सकट चौथ 2025: व्रत कथा, आरती, पूजा विधि और चांद निकलने का समय यहां जानें


सकट चौथ 2025 व्रत कथा, पूजा विधि, आरती और चांद निकलने का समय जानें। गणेश जी की आराधना से जुड़ी हर जानकारी यहां पाएं।


सकट चौथ 2025: संतान की लंबी आयु और सुख-शांति का व्रत

सनातन धर्म में माघ महीने में आने वाली सकट चौथ का विशेष महत्व है। यह व्रत माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है और माताएं अपनी संतान की लंबी आयु व सुखी जीवन की कामना से निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और संकष्टी चतुर्थी की कथा सुनना शुभ माना जाता है।

सकट चौथ 2025 का शुभ मुहूर्त

सकट चौथ के लिए पूजा के विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • प्रातःकाल: सुबह 5:27 से 6:21 तक
  • मध्यान्ह: सुबह 8:34 से 9:53 तक
  • सायंकाल: शाम 6:00 से 7:00 तक

सकट चौथ व्रत कथा

सकट चौथ की कथा एक नगर के कुम्हार और उसकी समस्याओं से जुड़ी है। कुम्हार के आवा न पकने पर राजा के पंडित ने समाधान बताया कि हर दिन एक बच्चे की बलि दी जाए। लेकिन एक वृद्धा ने अपने बेटे की बलि से पहले सकट माता की पूजा की। उनकी कृपा से बच्चे को कुछ नहीं हुआ, और नगर के सभी बलि दिए गए बच्चे भी जीवित हो गए। तभी से यह व्रत संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए किया जाता है।

सकट चौथ की पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान गणेश की मूर्ति को फूल, दूब और तिल के लड्डुओं से सजाएं।
  3. दिनभर निर्जला व्रत रखें और मन में गणेश जी का ध्यान करें।
  4. शाम के शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से पूजा करें।
  5. सकट चौथ की कथा पढ़ें और चांद को अर्घ्य दें।
  6. व्रत का पारण फलाहार से करें।

चांद निकलने का समय (Sakat Chauth Moon Time 2025)

सकट चौथ का चांद देश के अधिकांश शहरों में रात 9 बजे के बाद दिखेगा। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ध्यान रखें:

  • तांबे के लोटे का उपयोग न करें।
  • जल के छींटे पैरों पर न पड़ें।

सकट चौथ पर इन चीजों का खास महत्व

  • भगवान गणेश को तिल के लड्डू, गन्ना, गुड़, और घी अर्पित करना।
  • फलाहार में मीठे व्यंजन ग्रहण करना।
  • चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत खोलना।

सकट चौथ व्रत की आरती

जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा...
सकट चौथ पर यह आरती गाकर गणेश जी को प्रसन्न करें।

सकट चौथ का व्रत माताओं के लिए संतान के प्रति प्रेम और आस्था का प्रतीक है। पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त के साथ इस दिन को पूरे विधि-विधान से मनाएं। गणेश जी की कृपा से आपकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी।

ध्यान दें:
चंद्रमा को अर्घ्य देने के समय बताए गए निर्देशों का पालन करें और व्रत का पारण विधिपूर्वक करें।

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