सिद्धार्थनगर: पति की दूसरी शादी पर पत्नी का गुस्सा, पेड़ से बांधकर कर दी धुनाई, वीडियो वायरल



सिद्धार्थनगर में पत्नी ने पति को पेड़ से बांधकर पीटा। दूसरी शादी और कोर्ट केस खारिज होने से महिला का गुस्सा फूटा। वीडियो हुआ वायरल।

सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। चिल्हिया थाना क्षेत्र के टेकनार गांव में एक महिला ने अपने पति को पेड़ से बांधकर जमकर पीटा। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जानकारी के मुताबिक, महिला का गुस्सा अपने पति की दूसरी शादी और कोर्ट द्वारा भरण-पोषण केस खारिज होने के कारण फूटा।

क्या है पूरा मामला?

टेकनार गांव निवासी गौरीशंकर की पहली शादी करौना गांव की एक महिला से हुई थी। दोनों का एक बेटा भी है। लेकिन गौरीशंकर ने अपनी पहली पत्नी को छोड़कर भावपुर की एक महिला से दूसरी शादी कर ली। जब वह दूसरी पत्नी के साथ घर लौटा, तो उसकी पहली पत्नी ने बेटे के साथ करौना लौटकर अदालत में भरण-पोषण का केस दायर कर दिया।

हालांकि, किसी कारणवश अदालत ने महिला का यह केस खारिज कर दिया। अदालत से न्याय न मिलने के बाद महिला ने कई बार स्थानीय थाने और जिम्मेदार लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

पेड़ से बांधकर की पिटाई

अंततः महिला अपने बेटे के साथ टेकनार गांव पहुंची और गुस्से में पति को पेड़ से बांधकर उसकी जमकर पिटाई कर दी। इस घटना को देख गांव के लोग मौके पर जमा हो गए। किसी ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।

वीडियो वायरल होते ही यह मामला चर्चा का विषय बन गया। घटना की सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुंची। पुलिस ने गौरीशंकर को पेड़ से छुड़ाया और महिला के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

पुलिस का क्या कहना है?

चिल्हिया थानाध्यक्ष दुर्गा प्रसाद ने बताया कि महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच की जा रही है। साथ ही पुलिस ने गौरीशंकर और महिला से अलग-अलग पूछताछ शुरू कर दी है।

दूसरी शादी बना विवाद की जड़

गौरीशंकर की दूसरी शादी से उसकी पहली पत्नी बेहद नाराज थी। अदालत में केस खारिज होने के बाद उसने न्याय पाने के लिए यह कदम उठाया।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोग महिला के गुस्से को जायज ठहरा रहे हैं, तो कुछ इसे कानून अपने हाथ में लेने का मामला मान रहे हैं।

यह घटना समाज में बढ़ते पारिवारिक विवादों और उनके समाधान के अभाव की ओर इशारा करती है। कानूनी प्रक्रिया में देरी और समाधान न मिलने के कारण ऐसे विवाद हिंसा का रूप ले लेते हैं।



इस घटना ने एक बार फिर से महिलाओं की न्याय पाने की लड़ाई और उनके गुस्से को चर्चा में ला दिया है। क्या यह न्याय का सही तरीका था या फिर कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने वाला कदम? यह विचार का विषय है।

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