नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 की मौत, 10 घायल। कुप्रबंधन, टिकट बिक्री और भीड़ नियंत्रण में लापरवाही से बढ़ा हादसा। जानें पूरी रिपोर्ट।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़, 18 यात्रियों की दर्दनाक मौत, रेलवे की 5 बड़ी लापरवाहियां उजागर
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) पर शनिवार रात भयानक भगदड़ मच गई, जिसमें 18 यात्रियों की मौत हो गई और 10 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। चश्मदीदों की मानें तो हादसे के दौरान स्टेशन पर चीख-पुकार मच गई थी, लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन भारी भीड़ के कारण कई यात्री कुचल गए। रेलवे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों पर फिर से सवाल उठने लगे हैं कि जब स्टेशन पर इतनी भीड़ थी, तो भीड़ नियंत्रण के लिए पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
इस भगदड़ का सबसे बड़ा कारण था महाकुंभ प्रयागराज (Mahakumbh Prayagraj) के लिए जा रही ट्रेनों में जरूरत से ज्यादा यात्रियों का जुटना। इसके अलावा, रेलवे की लापरवाही, टिकट बिक्री की अनियंत्रित व्यवस्था और समय पर राहत न पहुंचने के कारण यह हादसा और भी भयावह हो गया।
कैसे हुई भगदड़, कहां हुई चूक?
प्रत्यक्षदर्शियों और रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, भगदड़ की शुरुआत प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 16 के पास हुई, जब यात्रियों की भारी भीड़ एस्केलेटर के पास जमा हो गई। अचानक शुरू हुई धक्का-मुक्की ने स्थिति को बेकाबू कर दिया, और कई लोग नीचे गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए। आइए जानते हैं कि आखिर किन कारणों से यह भयावह हादसा हुआ।
1. जरूरत से ज्यादा टिकटों की बिक्री, भीड़ नियंत्रण में चूक
रेलवे ने हर घंटे 1,500 से ज्यादा सामान्य टिकट (General Ticket) बेचे, जिससे स्टेशन पर भीड़ अनियंत्रित हो गई। प्लेटफॉर्म पहले से ही यात्रियों से भरा हुआ था, और अतिरिक्त टिकटों के कारण हजारों लोग बिना किसी नियंत्रण के स्टेशन में दाखिल हो गए।
चश्मदीदों के अनुसार, भीड़ इतनी ज्यादा थी कि यात्रियों के पास सांस लेने की भी जगह नहीं थी। यदि रेलवे सामान्य टिकटों की संख्या को सीमित करता या भीड़ नियंत्रण के लिए बेहतर रणनीति अपनाता, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
2. बिना टिकट यात्रियों का हंगामा, ट्रेन में घुसने की होड़
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर रोज हजारों यात्री बिना टिकट यात्रा करने की कोशिश करते हैं, लेकिन महाकुंभ के कारण यह संख्या कई गुना बढ़ गई थी। कई यात्री बिना टिकट भीड़ का फायदा उठाकर ट्रेन में घुसने की फिराक में थे।
कंफर्म टिकट वाले यात्री भी ट्रेन में चढ़ने में असमर्थ रहे, क्योंकि जनरल टिकट और बिना टिकट यात्री पहले ही गेट पर खड़े होकर ट्रेन में घुसने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे। एसी कोच तक भी पूरी तरह से पैक हो चुके थे, जिससे कई यात्रियों को ट्रेन से नीचे उतरना पड़ा।
3. ट्रेन देरी से पहुंची, यात्रियों की बेचैनी से बिगड़ी स्थिति
स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनें घंटों देरी से चल रही थीं, जिससे प्लेटफॉर्म पर हजारों यात्री जमा हो गए। जब प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर पहुंची, तो यात्रियों में जल्दबाजी मच गई।
भीड़ में कुछ यात्रियों ने आगे बढ़ने के लिए धक्का देना शुरू कर दिया, और इसी अफरा-तफरी में सैकड़ों लोग सीढ़ियों और एस्केलेटर पर गिर गए।
4. रेलवे और सुरक्षाकर्मियों की नाकामी
रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही कमजोर थी। भीड़ नियंत्रण के लिए तैनात रेलवे पुलिस और सुरक्षाकर्मी हालात संभालने में पूरी तरह असफल रहे।
कई यात्रियों ने आरोप लगाया कि भगदड़ के दौरान सुरक्षाकर्मी नदारद थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न तो बैरिकेडिंग की गई थी और न ही कोई पुख्ता योजना बनाई गई थी।
5. राहत कार्य में देरी, कई जिंदगियां बच सकती थीं
हादसे के बाद एनडीआरएफ (NDRF) और रेलवे मेडिकल टीम को घटनास्थल पर पहुंचने में काफी समय लग गया। घायलों को तुरंत अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका, जिससे कई यात्रियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यदि राहत कार्य तेजी से किया जाता, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं। लेकिन प्रशासन की सुस्ती ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
रेलवे प्रशासन पर उठे सवाल, कार्रवाई की मांग
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की यह भगदड़ एक बार फिर रेलवे के कुप्रबंधन को उजागर कर रही है। जब पहले से ही स्टेशन पर भारी भीड़ थी, तो रेलवे ने अतिरिक्त टिकट बेचकर स्थिति को और बिगाड़ने का काम क्यों किया?
यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे और प्रशासन की होती है, लेकिन इस बार दोनों ही नाकाम साबित हुए। मृतकों के परिजनों ने रेलवे प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
क्या भविष्य में ऐसे हादसे टल सकते हैं?
इस हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या रेलवे ने इससे कोई सबक सीखा?
अगर रेलवे समय रहते टिकट बिक्री को नियंत्रित करता, सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करता और राहत कार्यों को तेज करता, तो शायद यह हादसा नहीं होता।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि रेलवे अब अपनी रणनीति बदले और भीड़ नियंत्रण के लिए बेहतर उपाय करे, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों को रोका जा सके।
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