नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ में 18 की मौत, 30 घायल। रिपोर्ट में खुलासा—गलत अनाउंसमेंट और सुरक्षा चूक बनी हादसे की वजह।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी को हुए दर्दनाक हादसे में 18 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की जांच रिपोर्ट में इस भगदड़ के पीछे की खौफनाक सच्चाई सामने आई है। चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि प्रशासन की बड़ी लापरवाही और गलत अनाउंसमेंट के कारण यात्रियों में अफरातफरी मची, जिससे यह भयावह हादसा हुआ। रिपोर्ट में स्टेशन पर भारी भीड़, सुरक्षा चूक और अव्यवस्थित प्रबंधन को इस त्रासदी का जिम्मेदार ठहराया गया है।
गलत अनाउंसमेंट बना हादसे की वजह, 3 मिनट में मच गई तबाही
रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे की शुरुआत रात 8:45 बजे हुई, जब अनाउंस किया गया कि प्रयागराज के लिए कुंभ स्पेशल ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 12 से रवाना होगी। इस घोषणा के बाद हजारों यात्री प्लेटफार्म 12 की ओर दौड़ पड़े, लेकिन महज कुछ मिनटों बाद फिर से घोषणा कर दी गई कि ट्रेन प्लेटफार्म 16 से जाएगी। यह सुनते ही भीड़ में खलबली मच गई और लोग तेजी से प्लेटफार्म बदलने लगे।
स्टेशन पर मौजूद चश्मदीदों के अनुसार, प्लेटफार्म 12, 13, 14 और 15 से भारी संख्या में यात्री ओवरब्रिज की ओर भागे। इसी दौरान दूसरी ट्रेन के यात्री नीचे उतर रहे थे, जिससे सीढ़ियों पर जबरदस्त धक्का-मुक्की शुरू हो गई। देखते ही देखते भगदड़ मच गई और महज 3 मिनट के भीतर 18 लोगों की जान चली गई।
CCTV खराब, सुरक्षा व्यवस्था फेल, रेलवे की बड़ी चूक
इस हादसे की सबसे चिंताजनक बात यह रही कि जहां भगदड़ मची, वहां का CCTV कैमरा खराब था। रेलवे प्रशासन के पास घटना का कोई सीधा फुटेज नहीं है। हालांकि, सीढ़ियों के पीछे एस्केलेटर पर लगे कैमरे काम कर रहे थे, जिनमें यात्रियों की बढ़ती भीड़ और अफरा-तफरी साफ देखी गई।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भीड़ प्रबंधन के लिए RPF के 270 जवानों की तैनाती की जाती है, लेकिन हादसे के वक्त सिर्फ 80 जवान ही ड्यूटी पर थे। बाकी जवानों को प्रयागराज भेज दिया गया था, जिससे स्टेशन पर पर्याप्त सुरक्षा नहीं थी।
हादसे से पहले ही दिया गया था अलर्ट, फिर भी नहीं उठाए गए कदम
RPF इंस्पेक्टर ने हादसे से कुछ ही मिनट पहले स्टेशन डायरेक्टर को भीड़ बढ़ने की सूचना दी थी। इंस्पेक्टर ने सलाह दी थी कि स्पेशल ट्रेन को जल्द रवाना किया जाए और प्रयागराज के लिए टिकटों की बिक्री पर रोक लगाई जाए। लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया, जिसका नतीजा यह भयावह त्रासदी बनी।
त्योहारों के मौसम में रेलवे का खराब प्रबंधन बना काल
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रोजाना शाम 6 से 8 बजे के बीच औसतन 7000 टिकट बुक होते हैं, लेकिन हादसे के दिन यह संख्या बढ़कर 9600 से ज्यादा हो गई थी। इसी वजह से अजमेरी गेट साइड प्लेटफार्मों पर भीड़ बेकाबू हो गई।
त्योहारों के सीजन में रेलवे का अव्यवस्थित प्रबंधन हमेशा यात्रियों के लिए खतरा बनता रहा है। होली, दिवाली, छठ पूजा और कुंभ मेले जैसे अवसरों पर स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण की कोई ठोस योजना नहीं होती। इस हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब क्या करेगी रेलवे? पीड़ितों को कितना मिलेगा मुआवजा?
हादसे के बाद रेलवे ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है, जबकि गंभीर रूप से घायल यात्रियों को 2 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे।
रेलवे मंत्री ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण और अनाउंसमेंट सिस्टम को दुरुस्त करने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये कदम भविष्य में ऐसी त्रासदी रोकने के लिए काफी होंगे?
रेलवे प्रशासन की लापरवाही ने ली 18 निर्दोष जानें
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुआ यह हादसा किसी प्राकृतिक आपदा का नतीजा नहीं था, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और अव्यवस्थित प्रबंधन का परिणाम था। गलत अनाउंसमेंट, भीड़ नियंत्रण में विफलता, सुरक्षा जवानों की कमी और CCTV का खराब होना—ये सभी कारण इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं। अब देखना होगा कि रेलवे इस घटना से सबक लेकर क्या ठोस कदम उठाता है या फिर यह हादसा भी सरकारी फाइलों में दफन हो जाएगा।
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