कानपुर में 90 वर्षीय महिला की मौत के बाद परिजनों ने जर्मन शेफर्ड को निर्दोष बताया। बोले- "दादी ने छड़ी से मारा था, कुत्ते ने आत्मरक्षा में हमला किया।" अब कुत्ते की वापसी की मांग।
कानपुर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब होली के दिन 90 वर्षीय महिला की उनके ही पालतू जर्मन शेफर्ड कुत्ते के हमले में मौत हो गई। मामला बेहद संवेदनशील हो गया है, क्योंकि बुजुर्ग महिला के परिवार ने दावा किया है कि उनकी मौत कुत्ते के काटने से नहीं, बल्कि सदमे की वजह से हुई थी। अब परिवार ने नगर निगम से अपने कुत्ते की वापसी की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
घटना कानपुर के विकास नगर की है, जहां मोहनी देवी नामक बुजुर्ग महिला अपने घर में पालतू कुत्ते 'रॉबर्ट' के साथ थीं। बताया जा रहा है कि किसी कारणवश उन्होंने अपने कुत्ते के सिर पर छड़ी से प्रहार किया, जिसके बाद कुत्ते ने गुस्से में आकर उन पर हमला कर दिया। कुत्ते के जबड़े से निकली गहरी चोटों के कारण महिला गंभीर रूप से घायल हो गईं और बाद में उनकी मौत हो गई।
परिवार के मुताबिक, घटना के वक्त घर में मौजूद पोता धीर त्रिवेदी और उसकी मां महिला को बचाने में असमर्थ थे, क्योंकि उनके पैर में फ्रैक्चर था और प्लास्टर बंधा हुआ था। ऐसे में कुत्ते ने अपनी पूरी ताकत से हमला कर दिया।
कुत्ते को लेकर क्यों उठा विवाद?
घटना के बाद नगर निगम की टीम कुत्ते को अपने साथ ले गई। लेकिन अब, मोहनी देवी के पोते धीर त्रिवेदी ने निगम से अनुरोध किया है कि कुत्ते को निर्दोष करार देकर वापस सौंप दिया जाए।
परिवार का कहना है कि –
- उनकी दादी की मौत कुत्ते के काटने से नहीं, बल्कि सदमे और हाई बीपी की वजह से हुई।
- कुत्ते ने किसी बाहरी व्यक्ति पर हमला नहीं किया, वह स्वभाव से आक्रामक नहीं है।
- महिला ने पहले कुत्ते को छड़ी से मारा, जिससे वह आक्रोशित होकर प्रतिक्रिया देने लगा।
- नगर निगम के पास कुत्ते का पंजीकरण प्रमाणपत्र भी है और उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गई।
पोस्टमार्टम नहीं, पुलिस भी चुप!
इस घटना में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर कुत्ते के हमले से मौत हुई थी, तो पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ?
परिवार के दावे के अनुसार, मोहनी देवी पहले से दिल और हाई बीपी की मरीज थीं। जब कुत्ते ने अचानक हमला किया तो वह घबरा गईं और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। इस मामले में किसी ने पुलिस को शिकायत दर्ज नहीं कराई, इसलिए पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की।
क्या परिवार को वापस मिलेगा कुत्ता?
नगर निगम का कहना है कि अगर कुत्ता आक्रामक नहीं है और पंजीकृत है, तो उसे वापस देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। फिलहाल, कुत्ते की मेडिकल जांच करवाई जा रही है, ताकि यह तय किया जा सके कि वह आगे किसी को नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा।
अब देखना होगा कि नगर निगम परिवार की भावनाओं का सम्मान करता है या नहीं। वहीं, यह मामला सोशल मीडिया पर भी बहस का मुद्दा बन गया है – कुछ लोग कुत्ते को निर्दोष बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ऐसे खतरनाक जानवर को वापस देना भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
आप इस मामले पर क्या सोचते हैं? क्या परिवार को अपना पालतू कुत्ता वापस मिलना चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!
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