मछलीशहर केस में हाईकोर्ट ने पत्रकार मनीष यादव के परिवार को बड़ी राहत दी, सभी कानूनी कार्रवाई पर रोक लगाई, जानें पूरा मामला।
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
मछलीशहर के चर्चित किसान सेवा केंद्र पेट्रोल पंप विवाद में पत्रकार मनीष यादव के परिवार को बड़ी जीत मिली है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी, आरोपपत्र और सभी तरह की कानूनी कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
पिछले कुछ महीनों से यादव परिवार के खिलाफ लगातार कानूनी दबाव बनाया जा रहा था। इस केस में पत्रकार मनीष यादव की पत्नी पूनम यादव को भी फंसाने की कोशिश की गई थी, जिनके नाम पर यह पेट्रोल पंप संचालित था। आरोप है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते उनके खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाए गए थे। हालांकि, हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार श्रीवास्तव की मजबूत पैरवी के चलते अदालत ने यादव परिवार को राहत दी और सभी तरह की अग्रिम कार्रवाई पर रोक लगा दी।
क्या है पूरा मामला?
मछलीशहर के जीरकपुर निवासी संतोष गुप्ता ने पूनम यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें लेन-देन और संपत्ति विवाद को आधार बनाया गया था। गुप्ता ने कथित तौर पर कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कराई और इस मामले को अदालत तक पहुंचाया। इसके बाद, स्थानीय स्तर पर पुलिस और प्रशासन द्वारा भी यादव परिवार पर दबाव बनाया गया।
पत्रकार मनीष यादव का कहना है कि वह और उनका परिवार राजनीतिक द्वेष का शिकार हो रहे हैं। समाजवादी पार्टी से जुड़े होने के कारण उन्हें विपक्षी गुटों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका परिवार निर्दोष है और उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप मनगढ़ंत हैं।
हाईकोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यादव परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि—
- मामला राजनीतिक साजिश के तहत दर्ज किया गया था।
- विपक्षी पक्ष के पास कोई ठोस सबूत नहीं था।
- दस्तावेजों की सत्यता संदेहास्पद थी।
इन तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार की आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट के आदेश के बाद अब यादव परिवार को राहत मिली है और उन्हें कानूनी उत्पीड़न से बचाव मिला है।
क्या होगा आगे?
मनीष यादव ने ऐलान किया है कि वह इस मामले में मानहानि का केस दर्ज करेंगे। उन्होंने कहा कि झूठे मुकदमे दर्ज कर उनके परिवार को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से परेशान किया गया है। इसके लिए वह हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश श्रीवास्तव और जौनपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप कुमार सिंह की सलाह लेकर कानूनी कदम उठाएंगे।
इसके अलावा, यादव परिवार ने विपक्षी पक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि विपक्षी व्यक्ति खुद को भाजपा नेता बताता है, लेकिन असल में वह एक पेशेवर धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति है, जिसके खिलाफ पहले से ही कई मामले चल रहे हैं।
राजनीतिक साजिश या कानूनी लड़ाई?
इस पूरे विवाद को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है। जहां यादव परिवार इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहा है, वहीं विपक्षी गुट इसे कानूनी लड़ाई बता रहे हैं। लेकिन हाईकोर्ट का यह फैसला यादव परिवार के पक्ष में आया है, जिससे यह साफ हो गया कि आरोप मनगढ़ंत थे।
अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला क्या मोड़ लेता है और यादव परिवार द्वारा दायर किए जाने वाले मानहानि केस का परिणाम क्या निकलता है। फिलहाल, हाईकोर्ट के इस आदेश से पत्रकार मनीष यादव और उनका परिवार राहत की सांस ले सकता है।
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