CVC ने अरविंद केजरीवाल के 45 करोड़ के बंगले ‘शीशमहल’ की जांच के आदेश दिए। 8 एकड़ में फैले इस आलीशान बंगले में नियमों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। उनके 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित आलीशान बंगले को लेकर सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) ने जांच के आदेश दिए हैं। आरोप है कि इस बंगले के निर्माण में कई नियमों की अनदेखी की गई और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ। इस महलनुमा बंगले को विपक्ष ने ‘शीशमहल’ करार दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बंगले की रेनोवेशन और इंटीरियर पर 45 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच होगी।
CVC ने क्यों दिए जांच के आदेश?
CVC ने दो शिकायतों का संज्ञान लेते हुए लोक निर्माण विभाग (PWD) से इस मामले पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी। बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने 40,000 वर्ग गज (8 एकड़) भूमि पर एक भव्य बंगला बनवाने के लिए भवन नियमों का उल्लंघन किया। साथ ही, बंगले के रेनोवेशन और इंटीरियर डेकोरेशन पर जरूरत से ज्यादा सरकारी धन खर्च करने का आरोप लगाया गया।
CVC के आदेश के बाद अब CPWD इस बंगले की गहन जांच करेगा। यदि अनियमितताओं की पुष्टि होती है, तो इस मामले में बड़ा ऐक्शन लिया जा सकता है।
क्या है ‘शीशमहल’ विवाद?
दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने सरकारी खर्च पर एक आलीशान बंगला बनवाया था, जिसे बीजेपी ने ‘शीशमहल’ नाम दिया। 2023 में इस बंगले की तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद बवाल मच गया था। विपक्ष ने इसे जनता के पैसे की बर्बादी बताते हुए जमकर हमला बोला था।
बंगले के इंटीरियर में महंगे इटालियन मार्बल, लक्जरी फर्नीचर और आधुनिक डिजाइन का इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिर्फ पर्दों पर ही 4-5 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसके अलावा, स्विमिंग पूल, हाई-टेक सिक्योरिटी सिस्टम और आलीशान लॉन भी इस बंगले का हिस्सा हैं।
क्या कहती है बीजेपी?
बीजेपी ने इस मामले को लेकर कई बार अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से शिकायत कर कहा था कि केजरीवाल का बंगला गलत तरीके से 4 सरकारी संपत्तियों को मिलाकर बनाया गया है।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि जब दिल्ली की जनता बिजली, पानी और महंगाई से जूझ रही थी, तब केजरीवाल ने अपने लिए ‘राजमहल’ बनवा लिया। पार्टी ने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
AAP का क्या है बचाव?
आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस विवाद पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, इससे पहले पार्टी के कुछ नेताओं ने बचाव में कहा था कि मुख्यमंत्री के लिए एक उचित आवास की जरूरत होती है। AAP ने आरोप लगाया था कि बीजेपी राजनीतिक बदले की भावना से इस मुद्दे को उछाल रही है।
क्या बढ़ सकती हैं केजरीवाल की मुश्किलें?
CVC की जांच के आदेश के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। अगर जांच में नियमों के उल्लंघन और सरकारी धन के दुरुपयोग की पुष्टि होती है, तो अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस मामले में आगे की कार्रवाई क्या होगी, यह जांच रिपोर्ट आने के बाद तय होगा।
फिलहाल, इस विवाद ने दिल्ली की राजनीति को फिर से गरमा दिया है। अब सभी की निगाहें CVC की रिपोर्ट पर टिकी हैं कि क्या यह मामला केवल राजनीतिक विवाद तक सीमित रहेगा या फिर इसमें कोई कानूनी कार्रवाई भी देखने को मिलेगी।
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