रामभद्राचार्य ने औरंगजेब की कब्र पर बुलडोजर चलाने की मांग की, कहा- वह क्रूर, हिंसक और दुष्ट था, हिंदुस्तान का आदर्श नहीं हो सकता. जानिए पूरा मामला.
नई दिल्ली: तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने मुगल शासक औरंगजेब को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि औरंगजेब एक क्रूर, हिंसक और दुष्ट शासक था, जिसने हजारों निर्दोष लोगों की हत्या की और हिंदू संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया। उन्होंने मांग की कि औरंगजेब की कब्र पर बुलडोजर चलाया जाना चाहिए, क्योंकि वह हिंदुस्तान का आदर्श नहीं हो सकता।
रामभद्राचार्य के इस बयान से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। उन्होंने कहा कि भारत के आदर्श छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, भगवान राम और श्रीकृष्ण हैं, न कि औरंगजेब जैसा अत्याचारी शासक। उन्होंने औरंगजेब पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने हजारों ब्राह्मणों की हत्या की, जबरन धर्मांतरण कराया और मंदिरों को तोड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि जब तिरुपति बाला जी मंदिर में मधुमक्खियों ने औरंगजेब पर हमला किया था, तो वह वहां से भाग खड़ा हुआ था।
अबू आजमी की मुसीबत बढ़ी, बयान देकर फंसे
महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के लिए भी यह विवाद गले की फांस बन गया है। उन्होंने हाल ही में औरंगजेब को "महान" कहकर बड़ी मुसीबत मोल ले ली। उनके इस बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है और अब उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है।
आजमी ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर लिखा कि वह किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते और अगर उनके बयान से किसी को दुख हुआ है, तो वह इसे वापस लेते हैं।
विपक्ष ने उठाए सवाल, अखिलेश यादव का बयान
इस मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कूद पड़े हैं। उन्होंने इस पूरी कार्रवाई को गलत बताया, लेकिन रामभद्राचार्य ने अखिलेश के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि "भगवान जाने उन्हें क्यों नहीं समझ आ रहा कि औरंगजेब भारत के लिए आदर्श नहीं हो सकता।"
इस विवाद के बाद महाराष्ट्र में माहौल गरमा गया है। एक ओर हिंदू संगठनों और संतों की ओर से औरंगजेब की कब्र पर बुलडोजर चलाने की मांग की जा रही है, तो दूसरी ओर अबू आजमी जैसे नेताओं के बयानों से राजनीतिक भूचाल आ गया है। देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद को लेकर सरकार क्या फैसला लेती है और विपक्ष कैसे प्रतिक्रिया देता है।
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