महाकुंभ 2025 के अंतिम सप्ताह में दुर्लभ खगोलीय घटना! 7 ग्रह एक साथ नजर आएंगे, जब 26 फरवरी को प्रयागराज में महाकुंभ समाप्त होगा। जानिए पूरा विवरण।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है और इस बार इसका समापन एक अद्भुत खगोलीय नजारे के साथ होगा। 26 फरवरी को जब श्रद्धालु अंतिम आस्था स्नान करेंगे, तब आसमान में एक दुर्लभ खगोलीय घटना घटित होगी। इस दिन सौरमंडल के सातों प्रमुख ग्रह – बुध (Mercury), शुक्र (Venus), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), यूरेनस (Uranus) और नेपच्यून (Neptune) एक सीधी पंक्ति में नजर आएंगे। यह नजारा एक बार फिर से महाकुंभ को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देगा।
खगोलीय संयोग जो सदियों में कभी-कभार होता है!
इस अद्भुत खगोलीय घटना का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह संयोग सदियों में कभी-कभार ही देखने को मिलता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आखिरी बार ऐसा संयोग 2022 में देखा गया था, लेकिन तब केवल पांच ग्रह स्पष्ट रूप से दिखाई दिए थे। इस बार पूरे सातों ग्रह एक साथ नजर आएंगे, जिससे यह एक और भी दुर्लभ खगोलीय घटना बन जाती है।
यह दृश्य सबसे साफ़ 28 फरवरी को होगा, जब सभी ग्रह सूरज की एक ओर एक सीधी रेखा में दिखेंगे। विज्ञान जगत के लिए यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होगी, जबकि आध्यात्मिक दृष्टि से इसे शुभ माना जा रहा है, क्योंकि यह महाकुंभ के समापन के समय हो रहा है।
आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा – कब और कैसे देखें?
अगर आप इस दिव्य संयोग का प्रत्यक्ष अनुभव करना चाहते हैं तो सूरज डूबने के तुरंत बाद या सूरज उगने से पहले आसमान की ओर नजरें जमाइए। आप बिना किसी उपकरण के बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि को देख सकते हैं। लेकिन, यूरेनस और नेपच्यून को साफ़ देखने के लिए टेलिस्कोप या बाइनोकुलर की जरूरत होगी।
महाकुंभ का आखिरी आस्था स्नान – भक्तों की उमड़ी भीड़
13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। प्रयागराज के संगम तट पर आस्था और भक्ति की धारा बह रही है। लाखों श्रद्धालु हर दिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पावन डुबकी लगा रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 55 करोड़ से अधिक भक्त कुंभ स्नान कर चुके हैं, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बनाता है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य राजनीतिक, धार्मिक व सामाजिक हस्तियों ने इस पावन अवसर पर डुबकी लगाई है। अब जब महाकुंभ अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, तो अंतिम हफ्ते में श्रद्धालुओं की संख्या में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।
महाकुंभ 2025 का समापन – आध्यात्मिकता और विज्ञान का दुर्लभ संगम
26 फरवरी को जब महाकुंभ 2025 का आधिकारिक समापन होगा, तब यह एक ऐतिहासिक दिन बन जाएगा। एक ओर गंगा तट पर अंतिम आस्था स्नान होगा, वहीं दूसरी ओर आसमान में सौरमंडल के सातों ग्रहों का दुर्लभ संयोग होगा। यह सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और विज्ञान का अद्भुत मेल होगा, जो महाकुंभ को और भी विशेष बना देगा।
अगर आप इस दिव्य क्षण के साक्षी बनना चाहते हैं, तो अपनी नजरें आसमान की ओर उठाइए और इस दुर्लभ नजारे को अपनी यादों में संजो लीजिए।
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