बरेली में ईंट भट्ठे की दीवार ढहने से मजदूर की मौत, परिजनों ने हाईवे जाम किया, लापरवाही पर फूटा गुस्सा, मालिक मौके से फरार।
सनसनीखेज हादसा: बरेली के मीरगंज में मौत बनकर गिरी दीवार, मजदूर दबे, एक की गई जान
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया जिसने पूरे इलाके को दहला दिया। मीरगंज क्षेत्र के नेशनल हाईवे किनारे स्थित एक ईंट भट्ठे की जर्जर दीवार अचानक भरभराकर गिर गई। इस हादसे में सात मजदूर मलबे के नीचे दब गए, जिनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि छह मजदूरों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
भट्ठे की हालत पहले से ही खस्ताहाल थी, जिसकी कई बार शिकायत भी की गई थी, लेकिन प्रशासन ने नजरअंदाजी की।
तीन घंटे तक मलबे में दबे रहे मजदूर, मौत से लड़ते रहे
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा सुबह करीब 11 बजे हुआ जब मजदूर दीवार के पास काम कर रहे थे। अचानक तेज आवाज के साथ दीवार धराशायी हो गई और सभी मजदूर उसमें दब गए। Bareilly accident today की यह खबर आग की तरह फैली और गांव में हड़कंप मच गया। तुरंत जेसीबी मशीन से मलबा हटाने का कार्य शुरू हुआ, लेकिन जब तक बचाव किया जाता, एक मजदूर की जान जा चुकी थी।
NDRF की टीम ने संभाला मोर्चा, लेकिन देरी से पहुंची मदद
घटना की जानकारी मिलते ही NDRF team Bareilly, पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचे, लेकिन परिजनों का आरोप है कि प्रशासन काफी देर से पहुंचा। उनका कहना था कि जब उन्होंने कॉल किया तो कोई तत्काल रिस्पॉन्स नहीं मिला। इस लापरवाही के खिलाफ गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने National Highway जाम कर दिया।
लापरवाही की इंतिहा: मालिक मौके से फरार, प्रशासन मौन
मजदूरों के परिजनों का आरोप है कि ईंट भट्ठे का मालिक हादसे के तुरंत बाद वहां से भाग गया। न तो उसने पीड़ित परिवारों से बात की और न ही किसी तरह की मदद की पेशकश की। पुलिस फिलहाल brick kiln owner absconding की रिपोर्ट दर्ज कर तलाश कर रही है।
'शव भी नहीं देखने दिया गया', परिजनों ने लगाया पुलिस पर दुर्व्यवहार का आरोप
घटनास्थल पर मौजूद एक महिला फरजाना ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमें अपने भाई का शव तक नहीं दिखाया गया। पुलिस ने हमारे साथ बदतमीजी की। क्या गरीब की जान की कोई कीमत नहीं?" यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और police negligence in Bareilly ट्रेंड करने लगा है।
तीन मासूम बच्चों के सिर से उठा पिता का साया
मृतक मजदूर की पहचान इकबाल (काल्पनिक नाम) के रूप में हुई है, जिसके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं। पत्नी बेसुध है और परिवार सदमे में डूबा हुआ है। परिजन अब labour compensation demand कर रहे हैं और प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वो हाईवे खाली नहीं करेंगे।
स्थानीय लोगों ने खोली प्रशासन की पोल
मीरगंज के स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह भट्ठा पिछले कई वर्षों से चालू है और उसकी दीवारें पूरी तरह जर्जर हो चुकी थीं। "हमने कई बार पंचायत और प्रशासन को सूचित किया लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की," एक बुजुर्ग ने कहा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी शुरू
हादसे के बाद UP politics on labour death भी गरम हो गई है। विपक्षी नेताओं ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं रह गई है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर मामले में CBI जांच की मांग की है।
मुआवजे की घोषणा
प्रशासन की ओर से मृतक के परिवार को ₹5 लाख और घायलों को ₹50,000 की मदद का ऐलान किया गया है।
कब थमेगा हादसों का सिलसिला?
Bareilly brick kiln accident सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि देशभर में मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी का एक और उदाहरण है। हर साल सैकड़ों मजदूर ऐसे हादसों का शिकार होते हैं और फिर खबरों से गायब हो जाते हैं। यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा करता है—आख़िर कब तक लापरवाही और भ्रष्टाचार की कीमत गरीबों की जान से चुकानी पड़ेगी?
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