कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के काफिले की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त, 5 लोग घायल। बलिया में संवैधानिक अधिकार यात्रा के दौरान हादसा।
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के काफिले की एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त, 5 घायल।
बलिया में संवैधानिक अधिकार यात्रा के दौरान हादसा
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद के काफिले की एक गाड़ी मंगलवार रात को बलिया जिले के खेजुरी थाना क्षेत्र के जनुआन गांव के पास दुर्घटना का शिकार हो गई। बताया जा रहा है कि रास्ते में अचानक सामने आए एक पशु को बचाने की कोशिश में गाड़ी अनियंत्रित होकर खाई में पलट गई।
इस हादसे में गाड़ी में सवार पांच लोग घायल हो गए, जिनमें चार महिला कार्यकर्ता शामिल हैं। घायलों के नाम राकेश निषाद, रामरती, ऊषा, गीता और इरावती निषाद बताए जा रहे हैं।
कैसे हुआ हादसा?
मंत्री संजय निषाद के नेतृत्व में यह काफिला संवैधानिक अधिकार यात्रा में शामिल होने के लिए बलिया की ओर जा रहा था। यात्रा के दौरान अचानक गाड़ी के सामने एक पशु आ गया, जिसे बचाने के प्रयास में ड्राइवर ने गाड़ी का नियंत्रण खो दिया। काफिले में पीछे चल रही इस गाड़ी के खाई में पलटने से स्थिति भयावह हो गई।
मंत्री की देखरेख में चल रहा इलाज
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। घायलों को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां मंत्री संजय निषाद स्वयं घायलों के इलाज की निगरानी कर रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, सभी घायल खतरे से बाहर हैं और तेजी से स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।
मंत्री का बयान
कैबिनेट मंत्री ने कहा, "यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं घायल कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा हूं और उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।" उन्होंने प्रशासन को इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्देश दिया।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब मंत्री संजय निषाद के काफिले की गाड़ियां दुर्घटना का शिकार हुई हों। इससे पहले, 2022 में प्रतापगढ़-रायबरेली बॉर्डर के पास करिहा बाजार में उनके काफिले की कई गाड़ियां टकरा गई थीं, जिसमें स्वयं मंत्री को मामूली चोटें आई थीं।
मंत्री का राजनीतिक सफर
डॉ. संजय निषाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। 2021 से वह विधान परिषद के सदस्य हैं। 2016 में उन्होंने निषाद पार्टी की स्थापना की, जो समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष करती है। राजनीति में आने से पहले वह गोरखपुर में एक दशक तक डॉक्टर के रूप में कार्यरत रहे।
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