प्रेमानंद महाराज के आश्रम में बही भक्ति की बयार: लड्डूओं की होली में झूमे हजारों श्रद्धालु!



वृंदावन में प्रेमानंद महाराज के आश्रम में लड्डू मार होली का अद्भुत नजारा, हजारों भक्तों संग भक्ति और उल्लास में सराबोर हुआ पूरा परिसर।


वृंदावन: होली का पर्व आते ही ब्रजभूमि का हर कोना रंगों और भक्ति की सरिता में डूब जाता है, लेकिन जब प्रेमानंद महाराज की भक्ति और श्रद्धा की बयार इस उत्सव से जुड़ती है, तो नज़ारा अलौकिक हो जाता है। वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित प्रेमानंद महाराज के श्री राधा केली कुंज आश्रम में इस बार लड्डू मार होली का आयोजन किया गया, जहां हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ी और भक्ति के रंग में रंग गई।

आश्रम में जैसे ही "राधे-राधे" के जयकारे गूंजे, भक्तगण आनंद में झूम उठे। प्रेमानंद महाराज ने स्वयं अपने हाथों से श्रद्धालुओं को लड्डू वितरित किए, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। न केवल लड्डुओं की बारिश हुई, बल्कि आध्यात्मिक उल्लास की लहरों ने भी हर भक्त का मन मोह लिया।

बरसाना की लट्ठमार होली के साथ वृंदावन में लड्डू होली का अद्भुत संगम

ब्रज की धरती पर होली का उत्साह अलग ही स्तर पर होता है, जहां बरसाना की लट्ठमार होली विश्वप्रसिद्ध है, वहीं वृंदावन की लड्डू मार होली अब भक्तों के दिलों में अपनी खास जगह बना चुकी है। इस आयोजन में राधा रानी के समक्ष भक्तों ने होली के पारंपरिक गीत गाए और भजन-कीर्तन के बीच पूरा माहौल कृष्ण प्रेम में सराबोर हो गया।

"लड्डू बरसे प्रेम के रंग में, वृंदावन बना भक्तों का संगम!"

श्रीधाम वृंदावन में शुक्रवार को आयोजित इस होली महोत्सव में श्रद्धालु देश-विदेश से पहुंचे। भक्तों ने लड्डू की होली खेलकर प्रेम और भक्ति के इस अनूठे संगम का आनंद लिया। प्रेमानंद महाराज के भव्य आश्रम में भक्तों के उत्साह का स्तर देखने लायक था।

प्रेमानंद महाराज: करोड़ों भक्तों के हृदय सम्राट!

आज प्रेमानंद महाराज केवल एक संत नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था के केंद्र बन चुके हैं। उनकी वाणी से प्रेम और भक्ति का प्रवाह ऐसा बहता है कि श्रद्धालु उनके दर्शन मात्र से ही भाव-विभोर हो जाते हैं। होली के इस विशेष अवसर पर भी महाराज ने अपने भक्तों के साथ आत्मीयता से यह उत्सव मनाया।

जब उन्होंने अपने कर-कमलों से भक्तों को लड्डू बांटे, तो पूरा आश्रम "राधे-राधे" के जयघोष से गूंज उठा। भक्तों का मानना है कि इस आयोजन में शामिल होना किसी दिव्य सौभाग्य से कम नहीं।

होली की मस्ती में भक्ति का रंग

इस आयोजन में वृंदावन के प्रसिद्ध कीर्तन मंडलियों ने होली के भजन गाए, जिनमें "श्याम से लगन लगी", "राधे-राधे बरसाने वाली" जैसे मधुर भजनों ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। पूरा परिसर केसरिया और गुलाल के रंग में रंग गया, लेकिन यहां की खासियत थी प्रेमानंद महाराज द्वारा कराई गई लड्डू होली।

श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय पल

इस होली में सम्मिलित हुए श्रद्धालुओं का कहना था कि उन्होंने आज तक ऐसी होली नहीं देखी। किसी ने इसे अपने जीवन की सबसे यादगार होली बताया तो किसी ने इसे दिव्य प्रेम की अनुभूति से भरा क्षण।

भक्तों के अनुसार, प्रेमानंद महाराज की उपस्थिति में लड्डू होली खेलना उनके लिए स्वर्गीय आनंद जैसा अनुभव था।

ब्रज की होली का जादू पूरी दुनिया में छाया

बरसाना की लट्ठमार होली और वृंदावन की लड्डू होली का जादू अब सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो चुका है। हर साल हजारों विदेशी पर्यटक इस उत्सव का अनुभव लेने के लिए वृंदावन आते हैं।

क्या है लड्डू होली की खासियत?

  1. यह होली प्रेम और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
  2. इसमें गुलाल की जगह लड्डुओं का उपयोग किया जाता है।
  3. श्रद्धालुओं को स्वयं संतों के हाथों से प्रसाद रूप में लड्डू प्राप्त होते हैं।
  4. यह होली आनंद, प्रेम और भक्ति का अनोखा संगम होती है।

प्रेमानंद महाराज के इस विशेष आयोजन ने वृंदावन की होली को एक नया अध्यात्मिक रंग दिया है। भक्तों के उत्साह, भक्ति और प्रेम के इस समागम ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि वृंदावन की होली केवल रंगों की नहीं, बल्कि आत्मा के आनंद की भी होली है।

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