पुजारी और सपा नेता ने चुराईं राम जानकी मंदिर से 30 करोड़ की अष्टधातु मूर्तियां, पुलिस ने 72 घंटे में किया खुलासा



मिर्जापुर के राम जानकी मंदिर से चोरी हुई 30 करोड़ की मूर्तियां पुजारी और सपा नेता ने चुराईं। पुलिस ने 72 घंटे में मामले का खुलासा कर चार को गिरफ्तार किया।


मंदिर से चोरी हुई 30 करोड़ की मूर्तियों का पर्दाफाश

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कठिनी गांव स्थित ऐतिहासिक राम जानकी मंदिर से अष्टधातु की तीन मूर्तियों की चोरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह मामला उस वक्त और चौंकाने वाला हो गया, जब खुलासा हुआ कि इस वारदात को मंदिर के पुजारी और सपा नेता ने मिलकर अंजाम दिया। पुलिस ने 72 घंटे के अंदर चोरी की गई मूर्तियों को बरामद कर चार लोगों को गिरफ्तार किया है।


पुजारी ने रची साजिश, खुद ही दर्ज कराई थी शिकायत

14 जनवरी को मंदिर के पुजारी वंशीदास गुरू ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि मंदिर में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की अष्टधातु की मूर्तियां चोरी हो गई हैं। ये मूर्तियां करीब 30 करोड़ रुपये की थीं। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरू की।

पुलिस को शुरू से ही पुजारी पर शक था, लेकिन बिना ठोस सबूत के वह कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती थी। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि पुजारी अपना अलग मठ बनाना चाहता था और इसी उद्देश्य से उसने इस चोरी की साजिश रची।


मंदिर पर मालिकाना हक की लड़ाई बनी वजह

पुलिस की जांच में सामने आया कि मंदिर पर मालिकाना हक को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद चल रहा था। एक पक्ष जयराम दास और दूसरा सतुआ बाबा का था। जयराम दास ने पुजारी वंशीदास को यह वादा किया था कि मामला सुलझने के बाद वह संपत्ति उसे दे देगा।

हालांकि, जयराम दास ने अपनी संपत्ति पुजारी के भतीजे के नाम करने का फैसला किया, जिससे नाराज होकर पुजारी ने चोरी की योजना बनाई। उसने सपा नेता राम बहादुर पाल, उनके ड्राइवर लवकुश पाल, और एक अन्य साथी मुकेश कुमार सोनी के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया।


मूर्तियों की कीमत जानकर बढ़ा लालच

पुलिस के अनुसार, वारदात से पहले आरोपियों ने एक जौहरी से मूर्तियों की गुणवत्ता की जांच कराई थी। यह पता लगने के बाद कि मूर्तियों की कीमत 30 करोड़ रुपये से अधिक है, उन्होंने इसे बेचने की योजना बनाई।

पुजारी और उसके साथियों ने मूर्तियों को मंदिर से चुराने के बाद एक सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया। हालांकि, पुलिस ने आधुनिक तकनीक और स्थानीय मुखबिरों की मदद से मामले को 72 घंटे के अंदर सुलझा लिया।


पुलिस का खुलासा: आरोपियों को जेल भेजा गया

मिर्जापुर पुलिस ने इस मामले में पुजारी वंशीदास, सपा नेता राम बहादुर पाल, लवकुश पाल, और मुकेश कुमार सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। चोरी की गई मूर्तियां भी बरामद कर ली गई हैं।

पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर पर मालिकाना हक को लेकर विवाद इस साजिश की मुख्य वजह बना।


सोशल मीडिया पर घटना का असर

यह मामला सोशल मीडिया पर भी तेजी से चर्चा का विषय बन गया है। लोग हैरानी जता रहे हैं कि एक पुजारी, जो भगवान की सेवा में समर्पित माना जाता है, इस तरह की वारदात को अंजाम दे सकता है।


आगे की कार्रवाई

पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या इस वारदात में और लोग शामिल थे और मूर्तियों को बेचने की क्या योजना थी। साथ ही, मंदिर पर मालिकाना हक के विवाद को सुलझाने के लिए प्रशासनिक कार्रवाई भी तेज कर दी गई है।

यह मामला न सिर्फ कानून-व्यवस्था का सवाल खड़ा करता है, बल्कि धार्मिक आस्थाओं को भी झकझोरता है।


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