जौनपुर में एक साथ 12 ब्राह्मण बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार, वैदिक मंत्रों से गूंज उठा पूरा इलाका!




जौनपुर के चक घसीटा नाथ गांव में हुआ सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार, 12 ब्राह्मण बटुकों ने धारण किया जनेऊ, गूंजे वैदिक मंत्र।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट


जौनपुर में हुआ दुर्लभ सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार, वैदिक परंपरा को संजीवनी देने वाला ऐतिहासिक आयोजन

जौनपुर जिले के तेजीबाजार थाना अंतर्गत चक घसीटा नाथ स्थित बटेश्वर नाथ शिव संस्कृत महाविद्यालय के प्रांगण में एक ऐसा आयोजन संपन्न हुआ, जिसने पूरे इलाके को धर्म, संस्कृति और परंपरा के रंग में रंग दिया। यहां एक साथ 12 ब्राह्मण बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया, जिसने वर्षों पुरानी वैदिक परंपरा को जीवंत कर दिया।

बटेश्वर नाथ शिव संस्कृत महाविद्यालय की ओर से आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान में दर्जनों ग्रामीणों, विद्वानों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। मंत्रोच्चार, हवन और वैदिक विधानों से वातावरण पूरी तरह पवित्र और आध्यात्मिक हो उठा।

आचार्य पंडित मार्कंडेय प्रसाद पांडेय ने किया यज्ञोपवीत संस्कार का निर्देशन
इस आयोजन की अगुवाई महाविद्यालय के प्राचार्य एवं ज्योतिषाचार्य पंडित मार्कंडेय प्रसाद पांडेय ने की। उन्होंने बताया कि यज्ञोपवीत संस्कार, जिसे उपनयन संस्कार भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में द्विज बनने की पहली सीढ़ी मानी जाती है। यह संस्कार केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं बल्कि जीवन के एक नए चरण की शुरुआत है।

8 से 16 वर्ष के बीच होती है संस्कार की उपयुक्त आयु
संस्कार से जुड़े नियमों के मुताबिक, आमतौर पर यह अनुष्ठान 8 से 16 वर्ष की आयु के ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ण के बालकों के लिए संपन्न किया जाता है। यह उन्हें आध्यात्मिक अध्ययन, वेद-अध्ययन और धार्मिक जीवन में प्रवेश करने का अधिकार प्रदान करता है।

संस्कार में शामिल हुए ये 12 ब्राह्मण बटुक
इस आयोजन में जिन बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न हुआ, उनमें प्रमुख रूप से चरण पांडेय, चंद्रप्रकाश पांडेय, श्रवण कुमार पांडेय, केशव पांडेय, संजय तिवारी, घनश्याम मिश्रा, मुरलीधर तिवारी, पद्माकर दुबे, सत्येंद्र पांडेय, सुशील पांडेय, बृजेश मिश्रा, अंकित अभिनव मिश्रा के नाम शामिल हैं। सभी बटुकों ने पूर्ण वैदिक विधि-विधान से यह संस्कार संपन्न किया।

संस्कार के दौरान गूंजे वैदिक मंत्र और शंखनाद
पूरे समारोह के दौरान वैदिक ऋचाओं की गूंज, शंखनाद और हवन के धुएं से पूरा वातावरण आध्यात्मिक आभा में बदल गया। स्थानीय ग्रामीणों और आगंतुकों ने इस आयोजन को एक दुर्लभ और गौरवपूर्ण क्षण बताया।

धार्मिक महत्ता और सामाजिक संदेश
आचार्य पंडित मार्कंडेय पांडेय ने यज्ञोपवीत संस्कार की महत्ता बताते हुए कहा कि यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने की शिक्षा भी देता है। संस्कार के माध्यम से एक बालक को अपने कर्तव्यों, मर्यादाओं और जीवन मूल्यों के प्रति सजग किया जाता है।

शुद्धता, संयम और सदाचार का प्रथम पाठ
यज्ञोपवीत संस्कार वह पहली सीढ़ी है, जहां से एक बालक को आत्मसंयम, सदाचार और अध्ययनशीलता का मार्ग दिखाया जाता है। उपवित (जनेऊ) धारण करने के बाद वह विद्यार्थी अपने जीवन में गुरुओं से ज्ञान प्राप्त करने और समाज सेवा में संलग्न होने का संकल्प लेता है।

पारंपरिक आयोजनों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक प्रेरक पहल
चक घसीटा नाथ गांव में आयोजित यह सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार वर्तमान समय में उन सांस्कृतिक आयोजनों में से एक बन गया है, जो भारतीय सनातन परंपराओं को पुनर्जीवित करने का काम कर रहे हैं।

जनसमूह और विद्वानों की रही विशेष उपस्थिति
इस अवसर पर दर्जनों स्थानीय नागरिक और गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे, जिनमें विशेष रूप से बृजेश मिश्रा, सत्येंद्र पांडेय, सुशील पांडेय, पद्माकर दुबे जैसे श्रद्धालुओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही। इन सभी ने आयोजन को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग प्रदान किया।

संस्कृति से जुड़ने का सार्थक माध्यम
महाविद्यालय के इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि आज की पीढ़ी को अपनी संस्कृति, परंपरा और धार्मिक मूल्यों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को सशक्त करते हैं, बल्कि सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देते हैं।


चक घसीटा नाथ के इस पावन आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय परंपराएं आज भी जीवित हैं, और उन्हें नई पीढ़ी में संचारित करना हमारी जिम्मेदारी है। यज्ञोपवीत संस्कार न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ एक गूढ़ और पवित्र संस्कार है।

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