लखनऊ में महिला की हत्या ने सुरक्षा के दावों की पोल खोल दी, 30KM दूर मिला शव, पुलिस अब तक खाली हाथ, हत्यारा फरार।
Lucknow Murder Mystery: 'सुरक्षित लखनऊ' के दावे को चीरती एक रात की दहशतभरी दास्तां!
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जिसे "नवाबी नगरी" और "मुस्कुराइए, आप लखनऊ में हैं" जैसे टैगलाइन से जाना जाता है, आज खौफ और सवालों के घेरे में है। एक महिला की दर्दनाक हत्या ने पूरे सिस्टम को झकझोर कर रख दिया है। इस मर्डर केस ने Lucknow Women Safety, Auto Crime in Lucknow, Lucknow Police Failure, Murder Case in Malihabad, UP Crime News, जैसे कीवर्ड्स को अचानक से गूगल पर ट्रेंडिंग बना दिया है।
इस वारदात ने ना केवल लखनऊ पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि ये भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई उत्तर प्रदेश की राजधानी से चंद किलोमीटर दूर महिलाएं रात में अकेले सफर करने के लिए सुरक्षित हैं?
एक ऑटो राइड जो मौत की ओर ले गई…
अयोध्या की रहने वाली एक 28 वर्षीय महिला मंगलवार को वाराणसी में नौकरी के इंटरव्यू से लौट रही थी। रात करीब 1:30 बजे लखनऊ के आलमबाग बस अड्डे पर बस से उतरी और चिनहट स्थित अपने भाई के घर जाने के लिए ऑटो में बैठी। उसने 1:37 बजे अपने भाई को फोन कर जानकारी दी कि उसे चिनहट जाने वाला ऑटो मिल गया है। लेकिन रात 2 बजे एक और कॉल कर उसने बताया कि ऑटो वाला गलत रास्ते पर ले जा रहा है।
2:35 बजे उसने अपनी Live Location भेजी — जो इस केस का आखिरी डिजिटल क्लू बन गई। इसके एक मिनट बाद उसका फोन बंद हो गया। पुलिस को सूचना दी गई लेकिन उसका रिएक्शन टाइम इतना सुस्त था कि वारदात हो चुकी थी।
मलिहाबाद की बाग में मिली लाश, 7 पुलिसकर्मी सस्पेंड
महिला की डेड बॉडी सुबह 4 बजे मलिहाबाद के वाजिदनगर स्थित एक बाग में मिली। यही नहीं, जांच में सामने आया कि पुलिस को 2:37 पर सूचना मिलने के बावजूद उन्होंने सक्रियता रात 3:30 बजे दिखाई। परिवार ने आरोप लगाया कि यदि पुलिस समय पर कार्रवाई करती तो शायद महिला की जान बच सकती थी।
इस लापरवाही का खामियाजा आलमबाग थाने के प्रभारी समेत सात पुलिसकर्मियों को भुगतना पड़ा जिन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया।
पुलिस की 6 टीमें, 60 अफसर – फिर भी हाथ खाली!
Lucknow Crime Investigation को लेकर DCP पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि इस केस में 6 अलग-अलग टीमें लगाई गई हैं। एक टीम सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है, दूसरी सर्विलांस से मोबाइल ट्रैकिंग कर रही है, तीसरी ऑटो की पहचान में जुटी है।
अब तक 500 से ज्यादा CCTV कैमरे खंगाले जा चुके हैं, जिनमें से एक मलिहाबाद के कसमंडी चौराहे पर संदिग्ध ऑटो दिखाई दिया है। लेकिन बड़ी समस्या ये है कि ऑटो की पहचान पक्की नहीं हो पा रही है क्योंकि हर फुटेज में एक जैसे 3-4 ऑटो नजर आते हैं।
50 संदिग्धों से पूछताछ, लेकिन सुराग नहीं
पुलिस अब तक 50 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन कोई ठोस सुराग हाथ नहीं आया। पुलिस शहर के विभिन्न इलाकों में चेकिंग अभियान भी चला रही है। Auto Driver Crime in Lucknow जैसे ट्रेंडिंग टॉपिक के बीच जनता की नजरें अब हर आने-जाने वाले ऑटो ड्राइवर पर टिक गई हैं।
5000 मोबाइल नंबरों का विश्लेषण
सिर्फ ऑटो और सीसीटीवी ही नहीं, बल्कि पुलिस ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए मलिहाबाद क्षेत्र में रात 12 बजे से सुबह 4 बजे तक एक्टिव रहे 5,000 मोबाइल नंबर का डेटा इकट्ठा किया है। सर्विलांस टीम संदिग्ध मोबाइल नंबरों को फिल्टर कर रही है ताकि उस वक्त मौजूद लोगों की पहचान हो सके।
सोशल मीडिया पर गूंज उठा 'Safe Lucknow' का सवाल
जैसे ही ये वारदात सामने आई, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #LucknowSafety, #JusticeForAyodhyaWoman, और #UPPoliceFailure ट्रेंड करने लगे। लोग सवाल उठा रहे हैं कि राजधानी में अगर महिलाओं की ये हालत है तो बाकी जिलों का क्या हाल होगा?
राजनीतिक हलचल और प्रशासनिक दबाव
इस घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। विपक्ष ने योगी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'बुलडोज़र राज' में आम महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। वहीँ शासन स्तर से इस मामले को High Priority Case घोषित किया गया है।
क्या 'स्मार्ट सिटी' लखनऊ वाकई स्मार्ट है?
‘Smart City Lucknow’ के बोर्ड और दावों के बीच यह मर्डर केस चीख-चीख कर कह रहा है कि सिस्टम में कहीं ना कहीं गंभीर खामियां हैं। अगर एक महिला राजधानी में रात के समय ऑटो से सुरक्षित अपने घर नहीं पहुंच सकती, तो फिर स्मार्ट सिटी की अवधारणा ही सवालों के घेरे में आ जाती है।
कब जागेगा सिस्टम?
लखनऊ महिला मर्डर केस न सिर्फ एक हत्या है, बल्कि ये सिस्टम की विफलता का आईना भी है। इस वारदात ने दिखा दिया कि सीसीटीवी, सर्विलांस, पुलिस गश्त और तमाम दावे तब तक बेअसर हैं जब तक इनका उपयोग समय रहते नहीं किया जाए।
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