सस्पेंड IAS अभिषेक प्रकाश की 400 करोड़ की डील से खुला अरबों का घोटाला, अब योगी सरकार ने विजिलेंस जांच के दिए आदेश।
IAS अभिषेक प्रकाश पर टूटा भ्रष्टाचार का बम: 400 करोड़ की घूस डील से उठा राजनीतिक तूफान, विजिलेंस टीम करेगी करोड़ों की संपत्ति की पड़ताल
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भ्रष्टाचार की आंधी IAS अफसर अभिषेक प्रकाश के सस्पेंशन के साथ एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने 20 मार्च को इस हाई-प्रोफाइल अफसर को निलंबित कर राज्यभर में हलचल मचा दी थी। अब एक और बड़ा कदम उठाते हुए vigilance investigation के आदेश जारी कर दिए गए हैं। माना जा रहा है कि यह जांच सिर्फ भ्रष्टाचार की परतें ही नहीं खोलेगी बल्कि एक multi-crore scam के पूरे नेटवर्क को बेनकाब कर सकती है।
दत्ता की एक विस्फोटक शिकायत से, जिसने यह दावा किया कि IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने 8000 करोड़ के निवेश के लिए फाइल पास करने की एवज में 5% कमीशन, यानी 400 करोड़ रुपये की bribe demand की। उन्होंने बताया कि अभिषेक प्रकाश ने उन्हें निकांत जैन नामक व्यक्ति से मिलने को कहा, जो इस डील में कथित बिचौलिया था।
यूपी में सौर ऊर्जा की फैक्ट्री लगाने का सपना बन गया रिश्वत का जाल
विश्वजीत दत्ता की माने तो उन्होंने solar cell factory in UP के लिए आवेदन किया था। शुरुआत में उनकी फाइल को प्राथमिकता दी गई, लेकिन जैसे ही रिश्वत देने से इनकार किया, फाइल को लगातार टाला गया। अंततः निकांत जैन ने स्पष्ट तौर पर कहा कि “400 करोड़ दो, तभी निवेश की मंजूरी मिलेगी।”
इस शिकायत ने न केवल एक IAS अधिकारी की ईमानदारी पर सवाल खड़े किए बल्कि योगी सरकार की zero tolerance on corruption नीति को चुनौती दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से सस्पेंशन का आदेश दिया और अब शासन ने disciplinary proceedings against IAS Abhishek Prakash के साथ-साथ विजिलेंस जांच का भी ऐलान कर दिया है।
DM रहते हुए जमीन घोटाले, होटल डील और अवैध सम्पत्ति का काला सच
अभिषेक प्रकाश पर सिर्फ यह एक मामला नहीं है। उनकी तैनाती के दौरान Bareilly, Lakhimpur, Hamirpur, और Lucknow में कई अहम पदों पर रहते हुए illegal property accumulation by IAS officer के आरोप पहले से ही सामने आते रहे हैं। विजिलेंस टीम अब इन सभी मामलों की जांच करेगी। सूत्रों की माने तो IAS अभिषेक के नाम पर और उनके रिश्तेदारों के नाम पर लखनऊ और नोएडा में करोड़ों की जमीनें, होटल, आलीशान बंगले और बेशुमार नकद संपत्ति है।
Lucknow Development Authority (LDA) के VC रहते हुए भी उठे थे सवाल
जब अभिषेक प्रकाश LDA VC थे, तब भी उनकी कार्यशैली पर सवाल उठे। उन पर आरोप था कि उन्होंने कई भूखंडों के आवंटन में भारी हेरफेर की। डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण में भी land scam by IAS officer की आशंका जताई गई थी। इस पर राजस्व परिषद ने रिपोर्ट तैयार कर नियुक्ति विभाग को भेज दी थी, जो अब इस विजिलेंस जांच में प्रमुख आधार बनेगी।
Abhishek Prakash की स्टाइल थी सत्ता की नजदीकियों का फायदा उठाना
2006 बैच के नागालैंड कैडर से आए अभिषेक ने 2011 में उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर लेकर राजनीतिक गलियारों में अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी। लखनऊ में DM रहते हुए उन्होंने खुद को हमेशा पॉवरफुल IAS की तरह प्रोजेक्ट किया। बड़े आयोजनों से लेकर सरकारी नीतियों की घोषणाओं तक, अभिषेक प्रकाश हमेशा फोकस में रहे।
लेकिन अंदर ही अंदर वे एक ऐसा सिस्टम बना रहे थे जो bribery for approvals, commissions in clearances, और manipulation of evaluation committees पर आधारित था। SAEL कंपनी की फाइल में भी उन्होंने मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट को अपने अनुसार बदलने का प्रयास किया था।
IAS की छवि को पहुंचा जबरदस्त झटका, सिस्टम में उठे सवाल
IAS सेवा जिसे ‘steel frame of India’ कहा जाता है, उसमें इस तरह का मामला सामने आना ना सिर्फ शर्मनाक है बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। सोशल मीडिया पर लोग इसे IAS scam का नाम दे रहे हैं।
अब क्या करेगी विजिलेंस टीम?
गृह विभाग ने विजिलेंस जांच को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि IAS अभिषेक प्रकाश के bank accounts, benami properties, foreign travels, और official postings के दौरान की गई डील्स को खंगाला जाए। विजिलेंस टीम उनके लखनऊ, बरेली, हमीरपुर और लखीमपुर पोस्टिंग के दौरान हुई संपत्ति की जांच करेगी।
सूत्रों की मानें तो ED और CBI भी इस मामले में एंट्री ले सकते हैं, यदि जांच में मनी लॉन्ड्रिंग या विदेशी लेन-देन का कोई लिंक सामने आता है। इससे यह पूरा मामला एक national level corruption scam का रूप ले सकता है।
क्या अब भी सिस्टम को साफ किया जा सकेगा?
IAS अभिषेक प्रकाश का मामला सिर्फ एक अधिकारी के भ्रष्ट होने की कहानी नहीं है, यह हमारे सिस्टम में गहरे बैठे उस वायरस को उजागर करता है जो निवेश, विकास और योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार की फसल उगा रहा है। योगी सरकार की यह कार्रवाई सही दिशा में एक कड़ा कदम है, लेकिन अब जनता की नजरें इस बात पर हैं कि क्या इस जांच का नतीजा सिर्फ सस्पेंशन तक सीमित रहेगा या दोषियों को जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाया जाएगा।
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