NDLS भगदड़ से 18 मौतें! चश्मदीद ने बताया, भीड़ 3 घंटे पहले बढ़ी थी, रेलवे प्रशासन फेल रहा, अब उच्च स्तरीय जांच के आदेश!
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ का बड़ा खुलासा, प्रशासन की लापरवाही ने मचाया हाहाकार
NDLS Stampede Latest News: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात मची भगदड़ ने 18 लोगों की जान ले ली। हादसे के बाद अब रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। चश्मदीदों का कहना है कि भगदड़ से तीन घंटे पहले ही भीड़ बेकाबू होने लगी थी, लेकिन कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए। नतीजा यह निकला कि जब प्लेटफॉर्म बदले जाने की घोषणा हुई, तो सैकड़ों यात्री फुटओवर ब्रिज की ओर दौड़ पड़े और भगदड़ मच गई।
रेलवे स्टेशन पर उमड़ी भीड़ को काबू में करने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा। जो यात्री टिकट लेकर आए थे, वे भी बिना टिकट वालों की भीड़ में फंस गए। अनाउंसमेंट में बदलाव होते ही हालात और बिगड़ गए, जिससे यह भयानक हादसा हुआ। इस दुर्घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दुख व्यक्त किया है, जबकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
रेलवे प्रशासन की बड़ी लापरवाही आई सामने!
हादसे के बाद जो खुलासे हो रहे हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। एक चश्मदीद ने बताया कि भीड़ शाम 7 बजे से ही प्लेटफॉर्म पर बढ़नी शुरू हो गई थी, लेकिन रेलवे ने इसे काबू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अगर समय रहते भीड़ को नियंत्रित किया जाता, तो इतनी दर्दनाक घटना न होती।
चश्मदीद ने कहा, "सबसे ज्यादा भीड़ प्लेटफार्म नंबर 12 से 16 के बीच थी।" प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को लेकर अचानक अनाउंसमेंट किया गया कि वह प्लेटफार्म 14 की बजाय प्लेटफार्म 16 पर आएगी। यह सुनते ही सैकड़ों यात्री फुटओवर ब्रिज की ओर दौड़ पड़े, क्योंकि पहले से वहां पहले से ही देरी से चल रही दो अन्य ट्रेनों के यात्री मौजूद थे।
इस दौरान भीड़ इतनी ज्यादा हो गई कि लोग एक-दूसरे पर चढ़ने लगे, और भगदड़ मच गई। शरीर दबने और दम घुटने से कई लोगों की मौत हो गई।
1500 टिकट प्रति घंटा बेचा, लेकिन ट्रेनों में इतनी सीटें नहीं थीं!
रेलवे ने इस दौरान एक और गंभीर लापरवाही की। स्टेशन पर टिकट बिक्री तो जारी रही, लेकिन ट्रेनों में इतनी जगह ही नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, रेलवे काउंटर से प्रति घंटे 1500 टिकट बेचे जा रहे थे, जबकि ट्रेन में यात्रियों के बैठने की जगह ही नहीं थी।
इससे कई यात्री बिना टिकट भी भीतर घुसने लगे, जिससे हालात और बिगड़ गए। रेलवे प्रशासन यात्रियों को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रहा।
रेल मंत्री ने बुलाई आपात बैठक, क्या होंगे बड़े फैसले?
रेल हादसे के बाद रेल भवन में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे अधिकारियों से इस पूरी घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। बैठक में इस बात की जांच होगी कि भगदड़ किन कारणों से हुई और किन अधिकारियों की लापरवाही थी।
माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद रेलवे में कुछ बड़े प्रशासनिक फैसले लिए जा सकते हैं। रेलवे सुरक्षा में लापरवाही को लेकर कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
घायलों का इलाज जारी, मुआवजे पर सरकार का क्या फैसला?
इस हादसे में घायल यात्रियों को लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दिल्ली सरकार ने घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है।
रेलवे की ओर से भी मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा जल्द हो सकती है। हालांकि, अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर रेलवे प्रशासन की इतनी बड़ी लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार होगा?
क्या यह हादसा टल सकता था? रेलवे की ये 3 गलतियां बनी मौत की वजह
- तीन घंटे पहले से ही भीड़ बढ़ने लगी थी, लेकिन कोई कंट्रोल नहीं किया गया।
- प्लेटफॉर्म बदलने का अनाउंसमेंट गलत समय पर किया गया, जिससे अफरातफरी मची।
- 1500 टिकट प्रति घंटे बेचे गए, जबकि ट्रेनों में इतनी जगह ही नहीं थी।
अब क्या होंगे अगले कदम?
रेलवे अब इस पूरे मामले की जांच करेगा। बैठक में नई सुरक्षा नीतियों पर चर्चा होगी, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों।
अब देखना यह है कि रेलवे प्रशासन इस हादसे की जिम्मेदारी लेता है या फिर हमेशा की तरह लापरवाही को दबाने की कोशिश होती है।
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