122 करोड़ की धोखाधड़ी के चलते न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर RBI का 6 महीने का बैन, जमाकर्ताओं के पैसे फंसे, आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की जांच।
मुंबई में बैंकिंग घोटाला: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के गबन से हड़कंप
मुंबई में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 122 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बैंक पर 6 महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस घोटाले के पीछे बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर का नाम सामने आ रहा है, जिन्होंने कथित तौर पर बैंक के फंड में हेरफेर की।
इस मामले के बाद लाखों खाताधारकों में हड़कंप मच गया है। जमाकर्ताओं की जमा पूंजी फिलहाल फंस गई है, क्योंकि RBI के निर्देशों के मुताबिक, अब कोई भी व्यक्ति अपनी रकम नहीं निकाल सकता। बैंक के मौजूदा नकदी संकट को देखते हुए RBI ने सख्त कदम उठाते हुए सभी लेन-देन पर रोक लगा दी है।
कैसे हुआ 122 करोड़ रुपये का गबन?
बैंकिंग सेक्टर को हिला देने वाले इस घोटाले में बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर हितेश प्रवीनचंद मेहता पर गंभीर आरोप लगे हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि 2020 से 2025 के बीच उन्होंने दादर और गोरेगांव ब्रांच से यह रकम गबन की।
कैसे हुई ये हेराफेरी?
- बैंक की ट्रेजरी से मोटी रकम को फर्जी दस्तावेजों के जरिए निकाला गया।
- नकली अकाउंट्स और फर्जी एंट्री से घोटाले को अंजाम दिया गया।
- आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offenses Wing) ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
- दादर पुलिस स्टेशन में BNI अधिनियम की धारा 316(5) और 61(2) के तहत FIR दर्ज की गई।
RBI का बड़ा फैसला – 6 महीने के लिए बैंक पर लगा प्रतिबंध
RBI ने गुरुवार को घोषणा की कि बैंक की वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह प्रतिबंध जरूरी था। अब बैंक:
- बिना RBI की अनुमति के लोन नहीं दे सकेगा।
- कोई नया निवेश नहीं कर सकेगा।
- किसी भी प्रकार का नया डिपॉजिट स्वीकार नहीं करेगा।
हालांकि, बैंक के कर्मचारियों के वेतन, किराया और बिजली बिल जैसी जरूरी चीजों पर खर्च की इजाजत दी गई है।
जमाकर्ताओं में दहशत, बैंक के 28 ब्रांच पर संकट
मुंबई, ठाणे, पालघर में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की 26 ब्रांच और सूरत में 2 ब्रांच हैं। लाखों खाताधारकों के पैसे फंसे होने के कारण लोग बैंक के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रतिबंध के बाद लोगों की जमा पूंजी डूबने का खतरा बढ़ गया है।
बैंक घोटाले को लेकर अब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने जांच तेज कर दी है। यह साफ हो चुका है कि यह घोटाला सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि बैंक के अंदरूनी कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है।
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले का असर
- लाखों खाताधारकों के पैसे फंसे, भारी दहशत।
- बैंकिंग सेक्टर में फिर उठा भरोसे का सवाल।
- RBI की सख्ती के बावजूद कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला?
- आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक के सभी वित्तीय रिकॉर्ड जब्त किए।
अब आगे क्या होगा?
बैंकिंग घोटाले के मामलों में आमतौर पर जमाकर्ताओं को राहत देने के लिए सरकार और RBI कुछ कड़े कदम उठाते हैं। संभावनाएं हैं कि DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) के तहत खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा दी जाए।
बैंकिंग सिस्टम में भरोसे पर फिर से बड़ा सवाल!
इस मामले ने फिर साबित किया कि बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और मजबूत नियामक नियंत्रण की जरूरत है। जिस बैंक पर लोगों ने भरोसा किया, वहीं के अधिकारी रक्षक से भक्षक बन गए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और RBI इस घोटाले से प्रभावित खाताधारकों को कैसे राहत देते हैं।
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