दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर अटकलें तेज़ हैं। क्या पहली बार विधायक बने चेहरे होंगे CM? जानिए विजेंद्र गुप्ता, प्रवेश वर्मा समेत किन नामों पर हो रहा मंथन।
दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव होने वाला है। मुख्यमंत्री पद के नए चेहरे को लेकर चर्चाओं का दौर अपने चरम पर है। बीजेपी के 48 विधायकों में से किसे दिल्ली की कमान सौंपी जाएगी, इस पर गहन मंथन जारी है। दिल्ली की जनता और सियासी गलियारों की नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा आलाकमान के फैसले पर टिकी हैं। प्रमुख दावेदारों में प्रवेश वर्मा और विजेंद्र गुप्ता का नाम सबसे आगे है, लेकिन इस बार पहली बार विधायक बने कुछ चेहरों पर भी विचार किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो नए मुख्यमंत्री का नाम सभी को चौंका सकता है।
दिल्ली को जल्द मिलेगा नया मुख्यमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर मंथन तेज हो गया है। बीजेपी हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद के लिए कई नामों पर विचार किया है, लेकिन अंतिम फैसला अभी नहीं लिया गया है। चर्चा यह भी है कि 19 या 20 फरवरी को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। इससे पहले भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें पार्टी का नया नेता चुना जाएगा।
प्रमुख दावेदार कौन?
दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के लिए कई नामों पर विचार किया जा रहा है। इनमें सबसे प्रमुख नाम हैं:
- प्रवेश वर्मा: पश्चिम दिल्ली के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे। जाट समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते हैं।
- विजेंद्र गुप्ता: भाजपा के वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता। संगठन में अच्छी पकड़ रखते हैं।
- मनजिंदर सिंह सिरसा: सिख समुदाय से आते हैं और दिल्ली में भाजपा के बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं।
- अभय वर्मा: लक्ष्मी नगर से दूसरी बार विधायक बने हैं, पूर्वांचली समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं।
- रेखा गुप्ता: शालीमार बाग से पहली बार विधायक बनीं, महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए उनका नाम चर्चा में है।
- शिखा राय: ग्रेटर कैलाश से भाजपा की विधायक, दक्षिण दिल्ली में मजबूत पकड़।
- सतीश उपाध्याय: पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और अनुभवी नेता, संगठन में अच्छी पकड़।
- पवन शर्मा: उत्तम नगर से विधायक, पहली बार जीतने के बावजूद प्रभावी प्रदर्शन किया।
- मोहन सिंह बिष्ट: छह बार विधायक रह चुके हैं, मुस्तफाबाद क्षेत्र का नाम बदलने का प्रस्ताव भी दे चुके हैं।
पहली बार जीते विधायकों पर भी नजर
दिल्ली में इस बार भाजपा के कई नए चेहरे जीतकर आए हैं। खास बात यह है कि पहली बार विधायक बने कुछ नेताओं को मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित दावेदार माना जा रहा है। पार्टी नेतृत्व युवा और नई ऊर्जा वाले चेहरे को आगे लाने पर भी विचार कर रहा है। यही वजह है कि कुछ अनुभवी नेताओं के साथ-साथ नए विधायकों के नाम भी चर्चा में हैं।
भाजपा विधायक दल की बैठक में होगा फैसला
नई सरकार के गठन से पहले भाजपा विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी। बैठक में केंद्रीय नेतृत्व से पर्यवेक्षक भेजे जाएंगे, जो सभी विधायकों से चर्चा कर मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए फैसला करेगा।
19 या 20 फरवरी को हो सकता है शपथ ग्रहण समारोह
अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक चला, तो 19 या 20 फरवरी को दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल सकता है। नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। संभावना है कि यह समारोह भव्य होगा, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं।
दिल्ली की जनता की क्या राय?
दिल्ली में भाजपा की जीत के बाद से ही जनता यह जानना चाहती है कि उनका नया मुख्यमंत्री कौन होगा। सोशल मीडिया पर अलग-अलग नामों को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। कोई चाहता है कि अनुभवी नेता को यह जिम्मेदारी मिले, तो कोई युवा और नई सोच वाले नेता को दिल्ली की कमान सौंपने की वकालत कर रहा है।
क्या पहली बार विधायक बने नेता बन सकते हैं मुख्यमंत्री?
यह सवाल दिल्ली की राजनीति में सबसे बड़ा बन गया है। भाजपा ने कई राज्यों में ऐसे प्रयोग किए हैं, जहां पहली बार विधायक बने नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया। गुजरात में भूपेंद्र पटेल और उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी इसका उदाहरण हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली में भी भाजपा ऐसा कोई चौंकाने वाला फैसला लेती है या नहीं।
दिल्ली को जल्द मिलेगा नया सीएम
दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बरकरार है, लेकिन इतना तय है कि भाजपा कोई बड़ा राजनीतिक दांव खेलने जा रही है। अब सवाल यह है कि क्या दिल्ली को कोई अनुभवी नेता मिलेगा, या फिर पहली बार विधायक बने किसी चेहरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी जाएगी? सभी की निगाहें भाजपा आलाकमान के फैसले पर टिकी हैं। 19 या 20 फरवरी को इसका खुलासा हो सकता है।
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