया।
अखाड़े की परंपराओं की अनदेखी का परिणाम
जूना अखाड़े के संतों के अनुसार, अखाड़े के नियम और परंपराएं बेहद कठोर और अनुशासन आधारित हैं। हरि गिरी महाराज ने कहा, "गुरु का सम्मान और सन्यास की मर्यादा अखाड़े की सबसे बड़ी पहचान है। बाबा अभय ने इस पहचान को ठेस पहुंचाई, जो अस्वीकार्य है।"
बाबा अभय के बयानों से बढ़ा विवाद
मीडिया में बाबा अभय के बयानों ने भी काफी विवाद खड़ा किया। उनके सनातन धर्म के नाम पर दिए गए आपत्तिजनक बयान और नशे की हालत में उनकी गतिविधियों ने अखाड़े के संतों को नाराज कर दिया।
महाकुंभ 2025 में जूना अखाड़े की छवि बचाने का प्रयास
महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालुओं के बीच जूना अखाड़े की गरिमा को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। इस फैसले के जरिए अखाड़ा यह संदेश देना चाहता है कि सन्यास परंपरा में अनुशासन और गुरु के प्रति सम्मान सर्वोपरि है।
महाकुंभ 2025 से पहले जूना अखाड़े द्वारा लिया गया यह निर्णय सन्यास परंपरा को बचाने और अनुशासनहीनता के खिलाफ कड़ा संदेश देने का प्रयास है। बाबा अभय का निष्कासन सनातन धर्म और अखाड़े की मर्यादा को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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