संभल हिंसा मामले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क को इलाहाबाद हाई कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक, लेकिन FIR रद्द नहीं होगी। जांच जारी रहेगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: सांसद बर्क को राहत, लेकिन जांच जारी रहेगी
संभल में 24 नवंबर को भड़की हिंसा के मामले में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया।
मामला क्या है?
24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह हिंसा तब शुरू हुई जब एक याचिका के आधार पर मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद की जगह पहले हरिहर मंदिर था।
बर्क और अन्य आरोपियों पर क्या हैं आरोप?
हिंसा के बाद दर्ज हुई एफआईआर में सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल के बेटे सुहेल इकबाल का नाम प्रमुखता से सामने आया। पुलिस के अनुसार, इन पर हिंसा की साजिश रचने का आरोप है।
हालांकि, सांसद बर्क ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में दावा किया कि वे हिंसा के समय बैंगलुरु में मौजूद थे और इस पूरे मामले में उनका नाम बेवजह घसीटा गया है।
कोर्ट का आदेश: गिरफ्तारी पर रोक, लेकिन विवेचना जारी
हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि चूंकि एफआईआर में लगाए गए अधिकांश आरोपों में सात साल से कम की सजा का प्रावधान है, इसलिए फिलहाल बर्क की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। लेकिन कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने से इंकार करते हुए कहा कि मामले की जांच जारी रहेगी।
संभल हिंसा: अब तक क्या हुआ?
25 गिरफ्तारियां: हिंसा के बाद पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है।
7 मुकदमे दर्ज: इस मामले में 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से 5 संभल कोतवाली और 2 नखासा थाने में दर्ज हुई हैं।
2700 आरोपित: हिंसा के सिलसिले में करीब 2700 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। विपक्ष ने इसे सरकार की "वोट बैंक राजनीति" करार दिया है, जबकि सत्तारूढ़ दल ने इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जरूरत बताया।
क्या कह रहे हैं सांसद बर्क?
सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा, "मैं हिंसा के समय संभल में नहीं था। इसके बावजूद मेरा नाम इस मामले में शामिल करना मेरे खिलाफ साजिश है। मैं कानून का सम्मान करता हूं और जांच में सहयोग करूंगा।"
क्या कहता है कानून?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाई कोर्ट का आदेश "प्रथम दृष्टया गिरफ्तारी" को रोकने के लिए है। इससे यह संकेत मिलता है कि मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ेगी।
संभल हिंसा का मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील हो गया है। इस मामले में हाई कोर्ट का फैसला न केवल सांसद जियाउर्रहमान बर्क के लिए राहत है, बल्कि यह जांच की पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करता है।
0 टिप्पणियाँ