प्रयागराज महाकुंभ में 13 साल की बच्ची को दी संन्यास दीक्षा, जूना अखाड़े ने महंत को 7 साल के लिए निष्कासित किया। पढ़ें पूरी खबर।
प्रयागराज: महाकुंभ में परंपरा टूटने पर विवाद, महंत निष्कासित
प्रयागराज में आगामी महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच एक चौंकाने वाली घटना ने सनातन धर्म के जूना अखाड़े को हिला कर रख दिया। जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरी ने आगरा की 13 साल की बच्ची राखी सिंह को संन्यास की दीक्षा दी, जिसके बाद महासभा ने उन्हें 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया।
क्या है मामला?
राखी सिंह, जो कि कक्षा 9वीं की छात्रा है, महाकुंभ के दौरान अपने माता-पिता के साथ प्रयागराज आई थी। जानकारी के अनुसार, राखी के परिवार ने उसे महंत कौशल गिरी को सनातन धर्म की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। परिवार का कहना है कि राखी खुद साध्वी बनना चाहती थी और धर्म की सेवा करना चाहती थी।
महंत कौशल गिरी ने 2 जनवरी को राखी को संन्यास की दीक्षा दी। लेकिन जूना अखाड़े के नियमों के अनुसार, नाबालिग को दीक्षा नहीं दी जा सकती। इस पर अखाड़े की महासभा ने सख्त कदम उठाते हुए कौशल गिरी को निष्कासित करने का फैसला लिया।
अखाड़े का बयान
जूना अखाड़े के प्रवक्ता महंत नारायण गिरी ने कहा, “सनातन धर्म और अखाड़े की परंपराओं का पालन करना हमारी जिम्मेदारी है। नाबालिग को संन्यास की दीक्षा देना अखाड़े के नियमों का उल्लंघन है। इसलिए यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया।”
दीक्षा का अर्थ और विवाद
सनातन धर्म में दीक्षा का अर्थ गुरु द्वारा शिष्य को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन देना है। लेकिन इसमें कुछ नियम हैं, जैसे कि शिष्य की उम्र, मानसिक और शारीरिक योग्यता।
राखी सिंह के परिवार ने दीक्षा को सही ठहराते हुए कहा कि राखी ने अपनी मर्जी से साध्वी बनने की इच्छा जताई थी। वहीं, अखाड़ा इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए महंत कौशल गिरी पर कार्रवाई कर चुका है।
सवाल उठते हैं
1. क्या नाबालिग का साध्वी बनने का निर्णय स्वैच्छिक था या पारिवारिक दबाव का नतीजा?
2. सनातन धर्म की परंपराओं में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं?
3. महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में इस तरह की घटनाओं का संदेश क्या है?
योगी सरकार की तैयारियां
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुंभ 2025 के आयोजन को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, और इसके लिए सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और बुनियादी ढांचे का खास ध्यान रखा गया है।
सनातन धर्म परंपरा बनाम आधुनिकता
यह घटना सनातन परंपराओं और आधुनिक नियमों के टकराव को भी उजागर करती है। जहां एक ओर धर्म की सेवा का उत्साह है, वहीं दूसरी ओर समाज और धर्म के नियमों का पालन करना भी जरूरी है।
महाकुंभ में यह घटना सनातन धर्म के नियमों और परंपराओं की अहमियत को फिर से रेखांकित करती है। यह घटना धर्म और समाज के बीच एक संतुलन की जरूरत को भी उजागर करती है।
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