वाराणसी एंटी करप्शन टीम ने लेखा अधिकारी को 30 हजार की घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा



जौनपुर में लेखा अधिकारी सत्य नारायण को 30 हजार की रिश्वत लेते एंटी करप्शन टीम ने मछलीशहर बस स्टैंड से पकड़ा।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट


"रिश्वतखोरी के दलदल में फंसी व्यवस्था: एंटी करप्शन टीम की बड़ी कार्रवाई से मचा हड़कंप"

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर जोर देती हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। प्रदेश के हर जिले में भ्र्ष्टाचार अपने चरम पर है और इसका ताज़ा उदाहरण है जौनपुर का एक मामला, जहाँ विकास भवन में तैनात एक ज्येष्ठ लेखा परीक्षक (Senior Auditor) को 30,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए Anti Corruption Team Varanasi ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

इस गिरफ्तारी से न केवल जिले में बल्कि पूरे प्रदेश में प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।

यह सनसनीखेज़ गिरफ्तारी मछलीशहर बस स्टैंड पर दिन के लगभग साढ़े 12 बजे हुई, जब एंटी करप्शन टीम ने पहले से तैयार योजना के तहत ट्रैप बिछाया था। आरोपी सत्य नारायण, जो कि लेखा परीक्षा विभाग, विकास भवन जौनपुर में तैनात है, को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़ा गया।

शिकायत से गिरफ्तारी तक: पूरा घटनाक्रम

यह मामला नेवढ़िया थाना क्षेत्र के परशुरामपुर गांव से जुड़ा हुआ है, जहाँ के निवासी वीरेंद्र कुमार ने वाराणसी एंटी करप्शन विभाग को एक गंभीर शिकायत दी थी। शिकायत के अनुसार, वीरेंद्र की मां सुदामा, जो कि ग्राम प्रधान हैं, उनके कार्यों के ऑडिट के बदले में लेखा अधिकारी सत्य नारायण ने 30,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी।

इस भ्रष्ट मांग को गंभीरता से लेते हुए टीम ने कार्रवाई का मन बनाया और एक ट्रैप तैयार किया गया। जैसे ही सत्य नारायण ने पैसे लिए, एंटी करप्शन टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया और उसकी जेब से पूरे तीस हजार रुपये भी बरामद कर लिए गए।

गिरफ्तारी से खुलती भ्रष्टाचार की पोल

गिरफ्तारी के बाद सत्य नारायण को तुरंत सिकरारा थाने ले जाया गया, जहाँ उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। यह गिरफ्तारी योगी सरकार की ईमानदार छवि पर सवाल खड़े करती है, जहाँ प्रदेश में "भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश" का दावा किया जा रहा है।

कार्रवाई में शामिल रहे जांबाज़ अफसर

इस साहसी और सफल कार्रवाई को अंजाम देने वाली वाराणसी एंटी करप्शन ट्रैप टीम में कई कुशल और प्रशिक्षित अधिकारी शामिल रहे। निरीक्षक मैनेजर सिंह के नेतृत्व में नीरज कुमार सिंह, राजेश कुमार यादव, शैलोद कुमार, विनोद कुमार, सुमित कुमार भारती, अजीत सिंह, अजय कुमार यादव, आशीष शुक्ला, सूरज गुप्ता और वीरेंद्र प्रताप सिंह शामिल रहे।

इन सभी अधिकारियों की मुस्तैदी और समर्पण की वजह से ही यह रिश्वतखोरी का बड़ा मामला उजागर हो सका।

क्या यही है "नया उत्तर प्रदेश"?

सरकार भले ही डिजिटल इंडिया, पारदर्शिता और जवाबदेही की बातें कर रही हो, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि अभी भी audit department, lekhapari kendra, vikas bhavan corruption, जैसे विभागों में घूसखोरी धड़ल्ले से चल रही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह वही उत्तर प्रदेश है जिसका सपना योगी सरकार ने दिखाया था?

इस घटना ने Anti Corruption in UP, bribe scandal Jaunpur, UP government employee arrested, जैसे मुद्दों को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।

क्यों नहीं थम रही रिश्वतखोरी की ये लहर?

बार-बार एंटी करप्शन की कार्रवाई होने के बावजूद सरकारी अधिकारियों के भीतर का डर खत्म हो गया है। इसका एक कारण है कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त और तेज़ कार्रवाई न होना।

Audit Department Jaunpur, UP Lekha Adhikari Bribe, 30 hazar ki rishwat, UP Anti Corruption Trap, ये सभी कीवर्ड्स बार-बार सुर्खियों में आने लगे हैं, जो दर्शाते हैं कि सिस्टम में कहीं ना कहीं गहराई से सड़न है।

जनता में आक्रोश और अधिकारियों में हड़कंप

इस खबर के बाद से जौनपुर और आस-पास के इलाकों में आम जनता में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि जब लेखा परीक्षक जैसा पद घूस मांगता है, तो आम जनता को अपने काम कैसे कराना चाहिए? वहीं प्रशासनिक अमले में भी हड़कंप मचा हुआ है और अब हर अधिकारी अपने काम को लेकर सतर्क हो गया है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Notifications Powered By Aplu