यूपी के उन्नाव में नाम बदलकर सरकारी नौकरी पाने वाली शिक्षिका का पर्दाफाश, STF की जांच में बड़ा खुलासा, DM के आदेश पर नौकरी से बर्खास्त।
उन्नाव: सरकारी नौकरी की चाहत में अपनी असली पहचान बदलने वाली महिला शिक्षिका का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। प्राची कटियार बनकर नौकरी करने वाली शिक्षिका असल में रत्ना कटियार थी, जो उम्र सीमा पार होने के चलते आवेदन करने योग्य नहीं थी। लेकिन सरकारी मास्टर बनने के लिए उसने पहले नाम बदला, फिर नए दस्तावेज तैयार किए और शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापक की नौकरी पा ली।
STF द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच में जब दस्तावेज खंगाले गए, तब इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ। उन्नाव जिले के बांगरमऊ ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय नेवल में तैनात शिक्षिका को जांच के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
फर्जी दस्तावेजों से बनी ‘प्राची’, जांच में पकड़ी गई असलियत
STF की जांच में यह सामने आया कि रत्ना कटियार ने 2003 में हाईस्कूल और 2005 में इंटरमीडिएट पास किया था। स्नातक की डिग्री 2009 में पूरी करने के बाद, उम्र सीमा के चलते वह शिक्षक भर्ती में आवेदन नहीं कर सकी। लेकिन सरकारी नौकरी का सपना पूरा करने के लिए उसने चालाकी से अपनी पहचान बदल ली।
रत्ना ने खुद को 'प्राची कटियार' नाम से नया जन्म प्रमाणपत्र और अन्य शैक्षिक दस्तावेज तैयार कराए। इसके बाद 2018 में BTC की डिग्री प्राप्त की और 2020 में 69000 शिक्षक भर्ती में सफल होकर सहायक अध्यापक बन गई।
STF की गहन जांच में जब उसके पुराने और नए शैक्षिक अभिलेखों का मिलान किया गया, तब सच्चाई सामने आ गई।
DM के आदेश पर शिक्षिका बर्खास्त, वेतन भुगतान पर रोक
69000 शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े की जांच STF पहले से कर रही थी। जब इस मामले की परतें खुलीं, तो उन्नाव जिलाधिकारी (DM) गौरांग राठी ने तत्काल संज्ञान लेते हुए ADM की अध्यक्षता में जांच टीम गठित की।
जांच में पुष्टि होने के बाद 2 मार्च 2024 को BSA (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) संगीता सिंह ने शिक्षिका की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही सभी वेतन और अन्य भुगतानों पर भी रोक लगा दी गई है।
फर्जी तरीके से बनीं ‘सरकारी मास्टर’, लेकिन साजिश पकड़ी गई!
69000 शिक्षक भर्ती घोटाले में STF पहले से ही कई संदिग्ध मामलों की जांच कर रही थी। जब उन्नाव के बांगरमऊ ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय नेवल में तैनात शिक्षिका प्राची कटियार के दस्तावेजों की गहराई से जांच की गई, तो मामला साफ हो गया।
शिक्षिका ने 2018 में BTC की डिग्री ली और 2020 में सहायक अध्यापक पद पर चयन हुआ। लेकिन जब STF की छानबीन में पाया गया कि उसका असली नाम रत्ना कटियार है और उसने नौकरी पाने के लिए अपनी असली पहचान छुपाई, तब अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू कर दी।
DM के निर्देश पर गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षिका को बर्खास्त कर दिया गया।
सरकारी नौकरी के लिए ‘डबल खेल’, लेकिन आखिरकार पकड़ में आ ही गईं!
सरकारी नौकरी के लिए अक्सर लोग जालसाजी का सहारा लेते हैं, लेकिन इस शिक्षिका का फर्जीवाड़ा कुछ ज्यादा ही संगठित था।
- पहले असली नाम रत्ना कटियार से हाईस्कूल, इंटर, और ग्रेजुएशन पूरा किया।
- उम्र सीमा पार होने के कारण सरकारी नौकरी की पात्रता खो दी।
- फिर नया नाम प्राची कटियार अपनाकर नई जन्मतिथि के साथ पढ़ाई दोबारा शुरू की।
- BTC की डिग्री हासिल कर 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा पास की।
- सहायक अध्यापक पद पर तैनात हुई, लेकिन STF की जांच में पकड़ में आ गई।
अब STF और प्रशासन इस मामले में कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल शिक्षिका को बर्खास्त कर दिया गया है और वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
क्या अब होगी गिरफ्तारी?
अभी तक शिक्षिका के खिलाफ सिर्फ बर्खास्तगी की कार्रवाई हुई है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि शिक्षा विभाग और पुलिस की ओर से आगे की कार्रवाई में फर्जीवाड़े को लेकर कानूनी केस भी दर्ज किया जा सकता है।
सरकारी नौकरी में फर्जीवाड़ा करने वालों पर सख्ती!
यह मामला दिखाता है कि अब सरकारी नौकरी में फर्जी दस्तावेजों के सहारे प्रवेश करना आसान नहीं रह गया है। STF लगातार ऐसे घोटालों की जांच कर रही है और कई फर्जी शिक्षकों पर शिकंजा कस चुकी है।
बहरहाल, प्राची कटियार उर्फ रत्ना कटियार का सपना पूरा नहीं हो सका। उसने सरकारी नौकरी पाने के लिए पहचान बदलने का दांव खेला, लेकिन STF की जांच में उसकी पोल खुल गई और अब वह नौकरी से हाथ धो बैठी है।
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