IAS अभिषेक प्रकाश का 8000 करोड़ का 'इंटरनेशनल सिटी' घोटाला! 600 एकड़ पर बना भ्रष्टाचार का साम्राज्य?




IAS अभिषेक प्रकाश पर 8000 करोड़ के इंटरनेशनल सिटी घोटाले में ED की जांच, 600 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप।


IAS अभिषेक प्रकाश का 'इंटरनेशनल सिटी' घोटाला: 8000 करोड़ की लूट की चौंकाने वाली कहानी!

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 600 एकड़ सरकारी जमीन पर 8000 करोड़ रुपए का टाउनशिप प्रोजेक्ट और इसमें फंसे एक निलंबित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश का नाम... यह मामला अब प्रदेश की सबसे बड़ी जांच का हिस्सा बन चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसकी जांच तेज कर दी है और पूरे प्रदेश की निगाहें अब बरेली के इस 'इंटरनेशनल सिटी' घोटाले पर टिक गई हैं।

IAS अभिषेक प्रकाश के कार्यकाल में जमीनों का खेल
2012 से 2014 तक बरेली के जिलाधिकारी रहे IAS अभिषेक प्रकाश पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बरेली की बेशकीमती सरकारी जमीनों पर भू-माफियाओं के साथ मिलकर कब्जा करवाया और उसे एक मेगा टाउनशिप प्रोजेक्ट "इंटरनेशनल सिटी" के नाम पर निजी बिल्डरों को सौंप दिया। इस परियोजना की कुल कीमत 8000 करोड़ रुपए आंकी गई है, और इसमें 600 एकड़ सरकारी जमीन अवैध तरीके से समाहित की गई थी।

राजनीतिक तूफान का केंद्र बना इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट
इस पूरे मामले को उजागर किया है बीजेपी के वरिष्ठ नेता महेश पांडेय ने, जिन्होंने IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि यह सबकुछ एक गहरी और योजनाबद्ध साजिश के तहत किया गया, जिसमें भू-माफिया राजू खंडेलवाल, विपिन अग्रवाल और अन्य बिल्डर शामिल थे। इन सभी को अभिषेक प्रकाश का संरक्षण प्राप्त था और उन्होंने प्रशासनिक प्रभाव का इस्तेमाल करके सरकारी संपत्तियों को हड़पने का खेल खेला।

113 तालाबों को समतल कर बनाई गई अवैध टाउनशिप?
महेश पांडेय ने यह भी आरोप लगाया कि इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट में निर्माण के लिए 113 तालाबों को पाट दिया गया। यह न केवल पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है बल्कि सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना भी है। उन्होंने दावा किया कि इस पूरे घोटाले की वजह से न केवल सरकारी जमीनें हड़पी गईं बल्कि जल स्रोतों को भी खत्म कर दिया गया।

बेनामी संपत्तियों की लंबी फेहरिस्त
पांडेय के मुताबिक, IAS अभिषेक प्रकाश ने अपने कार्यकाल के दौरान आंवला, फरीदपुर और सदर तहसीलों में कई बेनामी संपत्तियां खरीदीं। इन संपत्तियों में निवेश करने के लिए बिल्डरों का सहारा लिया गया। उनका कहना है कि पैसा कहां से आया, कैसे ट्रांसफर हुआ और किनके नाम से संपत्तियां ली गईं – यह सब अब प्रवर्तन निदेशालय की जांच का हिस्सा है।

BDA पर भी उठे सवाल, कार्रवाई नहीं कागजी खानापूर्ति?
बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) पर भी महेश पांडेय ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि BDA सिर्फ कागजों तक सीमित रहा और निर्माण कार्यों की वास्तविकता को नज़रअंदाज़ करता रहा। BDA अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं और ईडी अब इस एंगल से भी जांच कर रही है।

ED ने शुरू की गहन जांच, आ सकती हैं कई गिरफ्तारियां
ईडी ने अब इस केस की गहराई से जांच शुरू कर दी है। अभिषेक प्रकाश और उनके कथित सहयोगियों की संपत्तियों की स्कैनिंग हो रही है। बैंक खातों से लेकर जमीन की खरीद-फरोख्त और मनी ट्रांसफर – हर चीज पर नजर रखी जा रही है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस मामले में कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

योगी सरकार की सख्ती और हाईकोर्ट की नजर
जब यह मामला सामने आया, तो योगी आदित्यनाथ सरकार ने तुरंत IAS अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया। इसके बाद महेश पांडेय ने इस केस को सीधे हाईकोर्ट तक पहुंचाया। कोर्ट में दायर याचिका में इंटरनेशनल सिटी के अवैध निर्माण, सरकारी जमीन के गलत इस्तेमाल और पर्यावरणीय क्षति को प्रमुख मुद्दा बनाया गया है।

भ्रष्टाचार की नई परतें खोलने वाली ED जांच
अब जब मामला ईडी के हाथ में है, तो यह घोटाला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे नेटवर्क का चेहरा सामने ला सकता है। बेनामी संपत्तियों से लेकर भ्रष्टाचार की जड़ें कहां तक फैली हैं – इसका खुलासा अब शुरू हो चुका है।

IAS की कुर्सी से कोर्ट के कटघरे तक!
एक समय बरेली के डीएम की कुर्सी पर बैठने वाले अभिषेक प्रकाश अब ईडी की पूछताछ में जवाब देने को मजबूर हैं। उनका प्रशासनिक करियर, जो एक समय मिसाल माना जाता था, अब भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण के आरोपों के साए में है।

क्या अभिषेक प्रकाश का अंत करीब है?
बीजेपी नेता महेश पांडेय का कहना है कि वे इस मामले को निर्णायक मोड़ तक ले जाएंगे। उन्होंने साफ कहा है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, वे चैन से नहीं बैठेंगे। उनका दावा है कि यह केवल बरेली नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की जनता के साथ धोखा है।


IAS अभिषेक प्रकाश पर लगा यह घोटाला भ्रष्टाचार की गहराइयों की ओर इशारा करता है। सरकारी जमीन की लूट, तालाबों को पाटना, बेनामी संपत्तियां और प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग – ये सब इस एक केस में सामने आए हैं। अब सभी की नजरें ईडी की जांच पर हैं, जो भविष्य में कई चौंकाने वाले खुलासे कर सकती है।

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