सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की दिनदहाड़े हत्या, साजिशन सड़क पर गिराकर गोलियों से भूना – पत्रकारिता पर फिर मंडराया खतरा!



सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या, बदमाशों ने टक्कर मारकर सड़क पर गिराया और गोलियों से भून डाला, पुलिस ने जांच शुरू की।

सीतापुर में पत्रकार की नृशंस हत्या से हड़कंप, रंजिश या पत्रकारिता की सजा?

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहां राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। बदमाशों ने उन्हें पहले बाइक से टक्कर मारकर सड़क पर गिराया और फिर करीब से गोलियों से छलनी कर दिया। इस जघन्य अपराध से इलाके में सनसनी फैल गई है, वहीं पुलिस ने हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए कई अहम सुराग जुटाने शुरू कर दिए हैं।

घात लगाकर बैठे थे हत्यारे, प्लानिंग के तहत दिया वारदात को अंजाम

जानकारी के मुताबिक, शनिवार दोपहर राघवेंद्र बाजपेयी अपने कार्यालय से रिपोर्टिंग के लिए निकले थे। जैसे ही वह इमलिया सुल्तानपुर थाना क्षेत्र के ओवरब्रिज के पास पहुंचे, पहले से घात लगाए बैठे बदमाशों ने उन्हें अपनी गाड़ी से जोरदार टक्कर मार दी। इससे वह सड़क पर गिर पड़े और संभलने का मौका भी नहीं मिला कि हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ कई राउंड गोलियां बरसा दी। खून से लथपथ राघवेंद्र ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी फरार हो गए।

पत्रकारिता का बदला या पुरानी रंजिश? पुलिस हर एंगल से जांच में जुटी

सीतापुर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कई टीमों का गठन किया है। हत्या के पीछे पेशेवर रंजिश की आशंका जताई जा रही है। पुलिस के मुताबिक, कुछ समय पहले राघवेंद्र बाजपेयी ने एक हाई-प्रोफाइल खबर प्रकाशित की थी, जिससे कुछ प्रभावशाली लोगों को भारी नुकसान हुआ था। कयास लगाए जा रहे हैं कि यही खबर उनकी हत्या की वजह बनी।

इसके अलावा, पुलिस उनके कॉल डिटेल्स और हालिया संपर्कों की बारीकी से जांच कर रही है। परिवार और करीबी सहयोगियों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उन्हें पहले से धमकियां मिल रही थीं?

पत्रकारिता पर फिर मंडराया खतरा, सुरक्षा पर उठे सवाल

पत्रकारों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे प्रेस की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या ने एक बार फिर दिखाया कि सच्चाई लिखने की कीमत कितनी भयानक हो सकती है

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